राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियास्त ‘कही-सुनी’

रवि भोई

टी एस सिंहदेव को सलाम ठोंकने वाले एकाएक बढ़े

राजनीति का खेल भी बड़ा अजूबा होता है। इसमें पावर को सलाम किया जाता है। कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव को 16 सदस्यीय कांग्रेस चुनाव समिति का सदस्य बनाकर उनका कद बढ़ा दिया है। टिकट वितरण वाली कांग्रेस की सर्वोच्च कमेटी में टी एस सिंहदेव को सदस्य बनाए जाने से उन्हें सलाम ठोंकने वाले एकाएक बढ़ गए हैं। टी एस सिंहदेव के बंगले में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट के दावेदारों का हुजूम लगने लगा है। चर्चा है कि टी एस सिंहदेव के बंगले पहुँचने वालों में कुछ वर्तमान विधायक और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी बताने वाले लोग हैं। कुछ ऐसे विधायक भी हैं, जो सिंहदेव के खिलाफ झंडा उठाए हुए थे , लेकिन टिकट के लिए उन्हें टी एस के बंगले की तरफ रुख करना पड़ रहा है। कहते हैं कि विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची राज्य समिति से अनुमोदन होने के बाद भी अंतिम निर्णय कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति को करना है। सीईसी में किसी के नाम पर क्रास लग गया तो वह टिकट से वंचित हो जाएगा। इस कारण मुखालफत करने वाले भी टीएस के शरण में जाने को मजबूर हो गए हैं। अब तो देखना यह है कि कुछ महीने पहले तक अपनी ही सरकार में कड़वा घूंट पीने वाले टी एस सिंहदेव विरोधियों पर दया करते हैं या उन्हें बलि का बकरा बनाते हैं।

सिंहदेव और महंत की जुगलबंदी

छत्तीसगढ़ की राजनीति में उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की जुगलबंदी आजकल चर्चा का मुद्दा बन गया है। आमतौर पर विधानसभा अध्यक्ष किसी मंत्री से मिलने के लिए उनके बंगले नहीं जाते हैं। कहते हैं डॉ. चरणदास महंत नौ सितंबर को सिंहदेव से भेंट के लिए उनके बंगले गए और दोनों के बीच काफी देर तक गुफ्तगू हुई। कांग्रेस की राजनीति में दोनों को दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है। महंत अभी छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सबसे सीनियर लीडर हैं। वे संयुक्त मध्यप्रदेश में मंत्री रह चुके हैं। टी एस सिंहदेव की माता देवेंद्रकुमारी सिंहदेव मध्यप्रदेश में मंत्री और उनके पिता एम एस सिंहदेव मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके हैं। दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में एम एस सिंहदेव राज्य योजना मंडल के उपाध्यक्ष थे।

रिकार्ड बना गए टामनसिंह सोनवानी

छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष टामनसिंह सोनवानी का कार्यकाल 8 सितंबर को समाप्त हो गया । सोनवानी साहब ने आने वाले अध्यक्ष के लिए कोई काम पेंडिग नहीं रखा। कार्यकाल समाप्त होने के दो दिन पहले राज्य सेवा परीक्षा 2022 की चयन सूची भी जारी करवा दिया। बताते हैं सोनवानी साहब के कार्यकाल में 4167 पदों के लिए 51 परीक्षाओं का आयोजन हुआ और सभी के नतीजे भी आ गए। टामनसिंह सोनवानी करीब तीन साल और तीन महीने छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष रहे। इस दौरान 150 से अधिक पदोन्नति समिति की बैठकें भी हुई। वैसे तो छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग शुरू से चर्चा में रहा, पर टामनसिंह सोनवानी का कार्यकाल कुछ ज्यादा ही चर्चित रहा। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के लोग सोनवानी साहब के खिलाफ सड़क पर भी उतरे। टामनसिंह सोनवानी के कार्यकाल को अफसरों और नेताओं के पुत्र-पुत्रियों और रिश्तेदारों के अधिसंख्य चयन के लिए याद किया जाएगा। अब पीएससी का नया अध्यक्ष कौन बनता है, इसका सभी को इंतजार है। कहा जा रहा है कि सरकार किसी प्रशासनिक अधिकारी को ही पीएससी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने के मूड में है।

क्या ईडी बम और फूटेगा ?

