कृषि

धान की सीधी बुआई से 25 प्रतिशत पानी और प्रति हेक्टेयर 6 हजार रूपये लागत में कमी

0 धान की सीधी बुआई तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं कृषक सम्मान समारोह
रायपुर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलिपींस एवं बायर क्रॉप साइंस लिमिटेड के सहयोग से आज यहां धान की सीधी बुवाई तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं कृषक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कृषि महाविद्यालय रायपुर के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य कृषकों तक धान की सीधी बुवाई हेतु उन्नत तकनीकी जैसे नई मशीनों से बुवाई, खरपतवार प्रबंधन की नवीन विधियां, संतुलित उर्वरक प्रबंधन, समुचित जल प्रबंधन के माध्यम से संसाधनों का सही उपयोग करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है।

संगोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि धान की सीधी बुआई तकनीक से लगभग 25 प्रतिशत सिंचाई जल की बचत होती है, प्रति हेक्टेयर लागत में लगभग 6 हजार रूपये की कमी आती है और यह तकनीक पर्यावरण अनुकूल होने के साथ ही मृदा संरक्षण को बढ़ावा देती है।
इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान फिलीपींस के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार समन्वयक उड़ीसा डी.एस.आर. इरी प्रोजेक्ट, ने अपने संबोधन में डी.एस.आर. की सक्सेस स्टोरी एवं उड़ीसा में उसके सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के बारे में बताया। साथ ही बायर क्रॉपसाइंस के वैज्ञानिक एवं अधिकारियों ने भी अपने उद्बोधन में धान की सीधी बुवाई में नए प्रयोग एवं भविष्य में आने वाले नए उत्पाद एवं प्रजातियां जो कि अधिक किसानोपयोगी है के बारे में विस्तृत चर्चा की।


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