कानून व्यवस्था

CRIME;दो ट्रेनों के सेकंड एसी कोच में चोरी, 11 लाख नकदी समेत सामान ले भागे चोर, यात्रियों ने रायपुर में ट्रेन रोककर किया हंगामा

रायपुर, शालीमार -कुर्ला एव मुम्बई -हावड़ा एक्सप्रेस के एसी कोच में चोरी का मामला सामने आया है। चोरों ने चार यात्रियों के 11 लाख रुपये नकदी सहित कई सामान लेकर फरार हो गए। जीआरपी और आरपीएफ ने वारदात में ओडिशा के झारसुगड़ा और राजगामपुर गिरोह के हाथ होने का संदेह जताया है। गिरोह के सदस्यों के मूवमेंट दोनों ट्रेनों में पाए जाने के बाद जीआरपी की टीम उनकी तलाश में जुट गई है। इधर, ट्रेनों के एसी कोच से बड़ी चोरी की घटना से नाराज यात्रियों ने रायपुर स्टेशन में ट्रेन रोककर जमकर हंगामा किया है।यात्रियों का कहना है कि ट्रेन के एसी कोच जब सुरक्षित नहीं है तो सामान्य कोचों की क्या स्थिति होती होगी समझा जा सकता है।जीआरपी रायपुर और दुर्ग थाने में पीड़ित यात्रियों ने चोरी की शिकायत दर्ज कराई है। चोरी की घटना बिलासपुर जोन में घटित होने के कारण जीआरपी ने शून्य में अपराध कायम कर आगे की कार्रवाई के लिए केस डायरी बिलासपुर जीआरपी को भेजी है।

जीआरपी थाने से मिली जानकारी के अनुसार रविवार की आधी रात को शालीमार कुर्ला एक्सप्रेस के एसी कोच में सफर कर रहे एक व्यापारी, डाक्टर और मुंबई हावड़ा मेल में महिला का बैग समेत चार सूटकेस चोरी हो गया। यात्रियों ने बताया कि तीन सूटकेस में करीब 11 लाख रुपये नकद थे।रविवार की सुबह जब बिलासपुर स्टेशन से ट्रेन निकली तब सो कर उठे यात्रियों को चोरी का पता चला। सूटकेस गायब देखकर यात्रियों के होश उड़ गए। ट्रेन के रायपुर स्टेशन पहुंचते ही यात्रियों ने करीब दस मिनट तक जमकर हंगामा किया। मौके पर पहुंचे जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे अधिकारियों ने जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया तब यात्री शांत हुए।इसके बाद जीआरपी थाने रायपुर और दुर्ग में चारों पीड़ित यात्री संजय चौधरी, मधुसूदन अग्रवाल, डा. सत्येंद्र मोहन बत्रा और अरुण बसु दास ने चोरी की शिकायत दर्ज कराई।

यात्री बनकर करते हैं सफर

रेलवे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि झारसुगड़ा और राजगामपुर गिरोह के सदस्यों ने ही एसी कोच से सूटकेस पार किए हैं।ट्रेन से चोरी करने का इस गिरोह का अलग ही तरीका है।आम यात्रियों की तरह गिरोह के लोग एसी कोच में सफर करते है और फिर मौका पाकर नींद में सोए यात्रियों के सामान पार कर देते है।इसके बाद गिरोह के लोग सूटकेश का ताला तोड़कर उसके अंदर रखे जेवर और नकदी निकालकर दूसरे ट्रेन में सवार अपने साथी को दे देते हैं,ताकि चेकिंग होने पर किसी को भी उन पर शक न हो और पकड़े न जा सके।पिछले कुछ महीनों से इस गिरोह की गतिविधियां बंद थीं, लेकिन अब फिर सक्रिय हो गए है।

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