चुनाव का आयोग…………
चाहे केंद्र स्थित लोकसभा हो या सभी राज्यों के विधानसभा ,इनके सदस्यों के निर्वाचन की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की होती है। 1952 से लेकर आसन्न लोकसभा और कुछ राज्यो के चुनाव निर्वाचन आयोग को कराना होता है।
निर्वाचन आयोग, भारत के संविधान में अनुच्छेद 324अंतर्गत एक स्वायत्त और अर्ध न्यायिक संस्था है। निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी1950को ही हो गई थी। उस समय मुख्य निर्वाचन आयुक्त अकेले ही सर्वेसर्वा हुआ करते थे और कार्यकाल का समय निर्धारित नहीं था। इसी के चलते दूसरे मुख्य निर्वाचन आयुक्त कल्याण सुंदरम का कार्यकाल 8साल284दिन और पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन का कार्यकाल 8 साल 273 दिन रहा। 1991 से 6 साल या 65 साल की उम्र का निर्धारण हो गया। सबसे कम समय के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त इकलौती महिला रमा देवी केवल 16 दिन रही। रमा देवी आगे चलकर हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की राज्यपाल भी रही। रमा देवी राज्यसभा की सेक्रेटरी जनरल भी रही। हरिशंकर ब्रह्मा (92दिन), नागेंद्र सिंह (128दिन) अचल कुमार ज्योति (200दिन) आर वी टंडन (269दिन) और ओम प्रकाश रावत (312दिन) के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे।
सुकुमार सेन पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त से लेकर वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार तक 25 मुख्य निर्वाचन आयुक्त हुए है। इनमे सर्वाधिक सुधारवादी और चर्चित मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी ए शेषन रहे, जिन्होंने निर्वाचन आयोग की परिभाषा ही बदल कर रख दी। उनके पद सम्हालने से पहले चुनाव में फर्जी मतदान, पैसा शराब और सरकारी पद के दुरुपयोग सामान्य बात थी। देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा रायबरेली में सरकारी अधिकारियों को दबाव डाल कर चुनाव को प्रभावित किया गया था। उत्तर प्रदेश और बिहार में बाहुबल के द्वारा दुरुपयोग किया जाता था। चुनाव में सरकारी और गैर सरकारी दीवारों में प्रचार प्रसार सामान्य बात थी। प्रत्याशी कितना खर्च करेगा इसका लेखा जोखा नही होता था। शेषन ने फिजा ही बदल कर रख दिया। उनके कार्यकाल में 1488 प्रत्याशी अयोग्य घोषित कर दिए गए। शेषन खुर्राट मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे । भगवान के बाद राजनैतिक दलों के प्रत्याशी उनसे डरते थे । मुख्य निर्वाचन आयुक्त पद से हटने के बाद उनके व्यक्तित्व का पतन बहुत हुआ। 1997 में वे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लडे। के आर नारायण से वे चुनाव हार गए। 1999 में कांग्रेस की टिकट पर गांधीनगर में लाल कृष्ण आडवाणी से 1,89 लाख मतो से पराजित हो गए। टी ए शेषन के कार्यकाल में ही अन्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति का भी कार्य हुआ।।
मुख्य निर्वाचन आयोग का कार्य केवल चुनाव करवाना ही नहीं है बल्कि राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और क्षेत्रीय दलों को मान्यता देना और लेना भी है। राजनैतिक दलों को चुनाव चिन्ह देना और चुनावावधि में नियंत्रण रखना भी है।मतदाता परिचय पत्र सहित नए मतदाताओं के नाम जोड़ने और मृत मतदाताओं के नाम काटने के अलावा चुनाव के नामांकन से परिणाम घोषणा तक का कार्य आयोग का रहता है। आदर्श आचार संहिता लगाना और चुनाव प्रभावित करने वाले अधिकारियो को हटाने का कार्य भी निर्वाचन आयोग का होता है। प्रचार में निगरानी, पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी निर्वाचन आयोग कर निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है। आचार संहिता लगने का कार्य 1971से प्रारंभ हुआ था।
चलते चलते भारत के 25मुख्य निर्वाचन आयुक्त का नाम भी जान ले
1 सुकुमार सेन
2 के व्ही के सुंदरम
3 एम सी सेनवर्मा
4 डा नागेंद्र सिंह
5 टी स्वामीनाथन
6 एस एल शकधर
7 आर के त्रिवेदी
8 पैरी शास्त्री
9 श्रीमती रमा देवी
10 टी ए शेषन
11 डा एम एस गिल
12 जे एम लिंगदोह
13टी एस कृष्णमूर्ति
14 बी बी टंडन
15 एन गोपाल स्वामी
16नवीन चावला
17 डा एस वाय कुरेशी
18व्ही एस संपत
19एच एस बृह्मा
20 डा नसीम जैदी
21ए के कोटि
22ओ पी रावत
23सुनील अरोरा
24सुशील चन्द्रा
25 राजीव कुमार
मुख्य निर्वाचन आयुक्त अथवा निर्वाचन आयुक्त को पद से हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीशो को जिस तरह से हटाया जा सकता है वैसी ही प्रक्रिया है। केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन स्वामीनाथन ने आयुक्त नवीन चावला को हटाने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पत्र लिखा था लेकिन ये नियमानुसार नहीं था। नवीन चावला आगे चलकर मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने।
स्तंभकार- संजयदुबे