POLITICS; जब 83 साल के चाणक्य ने भरी अंगड़ाई तो 48 सीटों वाले सूबे में ध्वस्त हो गई मोदी-शाह की रणनीति!
नईदिल्ली, लोकसभा चुनाव के रूझान अब नतीजों में तब्दील होने लगे हैं. इस चुनाव में 400 पार का नारा देने वाली भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करती नहीं दिख रही है. अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक वह 91 सीटें जीत चुकी है जबकि 153 सीटों पर आगे है. यानी उसको कुल 244 सीटें आती दिख रही है. बीते 2019 के चुनाव में उसे 303 सीटें मिली थीं. हालांकि एनडीए स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रही है. उसे 295 सीटें मिल रही है.
भाजपा का पूरा खेल राजनीतिक रूप से देश के दोनों सबसे बड़े सूबों में हुआ है. उसे 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश के साथ 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में तगड़ा झटका लगा है. अभी हम बात महाराष्ट्र की करते हैं. राजनीतिक रूप से देश के इस दूसरे सबसे बड़े राज्य में वयोवृद्ध नेता शरद पवार को राजनीति का ‘चाणक्य’ कहा जाता है. लेकिन, बीते साल इस चाणक्य को उनके बेटे जैसे अपने भतीजे अजित पवार ने गहरी चोट की. जिस पार्टी को उन्होंने पैदा किया था उसी पार्टी पर अजित पवार ने कब्जा कर लिया. इसमें भाजपा के परोक्ष समर्थन से इनकार नहीं किया जा सकता. एनसीपी को दोफाड़ कर अजित पवार भाजपा के साथ मिल गए और राज्य की सरकार में डिप्टी सीएम बन गए.
साहब का दर्द
घर से बेघर किए जाने का दर्द ‘साहब’ को सताने लगा. फिर उन्होंने 83 की उम्र ऐसी अंगड़ाई भरी कि महाराष्ट्र के बडे़-बड़े सूरमाओं को मात खानी पड़ी है. महाराष्ट्र में 83 की उम्र में शरद पवार ने इंडिया गठबंधन की रणनीति का नेतृत्व किया. हर एक सीट की रणनीति बनाई. शिवसेना उद्धव गुट के उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले के पीछे एक चट्टान की तरह खड़े हुए और फिर क्या था. राज्य में पीएम मोदी और अमित शाह के साथ-साथ देवेंद्र फडणवीस की सभी रणनीति धवस्त हो गई.
दरअसल, शरद पवार को जानने वाले जानते हैं कि वह महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके के कितने बड़े नेता हैं. जब भी उनको चुनौती मिली वह उसे स्वीकार करते रहे. 2020 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने दम पर पीएम मोदी लहर को चुनौती दी और एनसीपी को कांग्रेस से बड़ी पार्टी बना दी.
फिर विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री के मुद्दे पर एनडीए से शिवसेना के अलग होने बाद राज्य में महाविकास अघाड़ी बनाया और शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का एक जटिल गठबंधन बनाया. फिर इसे सफल भी बनाया. इस गठबंधन को भाजपा ने एक चुनौती के रूप में लिया. फिर दो साल के भीतर शिवसेना दोफाड़ हो गई और एक धड़े के साथ भाजपा ने राज्य में सरकार बना लिया.
शरद पवार निजी हमले
खैर, इस चुनाव में भी शरद पवार पर कई निजी हमले किए गए. पीएम मोदी ने भी उनके खिलाफ बयान दिए. लेकिन, शरद पवार ने इन सभी सवालों का जवाब अपने पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा होकर दिया. उन्होंने हर एक सीट के लिए रणनीति बनाई. इस क्रम में वह अपने कई पुराने विरोधियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब हुए.