राज्यशासन

सरकार के 200 करोड़ रुपए बचाने नगरीय निकाय के प्लेसमेंट कर्मचारियों के आंदोलन को कुचलने की कोशिश

रायपुर, छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी संघ द्वारा 10 अप्रैल को पूरे प्रदेश के नगरीय निकाय में प्लेसमेंट प्रथा बंद करने व नियमितीकरण करने की मांग के लिए एकदिवसीय आंदोलन किया जाना प्रस्तावित था। किंतु उच्च स्तर पर प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रवास का बहाना लेकर अधिकारी आंदोलन न करने की चेतानी व धमकी दे रहे हैं। जबकि इनकी मांग जनहित व शासन के हित में है। प्रतिवर्ष 200 करोड रुपए प्लेसमेंट का ठेकेदार हजम कर रहा है। इसलिए प्लेसमेंट व्यवस्था बंद करने से राज्य शासन को आर्थिक लाभ होगा फिर भी आंदोलन नहीं करने दिया जा रहा है।

   कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया है कि प्रदेश के नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी महासंघ निरंतर मुख्यमंत्री द्वारा 2018 में सार्वजनिक रूप से किए गए घोषणा प्लेसमेंट व ठेका प्रथा बंद किया जावेगा। इसका पालन कराने हेतु आंदोलन किया जा रहा है। वास्तव में जनघोषणा पत्र में किए गए वादे के अनुरूप सरकार को स्वयं प्लेसमेंट व ठेका प्रथा बंद कर देना चाहिए। चूंकि पूर्ववर्ती सरकार के ठेका प्रथा, प्लेसमेंट की व्यवस्था का विरोध कर सत्ता धारण करने वाले लोग अब प्लेसमेंट प्रथा बंद करने के आंदोलन को ही कुचल रहे हैं। इन कर्मचारियों के आंदोलन से राज्य सरकार नगरीय निकाय से सीधे कर्मचारी के खाते में पारिश्रमिक, मानदेय का भुगतान हो जाने से बीच के बिचौलिया प्लेसमेंट ठेकेदार द्वारा प्रति वित्तीय वर्ष में 200 करोड़ रुपए कमाना बंद हो जावेगा, तथा सरकार का शुद्ध 200 करोड़ राजकोष बचेगा। छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है कि ठेका प्रथा प्लेसमेंट वाले किसी न किसी का वरदहस्त व कृपा पात्र होते हैं। इसलिए उसे बंद नहीं किया जा सकता। शराब बंदी, ठेका प्रथा, प्लेसमेंट को बंद करने की घोषणा व जन घोषणा पत्र का पालन नहीं किया जा रहा है। इससे हजारों नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारियों में आंतरिक व्यापक आक्रोश व्याप्त है।

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