स्वास्थ्य

डॉक्टरों ने इमरजेंसी ऑपरेशन कर दुर्घटना के शिकार युवक का हाथ कटने से बचाया

0 डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय

रायपुर, बाइक दुर्घटना के कारण राजधानी के एक 40 वर्षीय युवक के दाहिने भुजा की हड्डी बीचों-बीच से टूट गई। भुजा की हड्डी टूटने के कारण भुजा की मोटी नस ब्रेकियल आर्टरी भी कट गई थी। हड्डी के साथ ही खून की नस कटने से भविष्य में युवक का यह हाथ हमेशा के लिए खराब हो जाता क्योंकि दुर्घटना के चंद घंटे बाद हाथ पूरी तरह से ठंडा पड़ गया था लेकिन समय रहते डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टरों और हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने युवक का ऑपरेशन किया और हाथ कटने से बचा लिया। ऑपरेशन में हड्डी रोग विभाग से डॉ. राजेन्द्र अहिरे, डॉ. सौरभ जिंदल डॉ. लिंगराज एवं हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग से विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू एवं एनेस्थीसिया से डॉ. नीतीश शामिल रहे।

  मरीज के दाहिने भुजा की हड्डी टूटने एवं खून की नस कटने को चिकित्सकीय भाषा में “फ्रैक्चर ह्यूमरस विद ब्रेकियल आर्टरी इंज्यूरी” कहते हैं। वहीं जो ऑपरेशन किया गया उसको “ब्रेकियल आर्टरी रिपेयर विद इंटरनल फिक्सेशन ऑफ फ़्रैक्चर ह्यूमरस” कहते हैं।

   इस ऑपरेशन के संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. राजेन्द्र अहिरे बताते हैं कि घायल युवक 23 अप्रैल की रात इमरजेंसी ट्रामा में आया। डॉक्टरों ने प्रारंभिक उपचार प्रारंभ किया और एक्स रे, सीटी स्कैन और सोनोग्राफी जांच हुई। युवक की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने जल्द से जल्द टूटी भुजा और खून की नस को जोड़ने की योजना बनायी। हड्डी रोग विभाग के डॉक्टरों ने हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों को सूचना दी और मरीज के ऑपरेशन की योजना बनायी। आनन-फानन में मरीज को हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग की ओटी में शिफ्ट किया गया जहां पर दोनों विभाग के डॉक्टरों के संयुक्त परिश्रम और लगन से मरीज के हाथ का टूटा हिस्सा जुड़ गया। डॉ. राजेन्द्र अहिरे के अनुसार, ऑपरेशन में सबसे पहले हड्डी को खोलकर स्क्रू और प्लेट लगाया। फिर हड्डी को बैठाया गया। कटे हुए खून की नस के दोनों हिस्से को डॉ. के. के. साहू द्वारा एंड टू एंड रिपेयर किया गया। आज 19 दिन बाद हाथ पूरी तरह चलायमान है।

   0यदि समय पर ऑपरेशन नहीं होता तो हाथ में हो जाता गैंगरीन

    इस ऑपरेशन के संबंध में जानकारी देते हुए हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू बताते हैं कि चूंकि खून की नस के कट जाने से हाथों में खून का प्रवाह नहीं हो रहा था। यदि इसका इमर्जेंसी ऑपरेशन नहीं होता तो धीरे-धीरे हाथ का यह हिस्सा काला पड़ना शुरू होता और भविष्य में इसमें कोई गति नहीं होती। एक दिन यह पूरी तरह काला हो जाता और इसमें गैंगरीन हो जाता। उसके बाद इस हाथ को शरीर से काट कर निकाल दिया जाता। समय पर ऑपरेशन कर खून की नस को रिपेयर किया गया जिससे उसमें खून का प्रवाह पुनः चालू हो गया और हाथ पहले जैसा हो गया। मरीज का इलाज आयुष्मान योजना से निशुल्क हुआ। युवक की धर्मपत्नी के अनुसार परिजनों ने दुर्घटना के बाद अन्य चिकित्सालय ले जाने की सलाह दी थी लेकिन हमें अम्बेडकर अस्पताल के डॉक्टरों पर पूरा भरोसा था और आज यहां के डॉक्टरों की बदौलत मेरे पति का हाथ दुर्घटना के बाद भी पहले जैसे ठीक हो गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button