राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

अब और आक्रामक होगी ईडी

कहा जा रहा है कि कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में ज्यादा आक्रामक होंगे। माना जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई तेज होगी। कुछ अफसरों, कारोबारियों और राजनेताओं की गिरफ्तारी हो सकती है। कुछ अफसर और कारोबारी राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए हैं , लेकिन सुप्रीम कोर्ट से तत्काल कोई राहत मिल जाए, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश हो गया है। फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद आबकारी विभाग के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को ईडी ने गिरफ्तार कर ही लिया। त्रिपाठी को ईडी ने मुंबई से धर दबोचा। आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद ईडी की जद में आए अफसरों, कारोबारियों और राजनेताओं के लिए नई संभावना जगी थी , पर ए पी त्रिपाठी की गिरफ्तारी के बाद रास्ता बंद दिख रहा है। खबर है कि जिन अफसरों, कारोबारियों और राजनेताओं के यहां ईडी के छापे पड़ चुके हैं , उन पर गिरफ्तारी का खतरा ज्यादा मंडरा रहा है। कहते हैं कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा के लिए अगला हफ्ता संकट का रह सकता है।

शैलजा की बैठक में मंत्री की खरी-खरी

कहते हैं कि 10 मई को कांग्रेस महासचिव शैलजा की बैठक में राज्य के एक मंत्री ने अपनी बात खरी-खरी रख दी। शैलजा ने 2023 के विधानसभा चुनाव की रणनीति के लिए इस दिन मंत्रियों की बैठक ली थी। बैठक में मंत्रियों ने खुलकर अपनी बातें रखीं। चर्चा है कि एक मंत्री ने एक नेता को खरी-खरी सुना दी, जिससे बैठक में माहौल गर्म हो गया। कहा तो जा रहा है बात तू-तड़ाक तक पहुँच गई थी। शैलजा ने स्थिति को संभाला और दोनों को शांत किया। खबर है कि मंत्री जी अपने जिले में एसपी की पोस्टिंग को लेकर खफा हैं। बैठक में उन्होंने आरोप लगा दिया कि उन्हें नुकसान पहुंचाने और चुनाव में हराने के लिए विवादित अफसर को उनके जिले में भेजा गया है। उन्होंने तल्ख़ लहजे में कह दिया कि एसपी-कलेक्टर न तो चुनाव जिता सकते हैं और न ही हरा सकते हैं।

सांसद को भेंट-पूजा

चर्चा है कि एक आईएफएस अधिकारी ने अपनी गर्दन बचाने के लिए राज्य के एक सांसद को चढ़ावा दिया। कहते हैं कि सांसद ने आईएफएस की नब्ज पकड़ ली थी। सांसद जी ने अफसर की नब्ज इतनी मजबूत पकड़ ली थी कि साहब की कुर्सी हिलने लगी थी। कुर्सी बचाने के लिए अधिकारी महोदय भेंट-पूजा का सहारा लिया, तो सांसद महोदय मान गए। खबर है कि चढ़ावा भारी-भरकम रहा। हल्ला तो है कि सांसद जी के सम्मान में भेंट ‘खोखे’ में किया गया। कहा जा रहा है कि सांसद जी अफसर का नस दबा देते तो उनकी कुर्सी चली जाती। अफसर कई सालों से एक ही जगह पर कुंडली मारकर बैठे हैं और वह भी शक़्कर के ढेर पर। शक्कर की सप्लाई लाइन भारत सरकार से जुड़ी हुई है। इस कारण सांसद जी को साधना अफसर की मज़बूरी थी। सांसद जी को नहीं साधते तो अफसर का भविष्य ही चौपट हो जाता।

दो मंत्री भी ईडी के निशाने में

कहते हैं राज्य के दो मंत्री अब ईडी के निशाने पर हैं। एक मंत्री के विभाग के कुछ अफसर ईडी की चपेट में आ चुके हैं। दूसरे मंत्री के विभाग का कच्चा-चिट्ठा अब ईडी खोलने वाली है। कहा जा रहा है कि विभाग के अफसर ईडी के लपेटे में आ रहे हैं तो मंत्री पर भी आंच आना स्वाभाविक है। चर्चा है कि दूसरे मंत्री के विभाग के कई अफसर जल्दी ही लपेटे में आने वाले हैं। इस विभाग के कुछ महत्वपूर्ण कामों के लिए भारत सरकार से धन सीधे आता है। खबर है कि भारत सरकार से मिली राशि का उपयोग दूसरे मद में कर लिया गया। ईडी अब इसे जाँच के दायरे में लेने वाली है। राशि के गलत इस्तेमाल को लेकर भाजपा के कई नेताओं ने केंद्र सरकार से शिकायत की थी। इस आधार पर ईडी अपने कदम बढाने जा रही है। अब देखते हैं आगे क्या होगा।

