राजनीति

शाबाश गृह मंत्री विजय शर्मा जी…

हर सरकार में विभाग का मंत्री बनाया जाता है लेकिन कितने ऐसे मंत्री होते है जो ईमानदारी से अपने विभाग के प्रति जागरूक होते है और जागरूकता का परिचय भी देते है। सामान्य रूप से जिस व्यक्ति को गृह मंत्रालय दिया जाता है उसे जेल विभाग भी मिलने की परंपरा है। आप भी गृह मंत्री बने तो जेल मंत्रालय भी आपके जिम्मे में आ गया। 

 जेल, कारावास और सुधार गृह के नाम से लाल दरवाजे के भीतर की जिंदगी भयावह है। इससे किसी को इंकार नहीं है। जिस जगह पर मूल अधिकार निलंबित हो जाए उससे बुरी जगह कोई नही हो सकती है। ये जगह ऐसी भी जगह है जहां आदतन अपराधियों के साथ जब तक न्यायधीश निर्णय नहीं सुना देते तब तक  तथाकथित व्यक्ति जमानत पाने के भी सुविधा से भी वंचित रहता है। यहां शेर और हिरण को याने अपराधी और बंदी दोनो को सजा भोगनी पड़ती है।

 ये भी सर्वविदित है कि जेल के भीतर एक माफिया काम करता है। जिनका काम  जेल के भीतर से ही बाहरी दुनियां में अपराधो को अंजाम देना होता है। तिहाड़ जेल इस खराबी से नहीं बच सका है तो बाकी जेल की बात करना बेमानी होगी। पेशेवर अपराधी जेल के भीतर अपनी सत्ता बनाते है और  दुर्भाग्य है कि उनके सिस्टम में जेल प्रशासन के कुछ लोग शामिल होकर सहयोगी बन जाते है।

 रायपुर सेंट्रल जेल में भी ये सब होता होगा लेकिन आपके औचक निरीक्षण ने सबकी सांस ऊपर नीचे कर दी।  याद नहीं आता है कि किसी गृह और जेल मंत्री ने छत्तीसगढ़ में जेल के भीतर जाकर निरीक्षण किया हो। गए भी होंगे तो ऑफिस में बैठ चाय नाश्ता कर वापस आ गए होंगे।

आपकी  कार्यशैली निश्चित रूप से आक्रामक है और आकस्मिक है जो सबसे अच्छी बात है। आप अगर सूचना दे देंगे तो आधे घंटे में सब चाक चौबंद व्यवस्था हो जाती है। इस कारण अपनी ये शैली बरकरार रखिएगा। आपका महीने में  दो बार भी जेल निरीक्षण से प्रदेश की सारी जेल में व्यवस्था सुधरेगी ऐसी आशा है।

आपके औचक निरीक्षण के लिए आपको साधुवाद। जेल के भीतर केवल अपराधी ही नहीं रहते बल्कि  किसी शासन के द्वारा प्रतिशोधातमक रूप से किए गए कार्यवाही से पीड़ित लोग भी बंद किए जाते है। इसके अलावा सुविधा के भोग करने वाले भी होते है जो किसी शासन में संरक्षित अपराध के कड़ी होते है। उन्हे बेहतर सुविधा मिलने की बात भी बाहर आती है। जेल के भीतर सभी व्यक्ति है और वे विशिष्ट नहीं है। ये बात आपके निरीक्षण से पता चला होगा। तेवर ऐसे ही रखिए। साधुवाद……

स्तंभकार-संजयदुबे

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