कृषि

छत्तीसगढ़ में प्रथम बार उन्नत किस्म के महा झींगा पालन का ट्रायल प्रारंभ   

दुर्ग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मीठाजल में मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान केंद्रीय मीठाजल जीवपालन संस्थान भुवनेश्वर द्वारा अनुवांशिक प्रजनन द्वारा विकसित उन्नत मीठाजल  झींगा का छत्तीसगढ़ के तालाबों में पालन पश्चात उसकी जीवित्तता, वृद्धि एवं अनुकूलता के परीक्षण के लिए प्रथम बार बीजों का संग्रहण कामधेनु विश्वविद्यालय के  कुलपति डा.  नारायण पुरुषोत्तम दक्षिणकर द्वारा भारतबाला फिशफार्म बगोद, कुरुद में किया गया। इस अवसर पर मत्स्य पुरुस्कार से सम्मानित और मछली फार्म के संचालक मुस्ताख खान ने भी कुलपति के साथ बीजों का अपने तालाब में संचयन किया। इन उन्नत झींगों का छत्तीसगढ़ में यह ट्रायल राज्य में झींगा पालन की दिशा में एक मिल का पत्थर साबित होगा। 

झींगा बीज का उत्पादन  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय मीठाजल जीवपालन संस्थान भुवनेश्वर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बिंदु पिल्लई के नेतृत्व में किया गया और रेल मार्ग के माध्यम से परिवहन किया गया। राज्य के चार प्रगतिशील मत्स्य फार्म का चयन इस परीक्षण के लिए किया गया है जिसमे भारतबाला मत्स्य केंद्र बगोद, एमआइके फिश फार्म मैनपुरी, पूर्वी फिश फार्म धमधा और राजनांदगांव एग्रो एवं कृषि फार्म राजनांदगांव को चयनित किया गया है।

पहले चरण में भारतबाला मत्स्य केंद्र बगोद एवं एमआइके फिश फार्म मैनपुरी के लिए बीज भेजे गए है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय मीठाजल जीवपालन संस्थान भुवनेश्वर एवं विश्वविद्यालय के स्वर्गीय पूनाराम निषाद मात्स्यिकी महाविद्यालय कवर्धा के वैज्ञानिक इसका परीक्षण अवलोकन करेंगे। महाविद्यालय से वैज्ञानिक डॉ दुष्यंत दामले को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। संचयन पश्चात इसकी सफलता के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ दक्षिणकर एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय मीठाजल जीवपालन संस्थान भुवनेश्वर के निदेशक डॉ पी के साहू,  डॉ बिंदु पिल्लई एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ राजू शारदा ने वैज्ञानिकों एवं कृषकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। संचयन के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.आर.के.सोनवणे, महाविद्यालय के जल एवं मृदा विभाग के वैज्ञानिक डॉ. कमलेश पांडा, विश्वविघालय के जनसंपर्क अधिकारी डा.दिलीप चौधरी, एमआइके के विकास ठाकुर, अय्यूब भाई, महाविद्यालय के पूर्व छात्र जसबीर एवं रेवतीरमण उपस्थित रहे।  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय मीठाजल जीवपालन संस्थान भुवनेश्वर के डॉ देबा पंडा एवं तकनीकी अधिकारी सोवनजी ने समस्त कार्यक्रम, बीज परिवहन का समन्वय किया।

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