कृषि

PADDY; 111.75 लाख मी.टन धान खरीदी के साथ अब तक के टूटे सारे रिकार्ड, अभी एक पखवाड़ा बाकी

0 किसानों को 23,448 करोड़ का हो चुका भुगतान 0 कस्टम मीलिंग के लिए 71.87 लाख मी. टन धान का उठाव

रायपुर, मोदी जी की गारंटी के अनुरूप 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी तथा 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी के निर्णय से धान खरीदी केंद्रों में अन्नदाताओं ने अपना धान बेचकर बंपर धान खरीदी का अब तक का सारा रिकार्ड तोड़ दिया। मंगलवार को 111.75 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई। पिछले साल 107.53 लाख मीट्रिक टन की खरीदी हुई थी। बंपर खरीदी की स्थिति तब है जब धान खरीदी के लिए पूरा एक पखवाड़ा बचा है।

राज्य शासन द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में 130 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जन का लक्ष्य रखा गया है। जिसके विरूद्ध राज्य सरकार द्वारा अब तक किसानों से 111.75 लाख मीट्रिक टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा चुकी है। धान के एवज में किसानों को 23448 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का भुगतान बैंक के माध्यम से किया गया है। प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान विक्रय का लाभ पूर्व में धान बेच चुके किसानों को भी मिलेगा। अब तक पूर्व निर्धारित मात्रा के अनुरूप धान बेच चुके किसान, शेष मात्रा का धान, उपार्जन केन्द्र में 31 जनवरी तक बेच सकेंगे।

मार्कफेड के महाप्रबंधक से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में समर्थन मूल्य पर अब तक 21 लाख 266 किसानों से धान की खरीदी की जा चुकी है। इसके एवज में किसानों को 23 हजार 448 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का भुगतान बैंक के माध्यम से किया गया है। अब तक 92 लाख 5 हजार 247 मीट्रिक टन धान के उठाव के लिए डीओ जारी किया गया है। जिसके विरूद्ध में मिलर्स द्वारा 71 लाख 87 हजार 338 मीट्रिक टन धान का उठाव किया जा चुका है। विगत खरीफ वर्ष 2022-23 में  समर्थन मूल्य पर 23 लाख 42 हजार 50 किसानों से 107.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। धान खरीदी के एवज में किसानों को करीब 22 हजार 067 करोड़  रूपए का  भुगतान किया गया था।

रिकार्ड धान खरीदी का श्रेय पूर्व कांग्रेस सरकार को  

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व कांग्रेस की सरकार ने 1 नवंबर से 27 लाख से अधिक किसानों से प्रति क्विंटल 20 क्विंटल लगभग 2800 रु की कीमत में 135 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी करने लक्ष्य तय किया था और इस दिशा में चुनाव आचार संहिता लागू होने के पहले ही किसानों को भुगतान हेतु राशि, बारदाना, ट्रांसपोर्टिंग और किसानों को टोकन देने की व्यवस्था किया था। जिसका ही परिणाम है आज 110 लाख मैट्रिक टन धान की  खरीदी संभव हो सका है।

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