ancestral business ;विधायक जब हाथ में उस्तरा थामकर ग्राहक की बनाने लगे दाढ़ी,समाज को दिया संदेश, कहा- कोई काम छोटा नहीं होता
दुर्ग, छत्तीसगढ़ के वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने उस्तरा उठाकर एक कस्टमर की दाढ़ी बनाई। लोग यह देखकर हैरान हो गए। कहने लगे, एक विधायक क्यों दाढ़ी बना रहे हैं? क्या रिकेश पहले भी दाढ़ी बनाते रहे हैं? उनके घर का यह काम पुश्तैनी है…? इन तमाम सवालों के जवाब देते हुए विधायक रिकेश सेन ने कहा कि हमें अपना पुराना काम नहीं भूलना चाहिए। लोग लोक-लाज में आकर अपनी जाति, धर्म छिपाने में लगे हुए हैं। कई ऐसे लोगों को मैं जानता हूं जो श्रीवास होने के बावजूद श्रीवास्तव लिखने लगे हैं क्योंकि हमारा सेन समाज माइक्रो ओबीसी है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ सेन सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष और वैशाली नगर विधायक ने राजधानी रायपुर के एक सैलून में पहुंचकर खुद ग्राहकों की सेविंग कर समाज के लोगों को यह संदेश दिया है कि कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। समाज में कुछ लोग धीरे- धीरे अपनी जाति बताने में शर्मींदगी भी महसूस करते हुए चुपके से अपना सरनेम तक बदल लेते हैं। सेन ने कहा कि ईश्वरीय शक्ति ने मानव मूल के जिस परिवार, जाति या धर्म में हमें जन्म दिया है । उसे कभी भी बदलना नहीं चाहिए। उन्होंने आर्थिक तंगी या लालच में धर्म बदलने वालों को भी एक सबक देने का ऐसा प्रयास किया है।
विधायक रिकेश सेन ने बताया कि वो रायपुर की एक सेलून में गए थे और दुकान में खुद ग्राहक की सेविंग कर बताना चाहते थे कि हमारे नाई समाज के लोग जब अच्छे पदों पर चले जाते हैं तो अपनी जाति को अपने समाज को छिपाने लगते हैं जो बड़ी ही चिंताजनक बात है। जैसे हमारे छत्तीसगढ़ में जो श्रीवास हैं वह जब बड़े पदों पर पहुंचे तो अपना सरनेम श्रीवास्तव लिखने लगे, क्योंकि उनको लगता है कि मैं अपनी वास्तविक जाति बताऊंगा तो लोग उन पर हंसेंगे, मजाक उड़ाएंगे।
अब मैं विधायक बन गया हूं, विधायक कर्पूरी ठाकुर हमारे नाई समाज के प्रथम मुख्यमंत्री थे और लगभग साठ वर्ष बाद नाई समाज से मैं दूसरा विधायक बना हूं। जननायक कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री थे उनसे सीखना चाहिए, उन्होंने कभी अपनी जाति को नहीं छिपाया। मैं यहां पर आया हूं सैलून दुकान में, मुझे गर्व है कि मैं नाई जाति में पैदा हुआ हूं, मैं सेन समाज से हूं, मैं तो बस इतना चाहता हूं कि समाज के जो लोग अच्छे पदों पर हैं वे खुलकर सामने आएं। इससे उन्हें देख कहीं न कहीं समाज आगे बढ़ेगा।