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उत्पाद की अवधारणा और उसके परिप्रेक्ष्य में महात्मा गांधी और डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार

डॉ. संजय कुमार यादव, रजनीश कुमार यादव

आज के बदलते भौतिकवादी परिप्रेक्ष्य में,उत्पाद, विपणन मिश्रण के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक बन गया  है, जहाँ एक विपणनकर्ता उत्पाद के माध्यम से उपभोक्ता की जरूरतों और इच्छाओं को पूरा कर सकता है।

विपणन की परिभाषा के अनुसार, विपणन का अर्थ सृजन करना ,संचार बनाना और लाभ पर लक्ष्य बाजार तक मूल्य पहुंचाना है , चूँकि सृजन को उत्पाद प्रबंधन कहा जाता है जिसके दार्शनिक दृष्टिकोण है. महात्मा गांधी के अनुसार, “मनुष्य अपने विचारों का ही परिणाम है ,जो वह सोचता है, वही बन जाता है” इसका मतलब यह है कि मनुष्य निर्माता है जैसी उसकी सोच है प्रोडक्ट वैसा ही आएगा।

उदाहरण के लिए थॉमस एडवा एडिशन ने जैसा सोचा बल्ब वैसा ही बना। इसका मतलब यह है कि एक ही उत्पाद को लोग अलग-अलग नजरों से देख सकते हैं. और उनको प्रोडक्ट उसी तरह दिखेगा।. उदाहरण के लिए एक गुड़िया हमारे लिए गुड़िया होगी लेकिन वह छोटी बच्ची के लिए दोस्त की तरह होगी। अगर कोई बच्चा डॉक्टर बनना चाहता है तो गुड़िया डॉक्टर की तरह दिखेगी. इसका मतलब, केवल उत्पाद का स्वामित्व ही पर्याप्त नहीं है। इसे हमारी आवश्यकता और चाहत को पूरा करना चाहिए। इस प्रकार, भौतिक उत्पाद केवल एक माध्यम है जो हमें सेवाएँ, लाभ और संतुष्टि प्रदान करता है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था “शिक्षा का अंतिम उत्पाद एक स्वतंत्र रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्रकृति की प्रतिकूलताओं से लड़ सके, इसका मतलब है कि शिक्षा मनुष्य को परिभाषित करने में नहीं बल्कि मनुष्य की बुद्धि को विकसित करने में बहुत प्रमुख भूमिका निभाती है. शिक्षा व्यावसायिक क्षमताओं को विकसित करने का निर्देश देती है और साथ ही यह वहां बहुत विशिष्ट भूमिका निभाती है। शिक्षा मानव संसाधन (उत्पाद) का विकास करती है जिससे राजस्व उत्पन्न होता है

(विभिन्न तथ्यों के  आधार पर लेखक का उत्पाद के बारे में यहाँ अपना विचार है।)

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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