कानून व्यवस्था

हाईकोर्ट; परिवार संभालने की बजाय पति ज्‍यादा शराब पी रहा है तो यह पत्‍नी-बच्‍चों के साथ है क्रूरता

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई पति अपने कर्तव्यों का पालन करने के बजाय अत्यधिक शराब पीने में लिप्त है तो यह उसकी पत्नी और बच्चों के अलावा परिवार के लिए मानसिक क्रूरता होगी। यह माना जाएगा कि जिम्मेदारी के निर्वहन में पति द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ याचिकाकर्ता पत्नी की याचिका को स्वीकार करते हुए विवाह विच्छेद की मंजूरी दे दी है।

मानसिक क्रूरता को बढ़ावा देने वाली घटना

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस तरह के बयान की प्रकृति एक-दूसरे की नजर में पति-पत्नी की प्रतिष्ठा और मूल्य को नष्ट कर देती है और इसे सामान्य टूट-फूट या पृथक घटना नहीं कहा जा सकता है। जब पत्नी विभिन्न मंचों पर दिए गए अपने बयान की पुष्टि करती है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आरोप से मां और बेटे के पवित्र रिश्ते पर हमला किया जा रहा है। निश्चित रूप से यह मानसिक क्रूरता को बढ़ावा देगा।

जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय अग्रवाल ने क्रूरता के आधार पर अपनी शादी को खत्म करने की पत्नी की याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि इस मामले में पति ने अपने दो बच्चों की स्कूल फीस भी नहीं दी, जबकि उसकी पत्नी नौकरी भी नहीं कर रही है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि यह बहुत स्वाभाविक है कि पत्नी अपनी घरेलू जरूरतों और अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए अच्छी शिक्षा और जीवन के लिए पति पर निर्भर होगी।

यदि पति अपने दायित्वों का निर्वहन करने के बजाय खुद को अत्यधिक शराब पीने की आदत में शामिल कर लेता है, जिससे परिवार खराब हो जाता है यह स्थिति स्वाभाविक रूप से मानसिक क्रूरता को जन्म देगी। डिवीजन बेंच ने कहा कि पति द्वारा क्रूरता के कई आरोप उसकी कथित तौर पर अत्यधिक शराब पीने की आदतों के कारण लगे। याचिकाकर्ता ने पति द्वारा प्रताड़ना की शिकायत करते हुए कहा कि शराब पीने के बाद और नशे की हालत में पति अपनी पत्नी के साथ गाली-गलौज और मारपीट करता था।

आगे यह भी कहा गया कि स्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि उन्होंने शराब खरीदने के लिए घरेलू सामान तक बेच दिया। अपने फैसले में डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि दम्पति के दो बच्चे हैं। पति ने कभी भी उनकी स्कूल फीस का भुगतान नहीं किया। जब पत्नी ने फीस का भुगतान करने या अन्य घरेलू सामान के लिए पैसे मांगे तो उसने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और मारपीट की। परिवार न्यायालय में सुनवाई के दौरान पति ने पत्नी के आरोपों का बचाव नहीं किया था। इसलिए हाई कोर्ट ने माना कि आरोप उनके द्वारा स्वीकार कर लिए गए हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि इसलिए यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि पति अपनी पत्नी के प्रति मानसिक रूप से क्रूर था।

पत्नी ने वैवाहिक रिश्ते को बचाने की भरपूर कोशिश की

डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में यह भी उल्लेख किया है कि पत्नी के आचरण से पता चलता है कि उसने शादी को बचाने की कोशिश की थी, अन्यथा पहले के अवसर पर अत्यधिक शराब पीने के समान आधार पर तलाक की मांग करने वाली अर्जी पति के इस वादे पर वापस नहीं ली जाती कि वह अपना व्यवहार सुधार लेगा। इन टिप्पणियों के साथ ही डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता पत्नी की तलाक की डिक्री को मंजूर कर लिया। कोर्ट ने पति को पत्नी को भरण-पोषण के तौर पर हर महीने 15 हजार रुपये देने का भी आदेश दिया।

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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