आदिवासी समाज पार्टी ने छत्तीसगढ़ की 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का किया ऐलान
0 नेताम बोले- चुनाव लडने का शौक नहीं -समाज की जरुरत
रायपुर, आदिवासी समाज पार्टी बनाकर छत्तीसगढ़ की 50 से अधिक सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। 33 आरक्षित सीटों के साथ 20 सामान्य सीटों में भी प्रत्याशी उतारे जाएंगे, क्योंकि इन सीटों पर आदिवासी समाज के वोट अधिक हैं। सर्व आदिवासी समाज के प्रदेशाध्यक्ष अरविंद नेताम ने कहा कि मजबूरी में आदिवासी समाज को चुनाव लड़ना पड़ रहा है। राज्य सरकार जानबूझकर 32 प्रतिशत आरक्षण को उलझा रही है।
बस्तर प्रवास से लौटे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सर्व आदिवासी समाज के प्रदेशाध्यक्ष अरविंद नेताम ने धमतरी में पत्रकारों के साथ चर्चा में कहा कि समाज को चुनाव लड़ने का शौक नहीं है। हमारे संवैधानिक अधिकार एवं कानून की उपेक्षा हो रही है। 10-15 वर्षों में समाज का कटु अनुभव रहा है। पिछले 10 सालों से लगातार आदिवासी समाज 23 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन एक भी मांग पर सुनवाई नहीं हो रही है। कोई सुनने को तैयार ही नहीं है। समाज मांग करते करते थक गया है। मजबूरी में समाज को चुनाव लड़ना पड़ रहा है। 50 से अधिक सीटों में चुनाव लड़ने की तैयारी है। 33 आरक्षित सीटों के अलावा 20 सामान्य सीटों में भी चुनाव लड़ेंगे, जहां आदिवासियों की अधिक संख्या है।
नेताम ने कहा कि बस्तर के सिलगेर में दो वर्षों से आंदोलन चल रहा है। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसके अलावा बस्तर में कई आंदोलन चल रहे हैं, जिसकी सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार में इच्छाशक्ति नहीं है इसलिए आरक्षण को उलझा दिया गया है। मामला अदालत में है। 32 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा या नहीं इस पर अभी भी संशय है। जिसको सरकार में रहना है उसे आरक्षण लागू करना पड़ेगा, क्योंकि आदिवासी समाज सदियों से सताए गए हैं। उन्हें वंचित रखा गया है। जातिवाद, छुआछूत, वर्ण व्यवस्था में उन्हें बांधकर पीछे धकेल दिया गया है। पेसा कानून पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार पेशा कानून को लेकर इमानदार नहीं है। मूल कानून में जल, जंगल, जमीन के अधिकार आदिवासियों को दिया गया था, उसे इन सरकारों ने खत्म कर दिया।