सड़क पर रतजगा ट्रक ड्राइवर बनाम अर्थव्यवस्था का असली हीरो
प्रगतिशील देश के पहचान में अच्छी एवं मजबूत सड़को पर घूमती ट्रकों के पहियों के साथ 24+7 रातजगा 80 लाख ट्रक ड्राइवर देश की अर्थव्यवस्था का असली हीरो होता है। देश में कुल 599 राष्ट्रीय राजमार्गो के तहत 3745 कि.मी. लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग और 5.9 कि.मी. सबसे छोटी राष्ट्रीय राजमार्ग है। प्रतिदिन 15 मिनट में राजमार्गो में दुघर्टना होती है एवं प्रतिवर्ष 50 हजार से अधिक राहगीरों की सड़क दुर्घटना में जान जाती है। सड़कों पर दुघर्टना के प्राय दो कारण होते है। प्रथम कारण सड़क निर्माण की तकनीकी त्रुटी (ब्लैक स्पॉट एवं अंधी मोड़) के अलावा सड़को की रख-रखाव में लापरवाही रहती है। दूसरा कारण वाहन चालको द्वारा शराब के नशें में लापरवाही पूर्णक वाहन चलाना भी सड़क दुघर्टना के मुख्य कारण होते है।
रातजगा ट्रक ड्राइवरों की जिंदगी, ट्रकों के केबीन में बीत जाती है। कई महिनों तक ट्रक ड्राइवर अपने परिवारों से दूर रहकर जिम्मेदारी एवं ईमानदारी के साथ अपना कर्त्तव्य निभाते हुए देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते आ रहे है। इनके कंधो पर बाजार का अर्थव्यवस्था एवं हितग्राहियों का जवाबदारी रहता है। प्रायः ट्रक ड्राइवरों पर पुलिसिया कार्यवाही अनावश्यक रहता है। टोल नाका पर सामानों की जांच एवं वजन पर हमेशा ट्रक ड्राइवरों से अधिक राशि का दोहन किया जाता है। ट्रक ड्राइवरों पर संदेह की नजर टोल मालिक एवं पुलिस प्रशासन का हमेशा रहता है। गंतव्य तक ट्रक ड्राइवरों को कम्पनी मालिको का सामान जिम्मेदारी एवं ईमानदारी के साथ पहुचाना एक कठिन लक्ष्य रहता है। इस दरम्यिान सड़क पर हुए दुघर्टना का सम्पूर्ण जवाबदार ट्रक ड्राइवरो को बनाया जाता है।
अंग्रेजो के शासन काल के 1860 में सड़क पर हुए दुर्घटना पर ट्रक ड्राइवरो को अधिकतम 06 माह की सजा अथवा 1000 रूपये का जुर्मना या दोनों एक साथ प्रावधान था। भारत सरकार द्वारा 19 दिसम्बर 2023 को सांसद में ‘‘हिट एंड रन’’ का काला कानून को 146 विपक्षी सांसदो को अलोकतंत्रिक तरीके से बाहर का रास्ता दिखाकर असंवैधानिक रूप से ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों एवं ट्रक ड्राइवरों और विपक्षी सांसदो से बिना विचार विमर्श कर जबारदस्ती लागू किया गया है। इस काला कानून के अतर्गत ट्रक ड्राइवरों को 07 साल की सजा एवं 10.00 लाख रूपयों का जुर्माना अथवा दोनों एक साथ प्रावधान रखा गया है। इस काले कानून को 1 जनवरी 2024 से पूरे देश में लागू करने का प्रावधान रखा गया है।
रातजगा ट्रक ड्राइवरों ने ‘‘हिट एंड रन’’ के नये बने काला कानून का नये वर्ष के माध्य रात्रि में एक जुट होकर सड़को पर विरोध दर्ज करते हुए चक्का जाम किये। लगातार 3 दिनों तक राष्ट्रीय राजमार्गो पर ट्रकों का चक्का घूमना बंद होने से पूरे भारत वर्ष में रोजमर्रा की समानों की आपूर्ती एवं पेट्रोल डिजल का संकट होने लगा। जिसे मंहगाई एवं कालाबजारी बढ़ने से जनता को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा। ट्रक ड्राइवरों में बढ़ते असंतोष को देखते हुए तुरन्त ही शासन द्वारा ट्रक मालिकों एवं ट्रक ड्राइवरों के साथ बैठके प्रारंभ शुरू हुई पर शासन में बैठे अकड़बाज एवं लालफीताशाही जिलाधीश शाजापुर मध्य प्रदेश द्वारा धौंस दिखाते हुए कहा जाता है कि तुम्हारी औकात क्या है ? जवाब आता है कि-साहब हमारी क्या औंकात है। किन्तु हम सब आपसे प्रार्थना करने आये है।
प्रायः सभी ट्रक ड्राइवर मध्यम परिवार से आते है। ट्रक ड्राइवरों का मासिक आय लगभग 10 हजार रूपयों के आस पास रहता है। गिने चुने ट्रक मालिकों द्वारा साल में एक बार बोनस एवं नाम मात्र का मेडिकल भत्ता दिया जाता है। पूरी जिदगी किराये के मकानों में रहकर ट्रक मालिकों को कई मंजिलों का मकान का मालिक बना देते है। समय के अभाव में ट्रक ड्राइवरों के बच्चे अच्छे परवरिश के बिना सही मंजिल तक नही पहुच पाते है। ऐसी हलात में रातजगा ट्रक ड्राइवर नये काला कानून के अंतर्गत 10.00 लाख का जुर्माना कैसे भुगतान करेगा। परिणाम स्वरूप ट्रक ड्राइवरों द्वारा अपने व्यवसाय से मुख मोड़ते हुए अन्य व्यवसाय के माध्यम से अपने छोटे से परिवारों का दायित्व निभाने में मजबूर हो रहे है।
इसी ‘‘हिट एंड रन’’ कानून के संदर्भ पर सन् 1972 में दुलाल गुहा के निर्देशन में फिल्म ‘‘दुश्मन’’ में अदालत द्वारा अपराधी ट्रक ड्राइवर को मानवीय संवेदना के आधार पर मृतक परिवार का भरण-पोषण के लिए 07 सात का सजा सुनाई जाती है। सजा पूर्ण होने के बाद दुश्मन, पीड़ित परिवार का अंतरंग दोस्त बन जाता है। पूरे देश में ट्रक ड्राइवरों को उनकी मांग पर मिल रहे समर्थना के आगे भारत सरकार को झुकना पड़ा। अंततः भारत सरकार द्वारा ‘‘हिट एंड रन’’ के नये कानून को वर्तमान समय में लागू नही करने का आश्वासन दिया गया है। जिसके परिणामस्वरूप ट्रक ड्राइवरों ने सड़को पर घुमते हुए पहियों के साथ दैनिक जीवन के सामानों एवं पेट्रोल डीजल का किल्लत समाप्त हुई। किन्तु घबराई हुई मौकापरस्त शासन कभी भी काले कानून को लागू कर सकती है।
इंजीनियर तपन चक्रवर्ती