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देश का नवनिर्मित महापंचायत भवन का 28 मई को उद्घाटन

इंजीनियर तपन चक्रवर्ती

देश का नया संसद भवन का लाकापर्ण (उद्घाटन) 28 मई 2023 को होना तय है। यह बेशकीमती नया भवन देश का भविष्य तय करेगा। नये संसद भवन की नींव 10 दिसम्बर 2020 को प्रधान मंत्री द्वारा रखा गया है एवं उद्घाटन भी प्रधान मंत्री ही करेंगे। यह निर्णय स्वयं द्वारा तय किया गया हैं। इस विशाल भवन का फैलाव 65,000 स्क्वायर फीट है एवं इसकी लागत तकरीबन 1200 करोड़ रूपये की है। इसके डिजाईन गुजरात आर्किटक्चर फार्म है जबकि निर्माण एजेंसी टाटा प्रोजेक्ट लिमीटेड है।

नया संसद भवन पुराने संसद भवन से बड़ा है। इसमें 880 सांसद (लोकसभा) 384 राज्य सभा के सांसदों की बैठने की व्यवस्था है जबकि 97 साल पुराने संसद भवन में 550 संसद (लोकसभा) और 250 राज्य सभा के सांसद बैठते है। पुराने संसद भवन दुनिया का सबसे उत्कृष्ट वास्तुकला से सुसज्जित है। इस भवन को बनाने में 6 साल लगें है एवं एक एकड के भूमि पर बना है। इसकी निर्माण लागत लगभग 83,00,000 लाख है। यह पुराना सांसद भवन इण्डिया गेट के पास एवं राष्ट्रपति भवन से 750 मीटर की दुरी पर स्थित है। पुराना संसद भवन के निर्माण के समय देश में आजादी का आंदोलन जोरों पर था। वायसराय डयूट ऑफ कनॉट ने 12 फरवरी 1921 को इसकी नींव रखी थी और भवन का उद्घाटन इग्लैंड के वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को किया था।

इस भवन के बाहर गोलाकार फ्रंट में 114 खंबे है साथ ही भवन की गोलाकार मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर से ली गई है। दुनिया के उत्कृष्ट कलाकृति भवन का आयु 97 वर्ष का हो चुका है। इस भवन की मजबूती के साथ आज भी सीना ताने खड़ा है एवं आज तक प्लास्टर की परतें नहीं उखड़ी है। इस भवन की मजबूती एवं खुबसुरती पर आज तक कोई भी खरोच नहीं लगी है। किन्तु इसके बावजूद भी आज नयें संसद भवन बनाया गया है। जिसका उद्घाटन 28 मई 2023 को देश का प्रधान
मंत्री करेंगे, जो की तयशुदा कार्यक्रम है।

हांलाकि पूराना संसद भवन भविष्य के लिए छोटा जरूर पडे़गा चूंकी देश की बडती जनसंख्या के आधार पर नये लोकसभा का परिसीमन एवं सांसदो का वृद्धि होना तय हैं। जो कि 10-12 साल के बाद यह संभावित हो सकेगा। वर्तमान समय में भीषण आर्थिक संकट से देश गुजर रहा है। और तो और करोना महामारी बीमारी के समय देश का प्रत्येक नागरिक आक्सीजन एवं दवाईयों की उपलब्धता के लिए सरकार से उम्मीदों के साथ नजर लगाये बैठे थे। मगर सरकार आपदा में अवसर ढुंढ रही थी। इसी दौरान मौत के तांडव से सहमी हुई जनता के सामने 1200 करोड़ लागत से नये संसद भवन का शिलान्यास 10 दिसम्बर 1920 को प्रधान मंत्री द्वारा भूमि पूजन किया गया है।

नये संसद भवन हो या पूराने संसद भवन में सिर्फ जनता की सुविधाएं एंव सुरक्षा से संबंधित कानून बनते है। जहां आज देश की जनता असुरक्षित एवं आर्थिक संकट में है। इस विषम परिस्थिति में नये संसद भवन के पिछे करोड़ो रूपयों को खर्च करना अतिविद्वता का परिचय है। चूंकि नये संसद भवन की उलब्धता हेतु सन् 1992 में देश के प्रधान मंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव जी ने राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा जी के सामने प्रास्तव रखे थे इस पर राष्ट्रपति जी ने देश की आर्थिक स्थिति एवं जनसंख्या के अधार पर सहीं समय नहीं होने के कारण रोक दिये गये थे। देश के पूराने संसद भवन से देश के उन्नति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कालजयी नियम बनाऐं गये है। विशेष रूप से औधोगिक क्रांति, कृषि कार्य को बढ़ावा देश की सुरक्षा कोयला खदान एवं बैंक
का राष्ट्रीयकरण, पंचायती राज, 18 वर्ष में मताधिकार, मनरेगा, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खाद्य सुरक्षा अधिनियम एवं कृषि कानून के नियम बनाकर देश को दिये गयें है।

28 मई 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा नये संसद भवन का उद्घाटन किया जायेगा। सबसे अहम बात यह है कि 28 मई को हिन्दुवादी जननायक विनायक दामोदर सावरकर का 150 वीं जयंती को इतिहास के पन्नो पर स्वर्ण अक्षरो से लिपिबद्ध किया जावेगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री द्वारा 66,000/- श्रमिकों का सम्मान भी करेंगे, जो इस नये एताहासिक भवन निर्माण में श्रम (पसीना) दिये है।

इस शुभ अवसर पर 75 रूपये का 44 एम.एम (तकरीबन 5 सेमी.) ब्यासमय सिक्का जारी करेंगे। इस सिक्के के एक तरफ आशोक स्तंभ और दुसरी तरफ नये संसद भवन का तसवीर होगा। देश के करीब 20 विपक्षी दलो द्वारा 28 मई उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कियें है। विपक्ष दलों की मांग है की देश का प्रथम नागरिक (राष्ट्रपति) के हाथों से उद्घाटन किया जावे।
इस बाबत् माननीय सुप्रीम कोर्ट में जनहित-याचिका भी लगाई गई है। किन्तु माननीय सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा है कि – हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इस तरह नये संसद भवन में भी आश्चर्य जनक नियम बन सकते है।

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