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जब सचिन हिट विकेट हो गए……..

क्रिकेट में कितने तरीके से आउट हुआ जा सकता है? जो लोग सामान्य क्रिकेट प्रेमी है वे बोल्ड, कैच आउट, एलबीडब्ल्यू, स्टंप्ड, हिट  रन आउट  औऱ हिट विकेट को ही जानते है।  5 अन्य तरीके भी है जिसमे हैंडल द बाल, टाइम आउट, ऑब्स्ट्रेक द फील्ड, डबल हिट  और रिटायर्ड आउट  है।  सचिन तेंदुलकर अपने टेस्ट और वनडे क्रिकेट जीवन मे इन 4 तरीकों से कभी आउट नही हुये। एक बार वे वनडे मैच में हिट विकेट जरूर हुए है।

  200 टेस्ट में सचिन तेंदुलकर टेस्ट में 54 बार बोल्ड,169 बार कैच आउट(इसमे 42 बार विकेटकीपर),63 बार एलबीडब्ल्यू, 9 बार रन आउट औऱ एक बार  स्टंप्ड हुए है।

 463 वनडे मैच में 68 बार बोल्ड,258 बार कैच आउट( 72  बार विकेटकीपर),39 बार एलबीडब्ल्यू,34 बार रन आउट, 11 बार स्टंप्ड औऱ  एक बार हिट विकेट हुए है। 2008 में भारत, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के त्रिकोणीय सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 7 वे ओवर में ब्रेट ली के बॉल को खेलने के लिए सचिन इतने पीछे चले गए कि उनका पैर स्टम्प में  लग गया और गिल्ली गिर गयी थी। इस प्रकार उनके आउट होने के तरीके में इस प्रकार से आउट होने का भी रिकार्ड जुड़ गया।

जीवन के टेस्ट की पहली पारी में नाबाद 50

 14 नवम्बर औऱ 15 नवम्बर में कितने दिन का फर्क है ? ये प्रश्न आपसे पूछा जाए तो आप बता सकते है कि 1 दिन का अंतर है। यही प्रश्न सचिन तेंदुलकर से पूछा जाए तो वो बताएंगे कि 23 साल 364 का अंतर है। सचिन का उत्तर उनके हिसाब से बिल्कुल सही है । सचिन ने 15 नवम्बर 1989 को पहला टेस्ट खेला  और अपना आखिरी टेस्ट (200वां) 14 नवम्बर 2013 को खेला था।

 1932 से लेकर 2023 याने 91 साल के भारतीय क्रिकेट के  सफर में अब तक 305 खिलाड़ियों ने टेस्ट, और 250 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ओर से वनडे मैच खेले है। इनके छोड़ क्रिकेट खेलने वाले देशों के भी सारे क्रिकेटर्स को भी जोड़ ले तो 200 टेस्ट 463 वनडे खेलने वाला कोई खिलाड़ी फिलहाल नही है।टेस्ट औऱ वनडे मिलाकर शतकों का शतक लगाने वाले सचिन तेंदुलकर आज अपने जीवन के टेस्ट की पहली पारी में नाबाद 50 पर पहुँच गए है। आमतौर पर एकदिवसीय मैच में स्ट्राइक रेट मायने रखता है लेकिन जीवन के टेस्ट में सब कुछ व्यवस्थित है। पल पल जुड़ कर सैकंड, फिर मिनट फिर घण्टे , दिन, सप्ताह, महीना  और साल। इस सबको समेटते हुए सचिन के जीवन के 50 नाबाद हो गए।

 1989 में पाकिस्तान के दौरे पर जब सचिन का चयन हुआ था तब वे शारदा आश्रम स्कूल की तरफ से विनोद कांबली के साथ 662 रन की साझेदारी के लिए विख्यात हो चुके थे। दोनो बल्लेबाजों ने तिहरा शतक लगाया था। करांची टेस्ट  में पाकिस्तान की टीम की कप्तानी इमरान खान के हाथों थी। तेज़ गेंदबाज़ों जे रूप में वसीम अकरम, वकार यूनुस  जैसे माहिर गेंदबाज थे। श्रीकांत ने सचिन को टेस्ट केप पहनाई औऱ सचिन का सफर शुरू हुआ। अपने पहले ही टेस्ट में सचिन ने इमरान खान को शतक लगाते देखा।  अपनी बारी आई तो 15 रन ही बना सके। सचिन ने अपनी बेहतरीन पारी की शुरुआत मैनचेस्टर (इंग्लैंड) से शतक लगा कर की।इसके बाद उनका बल्ला बोलता रहा। रुका तो 200 टेस्ट 463 वनडे का सफर पूरा हो गया था। शतकों के शतक लग चुके थे। वनडे में पहला 200 उनके नाम हो गया था। सबसे अधिक रन वे बना चुके थे।

प्रश्न अब ये है कि सचिन के रिकॉर्ड तोड़ेगा कौन? उन्होंने संभावना विराट कोहली में देखी थी। कोरोना में दो साल बर्बाद न होते तो शायद उम्मीद की भी जा सकती थी। मुझे लगता है कि कोई एक खिलाड़ी तो समग्र सचिन का रिकार्ड तोड़ नही पायेगा।

आज देश विदेश में वे लोग जो सचिन के संन्यास के बाद क्रिकेट को अलविदा कह दिए है वे जरूर ही सचिन को याद कर रहे होंगे क्योकि क्रिकेट का भले ही आस्ट्रेलियन भगवान सर डॉन ब्रैडमैन हो, वेस्टइंडीज के  विवियन रिचर्ड्स हो लेकिन भारत मे  क्रिकेट औऱ देश दुनियां के क्रिकेटर्स का भगवान सचिन तेंदुलकर ही है। जिनसे आने वाली पीढ़ी को सीखने को बहुत कुछ मिलेगा। खासकर 150 किलोमीटर से अधिक गति से आती बॉल को स्क्वेयर कट करना।

स्तंभकार -संजय दुबे

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