कर्नाटक चुनाव के लिए हवाला

खबर है कि छत्तीसगढ़ के एक अफसर ने कर्नाटक चुनाव के लिए करोड़ों रुपए हवाला किया। अधिकारी महोदय भाजपा राज्य में मलाईदार पद पर थे और कांग्रेस राज में भी मलाईदार पद पर हैं। अब हवाला से करोड़ों रुपए भाजपा के लिए भेजा या कांग्रेस के लिए, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। कहते हैं इस हवाला का लिंक मिलने के बाद ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पिछले दिनों रायपुर के कुछ हवाला कारोबारियों के ठिकाने पर छापा मारा। लोगों को अब ईडी के अगले कदम का इंतजार है। कहा जा रहा है कि अफसर अपना काम कर सैर-सपाटे के लिए विदेश चले गए हैं। वैसे अफसर को अकूत संपत्ति का मालिक बताया जा रहा है और उनकी अचल संपत्तियों को लेकर चर्चा गर्म है।

खुली हवा में सांस कब तक

ईडी ने पिछले दिनों कुछ कोल और शराब स्कैम की आंच में झुलसे कुछ नेताओं, अफसरों और कारोबारियों की संपत्ति और नगद को राजसात कर लिया है । इनमें से कुछ लोग तो जेल में हैं या फिर ईडी की गिरफ्त में, पर कुछ ऐसे हैं जो खुली हवा में सांस ले रहे हैं। कहा जा रहा है कि इनकी आजादी बहुत दिनों की नहीं है। ये या तो जेल जाएंगे या फिर जेल जाने से बचने के फेर में चप्पल घिस डालेंगे। चर्चा है कि संपत्ति अटैच हो जाने से राजनेताओं और अफसरों का कैरियर भी प्रभावित हो जाएगा। अब लोगों को ईडी के अगले कदम का इंतजार है कि स्कैम की चपेट में आए नेताओं और अफसरों को संपत्ति अटैच कर राहत दे देती हैं या सख्त रुख अपनाती है।

बिलासपुर के दो कांग्रेस नेता भिड़े

कहते हैं 12 मई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बिलासपुर पहुँचने से पहले कांग्रेस के दो नेता आपस में भिड़ गए। राज्य के एक मंत्री की मौजूदगी में दोनों नेताओं के बीच भिड़ंत चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा तो जा रहा है कि दोनों के बीच हाथापाई भी हो गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेंट -मुलाक़ात कार्यक्रम के तहत बिलासपुर पहुंचना था, उसके पहले नूरा-कुश्ती हो गई। खबर है आपस में भिड़ने वाले नेताओं में एक जिला स्तर का है, तो दूसरा प्रदेश का जाना-पहचाना नाम है।

शिक्षा संचालनालय में प्रयोग के मायने

कर्मचारियों के नजरिए से देखें तो स्कूल शिक्षा विभाग काफी बड़ा है। सरकार ने स्कूल शिक्षा संचालनालय ( डीपीआई ) में नया प्रयोग कर दो डिप्टी कलेक्टरों को एडिशनल डायरेक्टर बना दिया है। अब तक शिक्षा विभाग के अफसर ही एडिशनल डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं। मजेदार बाद है कि दोनों डिप्टी कलेक्टर प्रमोटी हैं और तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर बने हैं। तहसीलदार रहते एक डिप्टी कलेक्टर के किस्से-कहानियां राज्य के एक बड़े जिले में बड़ी चर्चित थी। अब देखते हैं दोनों डिप्टी कलेक्टर शिक्षा में क्या अलख जगाते हैं। वैसे दोनों की पोस्टिंग का कर्मचारी संघ विरोध कर रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

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