नंदकुमार साय बोले-सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के लिए डा रमन सिंह व राजनाथ ने अटकाए रोड़े; भाजपा नहीं चाहती कोई आदिवासी सीएम बने
बिलासपुर, सीएसआइडीसी के अध्यक्ष व कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह को कटघरे में खड़ा कर दिया है। साय ने सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि जब मैं भाजपा में था, सीएम पद का गंभीर दावेदार था। बन भी जाता पर पूर्व सीएम डा रमन सिंह यह नहीं चाहते थे। इसलिए शीर्ष नेताओं के साथ मिलकर राजनीतिक साजिश रची। डा रमन सिंह की बातों और उठाए गए मुद्दों पर हामी भरने का काम राजनाथ सिंह ने किया।
सीएसआइडीसी के चेयरमैन साय पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री के सवाल पर कहा कि आदिवासियों के बीच सक्षम नेतृत्व है। अवसर मिलने पर यह स्पष्ट भी हो जाएगा। आदिवासियों में नेतृत्व क्षमता और मुख्यमंत्री बनने की योग्यता होने की बात पर दम भरते हुए उनके मन से पीड़ा भी झलकी। भाजपा में रहते हुए उनके अवसर को रोकने और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने की राह में भाजपा के प्रमुख नेताओं द्वारा रोड़ा अटकाने की बात भी कही।
साय ने पूर्व सीएम डा सिंह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि इनके द्वारा रोड़ा अटकाने के कारण छत्तीसगढ़ को आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं मिल पाया। भाजपा जब पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने की स्थिति में आई और विधायक दल का नेता चुनने का समय आया तब अलग ही कहानी रच दी गई। हमने दावा भी किया और जोगी शासनकाल में पार्टी के लिए संघर्ष करने की बात भी कही। शीर्ष नेता अलग ही बात कहने लगे। चुनाव हारने को कारण बता दिया। विधानसभा चुनाव में पराजित होने का कारण बताते हुए विधायकों से उनकी बात सुने बिना ही हमारे दावों को खारिज कर दिया। भाजपा में रहते हमने यह महसूस किया कि भाजपा के नेता सार्वजनिक रूप से कहते कुछ हैं और जब अवसर की बात आती है तो चेहरा दूसरा हो जाता है। ये मन से नहीं चाहते कि आदिवासियों के बीच से नेतृत्व उभरकर सामने आए और सीएम की दावेदारी करने लगे। विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में मनमानी का भी आरोप लगाया।
अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि तपकरा विधानसभा क्षेत्र से हमने टिकट मांगी थी। डा रमन सिंह ने इन्कार कर दिया। वे खुद ही नहीं चाहते थे कि हम विधानसभा चुनाव जीतें। चुनाव जीतने के बाद हमारी स्वाभाविक दावेदारी सामने आती। साय ने एक और बात कही, मुख्यमंत्री बनाने के लिए विधानसभा चुनाव जीतना जरुरी नहीं था। सीएम की शपथ लेने के बाद उपचुनाव लड़ लेते। यह तब होता है जब शीर्ष नेतृतव का मन साफ होता है। आप तो चाहते ही नहीं कि आदिवासियों के बीच नेतृत्व उभर कर सामने आए।