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POLITICS; कृषि बजट में घोटाले का उदाहरण है आबंटित धनराशि का समर्पण, किसान सभा ने की पुनःआबंटन की मांग

रायपुर, अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा पिछले पांच वर्षों में अप्रयुक्त 105543.71 करोड़ रुपये की धनराशि वापस करने की निंदा करते हुए इसे कृषि बजट में घोटाला और आपराधिक कृत्य करार दिया है और किसानों के कल्याण के लिए इस राशि के पुनः आबंटित करने की मांग की है। इस चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की “वर्ष 2022-23 के लिए खाते : एक नज़र में” शीर्षक वाली रिपोर्ट में किया गया है।

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते तथा सह संयोजक ऋषि गुप्ता और वकील भारती ने कहा है कि एक ओर तो मोदी सरकार कृषि और किसानों के विकास और उनके लिए बढ़े-चढ़े बजटीय आबंटन की हवा-हवाई दावे करते रहती है, वही दूसरी ओर वास्तविकता यही है कि कृषि के लिए अपर्याप्त बजट को भी वह खर्च नहीं कर रही है। मोदी सरकार की ही यह रिपोर्ट बताती है कि कृषि मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018-19 में 21,043.75 करोड़ रुपए, 2019-20 में 34,517.7 करोड़ रुपये, 2020-21 में 23,824.53 करोड़ रुपये, 2021-22 में 5,152.6 करोड़ रुपये और 2022-23 में 21,005.13 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए। यह कुल मिलाकर 105543.71 करोड़ रुपये होती है।

उन्होंने बताया कि कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने कहा है कि कृषि के लिए पहले से ही अपर्याप्त बजट को भी पूरी तरह से खर्च न करने का नकारात्मक असर कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास, सिंचाई के विस्तार, लाभकारी समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए मूल्य समर्थन और अनुसंधान और विस्तार के कार्यों तथा अनुसूचित जाति और जनजाति की परियोजनाओं पर पड़ा है।

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि आज जब देश गंभीर कृषि संकट से गुजर रहा है और बड़े पैमाने पर किसान आत्महत्या कर रहे है, ऐसी स्थिति में कृषि के लिए आबंटित धनराशि की वापसी से स्पष्ट है कि यह सरकार देश में किसानों की दुर्दशा के प्रति घोर उदासीन और असंवेदनशील है तथा उसकी वास्तविक मंशा कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेटों को सौंपने की है। यही कारण है कि वर्ष 2023-24 के बजट में चाहे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना हो या प्रधानमंत्री किसान सिंचाई योजना, या फिर बहुप्रचारित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि अनुसंधान और बाजार हस्तक्षेप व मूल्य समर्थन योजना हो — इन सभी मदों में बजट आबंटन में भारी कटौती की गई है। 

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