राजनीति

पुरूष, पुरुषत्व औऱ पुरूषार्थ……

आज एक खबर अधिकांश लोगों के लिए चटखारे वाली हो सकती है। ये खबर है पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड के एक पोर्न स्टार स्टार्मी डेनियल्स को  hush money (हमारी  भाषा मे ऐसी राशि, जिसे किसी ऐसे विषय जिससे चार आदमियों के मुँह खुल सकते है, उसे  बंद करने के लिए दिया जाता है) के रूप में 1 करोड़ 7 लाख  देने वाली । स्वतंत्र अमेरिका के  234 वर्ष के इतिहास में  46 राष्ट्रपति बने उनमें ट्रम्प  पहले  राष्ट्रपति होंगे जिनके खिलाफ स्त्री मामले को लेकर क्रिमिनल केस चलेगा।

 पश्चिमी देशों में पुरुष स्त्री के संबंध में खुलापन है। शारीरिक संबंध के पीछे सहमति की स्वीकार्यता है। ये माना जाता है कि  विवाह वहां धार्मिक संस्कार न होकर संविदा( contrect) है। संबंधों में थोड़ा भी उच नीच होने पर  अलग हो जाने की बात सामान्य है।  विवाह के बिना भी पुरुष स्त्री के साथ रहना, समलैंगिक विवाह जैसी परम्परा एक फैशन है। विवाह विच्छेद के बाद भी मित्रता जैसी अवधारणा इन देशों में देखने सुनने को मिलती है। अब विषय है तो थोड़ा सा  अपने देश मे भी देख लेते है। पश्चिम  की हवाओ ने पूर्व को भी लपेटे में थोड़ा थोड़ा लिया है। महानगरों में  पश्चिम के नजारे कम से कम फिल्मों या अन्य क्षेत्र से जुड़े बड़े लोग हमें दिखा ही रहे है।  आज के युवा वर्ग में पश्चिम का असर देखने को मिल भी रहा है।लिव इन रिलेशन , नया संबंध आयाम है।वैसे भी अभिजात्य वर्ग में शामिल होंने के लिए अपनी संस्कृति  की सीमा रेखा पार तो करना  पड़ता ही है।

 अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रम्प  के बहाने बात पुरुष वर्ग की होनी चाहिए। पुरुष कही का भी हो उसकी आदतें पुरुष की होती है। आदिकाल से धन अर्जन की प्रक्रिया ने पुरुष को घर के बाहर का भी व्यक्ति बना दिया है । इसी के चलते बाहरी संबंध भी विकसित हो जाते है। डोनाल्ड ट्रम्प तो एक प्रतीक है। वैसे तो किसी के भी निजी जीवन मे दखलंदाजी करना ही अवैधानिक है लेकिन सार्वजनिक जीवन जीने  वालो को यश के बराबर ही अपयश भी झेलना पड़ता है क्योंकि वे किसी क्षेत्र विशेष के सितारे भी होते है और प्रेरणा भी होते है दुसरो के लिए। उनका अनुकरण किया जाता है इस कारण मर्यादित रहने की भी विवशता भी होती है। यही विवशता  ट्रम्प के भी हिस्से में आई, वे सीमा रेखा पार करने के बाद उस मुद्दे को पर्दे में रखने के लिए hush money का भुगतान कर बैठे। पश्चिमी देशों में विवाह पश्चात पर स्त्री से संबंध को गलत  निगाहों से नही देखा जाता है। बराबरी का दर्जा है। पुरूष के द्वारा स्वीकार कर लिए जाने पर भी वैवाहिक संबंध  सामान्य बने रहते है।  बिल क्लिंटन के मामले को देख लीजिए।

 मुद्दा है पुरुष का  पुरुषत्व का  औऱ पुरुषार्थ का है। आम तौर पर पुरुष स्त्री के मामले में लालची होता है, मन मे काम लालसा होती है, पुरुष होने  के नाते अनेक स्त्रियों से शारीरिक संबंध बना कर पुरुषार्थ को प्रमाणित करने की उत्कट लालसा  मस्तिष्क में जाल बनाते रहती है।  पुरुषो के बीच बातचीत में स्त्री और उसके रहन सहन  विषय होते है। 

 अपने  पुरुषार्थ को सिद्ध करने की आदत के चलते अधिकांश स्त्रियों के सामने पुरुष आभासी  चतुर होते हुए भी लम्पट ही होता है।स्त्रियों को ईश्वर ने ये समझ बड़े करीने से दी है कि वे आवरण में छिपे पुरुष के पीछे के मर्द को पहचान लेती है(ये बात अलग है कि वे भी झपा भी जाती है)। जब भी ट्रम्प जैसे व्यक्ति अपने चरित्र के कारण पकड़े जाते है ,पुरुष वर्ग संदेह के दायरे से बाहर निकल कर चरित्रहीन श्रेणी में खड़ा होते  दिखता है।  ट्रम्प की जिंदगी भी  लंपट ही रही है(हमारे हिसाब से)  31 साल की उम्र में उन्होंने मॉडल इवाना जेलनिकोवा  से विवाह किया।44 साल की उम्र में अभिनेत्री मारला मेपल्स से दूसरी शादी की।59 वर्ष की उम्र में मेलेनिया नास से तीसरी शादी की( अनेक पुरुषअपने आपको इस मामले में अंत्योदय पुरुष  मान सकते है) याने उन्मुक्त संबध के प्रवर्तक रहे। इसके बावजूद एक पोर्न स्टार के साथ संबंध भी प्रगाढता की रही।इस तथ्य को स्वीकार कर लेते तो भले ही क्लिंटन जैसा नाम होता लेकिन क्रिमिनल केस नही बनता।  ट्रम्प ने एक बारगी सम्पूर्ण पुरुषो को फिर से प्रामाणिक संदेह में घेरे में ला तो दिया है। आज अनेक घरों की स्त्रियां अपने पति या मित्र से पूछने का अधिकार पा ही गयी है कि क्यो जी तुम भी ट्रम्प जैसे तो नही करते!

स्तंभकार- संजयदुबे

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