कानून व्यवस्था

PROPERTY;क्‍या सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को बतानी होगी अपनी संपत्‍त‍ि? केन्‍द्र सरकार की प्‍लान‍िंग

नई दिल्ली, एजेंसी,  केन्‍द्र सरकार ने एक संसदीय पैनल को बताया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा के लिए वैधानिक प्रावधान करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए नियम बनाने की योजना बना रही है. कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने कहा कि इस संबंध में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ परामर्श शुरू कर दिया गया है और कहा कि इस मुद्दे पर उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार है.

पीटीआई की र‍िपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा कार्रवाई रिपोर्ट में दर्ज प्रतिक्रिया के आधार पर कानून और कार्मिक विभाग से संबंधित स्थायी समिति ने न्याय विभाग से घोषणा के नियमों में वैधानिक प्रावधान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के साथ परामर्श प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा उनकी प्रारंभिक नियुक्ति पर संपत्ति का ब्‍योरा देना होगा.

‘न्यायिक प्रक्रियाओं और उनके सुधारों’ पर अपनी पिछली रिपोर्ट पर समिति की कार्रवाई रिपोर्ट पिछले सप्ताह हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में संसद में पेश की गई थी. अपनी पिछली रिपोर्ट में, भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा था कि एक सामान्य प्रथा के रूप में सभी संवैधानिक पदाधिकारियों और सरकारी कर्मचार‍ियों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा.

संपत्ति की वार्षिक रिटर्न दाखिल करनी चाहिए: सम‍ित‍ि
सम‍िति ने राय दी थी क‍ि सुप्रीम कोर्ट इस हद तक पहुंच गया है कि जनता को सांसद या विधायक के रूप में चुनाव में खड़े लोगों की संपत्ति जानने का अधिकार है. जब ऐसा है, तो यह तर्क गलत है कि न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है. सार्वजनिक पद पर आसीन और सरकारी खजाने से वेतन पाने वाले किसी भी व्यक्ति को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति की वार्षिक रिटर्न दाखिल करनी चाहिए.

सम‍िति ने यह भी कहा था कि हाई जुडिशरी- सुप्रीम कोर्ट और 25 हाईकोर्ट – के न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा से प्रणाली में अधिक विश्वास और विश्वसनीयता आएगी. चूंकि स्वैच्छिक आधार पर न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम प्रस्ताव का अनुपालन नहीं की गई है. समिति सरकार को उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए अपनी संपत्ति प्रस्तुत करना अनिवार्य बनाने के लिए एक उचित कानून लाने की सिफारिश करती है. उचित प्राधिकारी को वार्षिक आधार पर रिटर्न देखना होगा.

सरकार ने क्‍या कहा है?
अपनी प्रतिक्रिया या “कार्रवाई” में, सरकार ने कहा कि समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर, न्याय विभाग हाई कोर्ट न्यायाधीश अधिनियम, 1954 और सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश अधिनियम, 1958 के तहत नियम बनाने का प्रस्ताव कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा उनकी प्रारंभिक नियुक्ति पर और उसके बाद हर साल नियत तारीख तक संपत्ति की घोषणा के लिए नियमों में वैधानिक प्रावधान करने की प्रक्रिया निर्धारित करना है. इसमें कहा गया है कि इस मामले में उनके विचार जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के साथ परामर्श शुरू कर दिया गया है. समिति ने कहा है क‍ि हालांकि, उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है.

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