कानून व्यवस्था

COURT;आजकल फैशन हो गया है… जब रिपोर्ट नहीं पढ़ पाए तो जज ने डॉक्टर की लगा दी क्लास, HC ने सरकार को दिया ये निर्देश

कटक,  उड़ीसा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि डॉक्टरों से सभी नुस्खे और मेडिको-लीगल रिपोर्ट को पढ़ने के लायक लिखावट में, यदि संभव हो तो बड़े अक्षरों में या टाइप किए गए रूप में लिखने का आदेश दिया जाए.

उड़ीसा हाई कोर्ट ने यह निर्देश पिछले सप्ताह जारी किया था. न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही को एक मामले में फैसला सुनाने में मुश्किल का सामना करना पड़ा, क्योंकि याचिका में संलग्न पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के लायक नहीं थी और समझ में नहीं आ रही थी.

क्या था मामला
एक याचिकाकर्ता ने बेटे की सांप के काटने से मौत हो गई. उसने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे सरकार से अनुग्रह सहायता देने पर विचार करने का निर्देश दिया जाए.

नहीं पढ़ पाए रिपोर्ट
इससे पहले इस केस पर सुनवाई करने के लिए जज बैठे थे. याचिका पर फैसला सुनाने बैठे जज डॉक्टर द्वारा लिखी गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ नहीं पाए. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट को वर्चुअल मोड में अदालत के सामने पेश किया गया था, लेकिन डॉक्टर की लिखावट समझ से परे था. किसी तरह पढ़ने की कोशिश की गई तो पता चला कि यह सर्पदंश का मामला था, तब जाकर इस पर फैसला सुनाया गया.

कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने कहा कि, “कई मामलों में, पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिखते समय अधिकांश डॉक्टरों की लापरवाही मेडिको-लीगल मामलों की समझ को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है, और न्यायिक प्रणाली को उन (रिपोर्टों) को पढ़ कर किसी निष्कर्ष तक पहुंचने में बहुत कठिनाई होती है.

टेढ़ा-मेढ़ा लिखने का फैशन
न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रदेश के डॉक्टरों में ऐसी टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट लिखने का चलन फैशन बन गया है, जिसे आम आदमी या न्यायिक अधिकारी नहीं पढ़ सकें. उच्च न्यायालय ने 4 जनवरी को पारित आदेश में कहा, ‘इसलिए, यह अदालत ओडिशा राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश देती है कि वह राज्य के सभी डॉक्टरों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट और नुस्खे बड़े अक्षरों में या सुपाठ्य लिखावट में लिखने के निर्देश जारी करें.’

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