Tech

‘राजदंड’ के जरिये देश की बेटियां सुरक्षित रहनी चाहिए …

इंजीनियर तपन चक्रवर्ती

मई माह के अंतिम सप्ताह में नये संसद भवन के उद्घाटन के साथ देश के राजा को तमिल पंडितों द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ न्यायप्रिय शासन करने हेतु ‘राजदंड’ सौंपी (सत्ता का हस्तांतरण) गई है। यह एक सुनहरी लकड़ी के ऊपर तामिलनाडू के प्रसिद्ध एवं प्राचीन महादेव मंदिर’’ से लिया गया है। जहां चोलवंश के राजा द्वारा सत्ताहस्तांतरण के समय प्रतिकारात्मक रूप से राजदंड’’ को न्यायप्रिय शासन करने हेतु राजा को सौंपा जाता रहा है। यह ‘राजदंड’’ धार्मिकता (स्वर्ग से देवताओं का दिया गया अधिकार) का प्रतिक कहा जा सकता है। इस राजदंड’’ के जरिये दुष्ट एवं पापियों को घोषित राजा द्वारा दंड दिया जाता था।

देश का आजाद होना और प्रथम राजा द्वारा प्रतिकात्मक ‘ राजदंड’’ को अंगेजी शासक द्वारा सत्ता हस्तांतरण के समय दिया गया
था। चूंकि प्रथम राजा द्वारा संविधान की शपत लेकर बने थे। अतः प्रथम राजा द्वारा इस धार्मिक ‘‘राजदंड’’ को संग्राहालय को सौंप दिये थे। और उसके बाद जितने भी इस देश के राजा बने है। इनका राजदंड’’ के साथ ताल्लुकात कभी नही रहा। इस ऐताहासिक क्षण को कभी भी नही भुलाया जा सकता है।

इस स्वर्गिम अवसर के समय एक तरफ वैदिक मंत्रो के साथ सत्ता का हस्तांतरण (काल्पनिक) का कार्यक्रम चलता रहा और दूसरी तरफ नये संसद भवन के कुछ ही कदमों की दूरी पर, जंतर मंतर मैदान में 35 दिनों से देश की पुरस्कृत हुई पहलवान बेटियां (न्याय की मांग लिये धरने पर बैंठी है) को दिल्ली पुलिस द्वारा बर्ब्ररता एवं कुढ़तापूर्वक अपनी बूटों से रौंदती रही और बलपूर्वक घसीटते हुये पुलिस वाहन में भरती रही।

यह एक अद्भूत दृश्य और ऐताहासिक क्षणों को इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरो के साथ लिपिबद्ध जरूर किया जावेगा।
वाकई में यह आर्श्चयजनक घटना नये संसद भवन उद्घाटन के शुभ अवसर पर नये भारत’’ के निर्माण का एक वास्तिविक एवं कलंकित झलक है। इस दिन राजा जी का एकल अभिनय दृश्य दिनभर दूरदर्शनो के चैनल में दिखाया जा रहा था। राजा का गंभीर हाव-भाव एवं श्रद्धपूर्वक नाटकीय अभिनय के साथ राजदंड’’ को साष्टांग प्रणाम करते हुये एवं उपस्थित राजदरबारियों द्वारा राजा जी का लगातार जयघोष का दृश्य को देखने मिला है। ऐसा मनोहारी दृश्य देखकर लग रहा था की 21 वीं सदी में भी संविधान के जगह राजदंड’’ के जरिये देश मे शासन किया जावेगा।

यह एकल अभिनय का नाटकीय दृश्य कभी मन को अति रोमांचित एवं कभी मन दुखित और आक्रोशित होता रहा कि – क्या हमार संविधान इतना कमजोर हो गया है? अथवा इसे कमजोर बनाया जा रहा है। इस ‘‘राजदंड’’ के जरिये काल्पनिक राजा मनमर्जी एवं तानाशाह शासक जरूर बन सकता है। किंतु काल्पनिक राजा अपने जनता के प्रति न्यायप्रिय नही रहेगा, उसे तो सिर्फ काल्पनिक रूप से स्वर्ग से देवताओं द्वारा आदेश प्राप्त रहता है। मगर राजदंड’’ के जरिये वर्तमान राजा को देश की पुरस्कृत हुई पहलवान बेटियों के साथ दूराचार किये गये आरोपी बृजभूषण सिंह को तत्काल घसिटते हुये सलाखों के पीछे रखने का तत्काल हुक्म दिया जावें। क्योकि स्वंय आरोपी द्वारा दबंगई के साथ चुनौती देते हुये कहां है कि – सिर्फ देश
का राजा एवं गृहमंत्री के आदेशों को हमेशा शिरोधार्य करूंगा।

देश के राजा जी द्वारा 101 वीं कढ़ी मे मन की बातो के जरिये महिला सशक्तीकरण एवं बेटी बचाओं बेटी पढाओं के नारो के साथ देश के माहौल को भावपूर्ण और उर्जाप्रेरित जरूर बनाये है और साथ ही राजा जी द्वारा अभिनित एकल अभिनय का कार्यक्रम (मंचन) से देश की जनता अवश्य ही भावुक हुई है। किंतु जनता, देश की बेटियों की सुरिक्षत जीवन के लिए चिंतित और भयभीत है। क्योकि इस ‘ राजदंड’’ को हाथ में लेकर आज तक और न जाने कितने बृजभूषण अपनी मुंछो पर ताव देकर घूम रहे है।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button