कानून व्यवस्था

58 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

रायपुर, सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश आरक्षण मामले में सुनवाई करते हुए 58 प्रतिशत आरक्षण को सही बताया है। 58 प्रतिशत आरक्षण पर रोक के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया है। जिसके बाद अब ये माना जा रहा है कि प्रदेश में भर्तियां 58 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर हो सकेगी। हालांकि अभी यह राहत अंतरिम है। मतलब अगली सुनवाई या नये तथ्य के आते तक भर्तियां की जा सकेंगी। इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। यहां करीब दो साल से आरक्षण विवाद के कारण भर्तियां, प्रवेश परीक्षाएं रुकी हुई हैं।

बीते साल नवंबर में ही हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 58 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी गई थी। राज्य सरकार की ओर से मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश इस मामले में बड़ी राहत के तौर पर देखे जा रहे हैं। जल्द ही इस पर सरकार अपना पक्ष रख सकती है, इसके बाद भर्ती और आरक्षण आधारित अन्य प्रक्रियाओं पर स्थिति साफ हो सकेगी।
CM ने किया स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- 58% आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने के निर्णय का हम सब स्वागत करते हैं। पर छत्तीसगढ़ के युवाओं के खिलाफ भाजपा के षड्यंत्र के विरूद्ध हमारा संघर्ष जारी रहेगा। राज्यपाल नए विधेयक पर हस्ताक्षर करें तभी सही न्याय मिलेगा। लड़ेंगे-जीतेंगे…

हाईकोर्ट कर चुका था खारिज
करीब 7 महीने पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यहां लागू 58 प्रतिशत आरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण फैसला करते हुए इसे खारिज कर दिया था। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2012 में 58 फीसदी आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरक्षण को 50 से बढ़ाकर 58 फीसदी करना असंवैधानिक है। कोर्ट ने आबादी के अनुसार आरक्षण देने को भी गलत माना था।

58 प्रतिशत के हिसाब से क्या थी व्यवस्था
राज्य शासन ने आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए 18 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की थी, इसके तहत लोकसेवा (अजा, अजजा एवं पिछड़ा वर्ग का आरक्षण) अधिनियम 1994 की धारा-4 में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार अजजा वर्ग को 32 फीसदी, अजा वर्ग को 12 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था।

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