कानून व्यवस्था

SC; छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी झीरम हमले की जांच, एनआईए की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

रायपुर, झीरम घाटी हमले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी एनआइए को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने एनआइए की याचिका को खारिज करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को मामले की जांच की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा है हम मामले में दखल नहीं देंगे।

बता दें कि वर्ष 2018 में सरकार बदलने के बाद कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया था। इसके साथ ही राज्‍य पुलिस ने एनआइए से मामले के दस्‍तावेज मांगे थे, लेकिन जांच एजेंसी ने दस्‍तावेज देने से मना कर दिया था। और उसके बाद कोर्ट में छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के आदेश को चुनौती दी थी।

सीएम भूपेश बोले- यह न्याय का दरवाज़ा खोलने जैसा

फैसले के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर पोस्ट किया कि झीरम कांड पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाज़ा खोलने जैसा है। झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था। इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था। कहने को एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरु की तो एनआईए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। आज रास्ता साफ़ हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी। किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था। सब साफ़ हो जाएगा।

हमले में 32 लोगों की गई थी जान

25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा का आयोजन हुआ. कार्यक्रम के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। शाम को 4 बजे काफिला जैसे ही झीरम घाटी से गुजरा, तभी नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता रोक दिया और नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। हमले में 32 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

झीरम कांड मामले में विनोद वर्मा बोले – NIA की जांच में नहीं था षड्यंत्र का मामला, अब छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी पर्दाफाश

झीरम घाटी हत्याकांड मामले में सीएम के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि विधानसभा चुनाव 2013 से ठीक पहले नक्सली हमला हुआ था. इस हमले में हमारे वरिष्ठ नेतागण और कार्यकर्ता समेत कुल 32 लोग शहीद हुए थे. यह पूरे विश्व के लोकतंत्र के इतिहास में सबस बड़ा राजनैतिक हत्याकांड था. इस पूरे हत्याकांड की जांच NIA ने शुरू की थी. इस जांच में पता चला कि इनकी जांच में हत्याकांड के षड्यंत्र का बिंदु ही नहीं था.

विनोद वर्मा ने कहा, हमारी सरकार आने के बाद एक एफ़आईआर दर्ज की गई थी. छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद एनआईए ट्राइल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई. सभी जगहों से इनकी याचिका खारिज कर दी गई है, जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ पुलिस जांच कर पूरे षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करने वाली है.

उन्होंने कहा, NIA ने जांच का चालान पेश किया था. इनके दोनों ही चालान में नक्सलियों के सबसे बड़े नेता गणपति और राममना का नाम ही नहीं डाला गया था. इस राजनैतिक षड्यंत्र को धंडकरण समिति जैसी छोटी समिति नहीं कर सकती है. आख़िर किसको बचाने के लिए इनका नाम हटाया गया था. केंद्र सरकार किसको बचाने के लिए काम कर रही थी. इस पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की बात डॉ. रमन सिंह ने की थी, लेकिन समय रहते सीबीआई ने पूरे मामले की जांच करने से इनकार कर दिया था, लेकिन फिर भी रमन सिंह ने पूरे मामले को छुपाए रखा था. सीबीआई जांच नहीं करेगी, इस बात को रमन सिंह को बताना चाहिए था.

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