राजनीति

SBI;चुनाव आयोग की वेबसाइट पर Electoral Bonds Data अपलोड,यहां देखें किस पार्टी को कितना मिला चंदा

नई दिल्ली,एजेंसी,  सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) को सख्त आदेश देते हुए कहा था कि मंगलवार शाम तक इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा चुनाव आयोग (EC) को सौंप दिया जाए। एसबीआई ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए मंगलवार शाम चुनाव आयोग को सारा चुनावी बॉन्ड का डेटा सौंप दिया था। जिसके बाद आज चुनाव आयोग ने इस जानकारी को सार्वजनिक कर दिया है।

भारतीय चुनाव आयोग ने आज अपनी वेबसाइट पर चुनावी बांड पर एसबीआई से प्राप्त डेटा को अपलोड किया है। एसबीआई से प्राप्त डेटा को आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं : https://www.eci.gov.in/candidate-politicparty

इस पीडीएफ में देखें किसने खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड 

यहां क्लिक करके देखें पूरी लिस्ट 

इस पीडीएफ में देखें किस पार्टी ने के खरीदे गए इलेक्टोरल 

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ये सभी कंपनी इस डेटा में हैं शामिल 

चुनाव आयोग द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बांड के खरीदारों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज में जो कंपनी शामिल है। उनके नाम इस प्रकार से हैं- मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा आदि शामिल हैं।

इन पार्टियों को मिला चंदा 

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़े में जो पार्टियां शामिल हैं उनमें हैं- डीएमके, जेडीएस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, राजद, आप, एसपी को भी चुनावी बांड के जरिए चंदा मिला है। वहीं इनके अलावा चुनावी बांड के माध्यम से धन प्राप्त करने वालों में भाजपा, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिव सेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस शामिल हैं।

SC ने चुनावी बांड का ब्योरा सार्वजनिक करने का दिया था आदेश

उल्लेखनीय है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को दिए ऐतिहासिक फैसले में केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक बताते हुए खत्म कर दिया था और चुनाव आयोग को चंदादाताओं, उनके द्वारा दिए गए चंदे और चंदा पाने वालों का ब्योरा उजागर करने का निर्देश दिया था। वहीं,आपको यह बता दें कि इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बांड का ब्योरा सार्वजनिक करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था। जिस आवेदन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

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