राज्यभर में चर्चा है कि ईडी 11 से 14 सितंबर के बीच छत्तीसगढ़ में बड़ी कार्रवाई कर सकती है। लोगों का मानना है कि ईडी के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा अपने कार्यकाल खत्म होने के पहले बड़ी कार्रवाई कर केंद्र सरकार को खुश कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ में ईडी ने कोयला, शराब, चावल घोटाले की जाँच कर रही है। महादेव एप के जरिए ऑनलाइन सट्टे के मामले में भी कदम बढ़ाए हैं। जल जीवन मिशन और डीएमएफ में भी एफआईआर दर्ज किया है। अब ईडी किस मामले को लेकर बम फोड़ती है, इसका सभी को इंतजार है। कहा जा रहा है बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने के मकसद से करीब एक हफ्ते रायपुर के ईडी दफ्तर के स्टाफ में बदलाव किया गया। निचले स्तर के कई स्टाफ इधर से उधर किए गए हैं। अब देखते हैं चर्चा का नतीजा क्या निकलता है ?

भाजपा के प्रत्याशी संकट में

भाजपा ने विधानसभा चुनाव के करीब तीन महीने पहले छत्तीसगढ़ में 21 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। कहते हैं अब तीन महीने पहले प्रत्याशी बनना भावी विधायकों को भारी पड़ रहा है। कुछ लोगों ने तो चुनाव प्रचार करना दूर, अपना मोबाईल तक बंद कर दिया है। कहा जा रहा है कि इन लोगों ने चंदा देने से बचने के लिए ऐसा किया है। प्रत्याशी बनने के बाद इन नेताओं के पास गणेश उत्सव और अन्य त्यौहारों के लिए चंदा मांगने वालों की कतार लग गई है। चर्चा है कि चंदा मांगने वालों के चलते इनका प्रत्याशी बनने का उत्साह फिलहाल तो काफुर हो गया है।

घर से ही दफ्तर चला रहे हैं एक अफसर

चर्चा है कि एक आईएएस अफसर आजकल घर से ही दफ्तर चला रहे हैं। कहते हैं कि अधिकारी महोदय पहले लंबी छुट्टी पर थे। छुट्टी से लौटने के बाद दफ्तर पर कदम नहीं रखा है। घर से दफ्तर का कामकाज निपटा रहे हैं। अफसर के जिम्मे सरकार ने मलाईदार विभाग सौंप रखा है, फिर भी दफ्तर से दूरी लोगों को समझ में नहीं आ रहा है। वैसे कुछ महीने पहले तक अफसर के पास कई महत्वपूर्ण विभाग थे, लेकिन एक केंद्रीय एजेंसी की टेढ़ी नजर के चलते सरकार ने धीरे-धीरे एक-एककर विभाग घटाते गए और अब एक ही विभाग बचा है।

बिना रजिस्ट्रार के रविशंकर यूनिवर्सिटी

कहते हैं राज्य की सबसे पुरानी और बड़ी सरकारी पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी पिछले एक हफ्ते से बिना रजिस्ट्रार के ही चल रही है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेन्द्र कुमार पटेल को सरकार ने 31 अगस्त को वहां से हटाकर आयुक्त उच्च शिक्षा संचालनालय में पदस्थ कर दिया। बताते हैं सरकार के आदेश का पालन करने की जगह शैलेन्द्र पटेल मेडिकल लीव पर चले गए, साथ में सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील भी कर दी । चर्चा है कि एक जाँच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने पटेल को रविवि से हटाने का फैसला किया। सरकार ने पटेल की जगह किसी दूसरे की पोस्टिंग का आदेश अब तक जारी नहीं किया है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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