कानून व्यवस्था

अतीक़ ने बार-बार जताई थी हत्या की आशंका;भाई अशरफ़ ने कहा था, ‘दो हफ़्ते बाद मार डालेंगे’

नई दिल्ली: यह शब्द मंगलवार (11 अप्रैल) को गैंगस्टर अतीक अहमद ने उस समय कहे थे, जब उत्तर प्रदेश पुलिस का एक दल उन्हें उमेश पाल हत्याकांड के संबंध में गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती केंद्रीय जेल से लेकर इलाहाबाद के लिए रवाना हो रहा था. इस दौरान पुलिस वैन के अंदर से ही मीडिया से बात करते हुए उसने उपरोक्त शब्द कहकर अपनी हत्या की आशंका जताई थी.

सके चौथे ही दिन यानी शनिवार 15 अप्रैल की रात अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसे महज एक संयोग माना जा सकता था, लेकिन जिस दिन से अतीक को गुजरात की साबरमती जेल से सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद लाए जाने की कवायद शुरू हुई थी, उसी दिन से न सिर्फ अतीक अहमद बल्कि उसके साथ मारे गए उसके भाई अशरफ और उनके परिजन भी हत्या की ऐसी ही आशंकाएं बार-बार जता रहे थे. अशरफ ने तो एक मौके पर यह भी कहा था कि एक अधिकारी ने उसे बताया है कि दो हफ्ते बाद उसे मार दिया जाएगा. और दो हफ्ते बाद उसकी हत्या हो भी गई.

गौरतलब है कि इलाहाबाद शहर पश्चिम के विधायक रहे राजू पाल और उनके पुलिस गार्ड की 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज इलाके में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में उनके रिश्तेदार और दोस्त उमेश पाल मुख्य गवाह थे. उमेश ने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में इस हत्याकांड की पैरवी की थी. उमेश पेशे से वकील थे.

बीते 24 फरवरी को इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में अज्ञात हमलावरों ने 48 वर्षीय उमेश पाल पर गोलीबारी की और देसी बम फेंके थे. अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. हत्या के अगले दिन पुलिस ने जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. अतीक अहमद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात की जेल में बंद था, जबकि अशरफ बरेली की जेल में था.

उमेश पाल की हत्या को लेकर 25 फरवरी को विधानसभा में अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी. इस दौरान योगी ने माफियाओं को मिट्टी में मिला देने की बात कही थी. 1 मार्च को अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि ‘यूपी पुलिस फर्जी एनकाउंटर में उसकी हत्या करवा सकती है.’ इस संबंध में उसने मुख्यमंत्री योगी के बयान का भी हवाला दिया और अपनी जान को खतरा होना बताया था.

गौरतलब है कि अतीक अहमद को यूपी से गुजरात की जेल सुप्रीम कोर्ट ने ही भेजा था, क्योंकि देवरिया जेल में एक वारदात हुई थी, जिसमें एक व्यापारी को अतीक अहमद ने कथित तौर पर जेल में बुलवाकर पिटवाया था. इस आरोप की जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे साबरमती जेल स्थानांतरित किया था.

बहरहाल, याचिका में अतीक ने आशंका जताई थी कि यूपी पुलिस उसके ट्रांजिट रिमांड की मांग कर सकती है और उसे, यह आशंका और विशेष रूप से यूपी के मुख्यमंत्री द्वारा सदन में दिए गए बयान के मद्देनजर, विश्वास है कि किसी न किसी बहाने यूपी पुलिस द्वारा उसे फर्जी एनकाउंटर में मारा जा सकता है.अतीक ने अदालत से यह निर्देश देने का आग्रह किया था कि उससे अहमदाबाद में पूछताछ की जाए. यदि उसका उत्तर प्रदेश जाना आवश्यक हो तो ऐसा अर्धसैनिक बलों के संरक्षण में किया जाए.

अपनी याचिका में उसने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी और कहा था कि उसे और उसके परिवार के सदस्यों को कोई शारीरिक चोट या अन्य नुकसान न पहुंचाया जाए.साथ ही, उसने यूपी सरकार और अन्य को उसे अहमदाबाद से इलाहाबाद या यूपी के किसी भी हिस्से में ले जाने पर रोक लगाने के निर्देश भी मांगे थे.

अतीक के वकील ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा था, ‘हमने इस आधार पर याचिका दाखिल की है कि हमें यूपी पुलिस से और यूपी में जान का खतरा है] इसलिए हमें यूपी पुलिस के हैंडओवर न किया जाए, यूपी न भेजा जाए. जब से सुप्रीम कोर्ट ने हमें अहमदाबाद भेजा है, सारी न्यायिक प्रक्रिया वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चल रही है और बड़े अच्छे तरीके से चल रही है. इसलिए हम चाहते हैं कि न्यायिक कार्यवाही कोई होनी है तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो.’

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