राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

कयासों का बाजार गर्म,चार जून का इंतजार

छत्तीसगढ़ में आसमानी तापमान बढ़ने के साथ ही राजनीतिक तापमान भी ऊंचाई पर है। भाजपा लोकसभा की सभी 11 सीटें जीतने का दावा कर रही है तो कांग्रेस भी चार-पांच सीटों पर ताल ठोंक रही है। दावों और प्रतिदावों का खुलासा तो चार जून को मतगणना के बाद होगा। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद कई चीजों का खुलासा भी होगा। कयास लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद साय मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल होगा। साय मंत्रिमंडल में अभी एक स्थान रिक्त है। शिक्षा मंत्री बृजमोहन अगवाल के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद एक मंत्री पद और खाली हो जाएगा। इस कारण कइयों के मंत्री बनने की आस जगी है। मंत्री बनने की दौड़ में नए और पुराने विधायक शामिल हैं। अब देखते हैं किसका भाग्य खुलता है। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रालय से लेकर जिला स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल होगा। कई जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक बदले जाएंगे। कुछ भाजपा नेताओं को निगम-मंडल की रेवड़ी भी मिल सकती है। चार जून के बाद प्रशासनिक कामकाज में भी तेजी आएगी। इसलिए सबको इंतजार है चार जून का। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद देश में सरकार की स्थिति भी साफ़ हो जाएगी।

कौन होंगे लघु वनोपज संघ के नए एमडी ?

माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के नए प्रबंध संचालक का फैसला चार जून के बाद ही होगा। राज्य लघु वनोपज संघ के वर्तमान प्रबंध संचालक अनिल राय 31 मई को रिटायर होने वाले हैं। 1990 बैच के आईएफएस अनिल साहू राज्य लघु वनोपज संघ के एमडी बनने की कोशिश कर सकते हैं। अनिल साहू अभी राज्य अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं जलवायु परिवर्तन में प्रधान मुख्य वन संरक्षक हैं। 1990 बैच के आईएफएस वी. श्रीनिवास राव अभी वन विभाग के मुखिया हैं। भाजपा राज में तेंदूपत्ता संग्राहकों को बढ़ी हुई राशि मिलेगी। माना जाता है भाजपा शासनकाल में लघु वनोपज संघ की गतिविधियां बढ़ जाती है। वैसे भी पिछले कुछ वर्षों में वनोपज संघ के काम काफी बढ़े हैं और वह चर्चा में भी है। ऐसे में सरकार किसी अनुभवी आईएफएस अफसर को यहां पोस्ट करना चाहेगी। कहा जा रहा है कि संघ में नई नियुक्ति तक अपर प्रबंध संचालक बी आनंद बाबू को कार्यभार सौंपा जा सकता है। आनंद बाबू काफी दिनों से राज्य लघु वनोपज संघ में पदस्थ हैं। 1992 बैच के आईएफएस आनंद बाबू पीसीसीएफ पद पर पदोन्नति की कतार में भी हैं। अनिल राय के रिटायरमेंट के बाद रिक्त पद पर डीपीसी होने पर आनंद बाबू पीसीसीएफ बन सकते हैं।

दक्षिण में दावेदारों की भरमार

यह तय माना जा रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल रायपुर लोकसभा सीट जीतेंगे, ऐसे में रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट रिक्त हो जाएगी। इस कारण अभी से दावेदारों की फेहरिस्त तैयार हो गई है। कहते हैं सांसद सुनील सोनी समेत एक पूर्व विधायक और भाजपा के कई पदाधिकारियों की नजर रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर है। कई दावेदार ओड़िसा और झारखंड में इन दिनों चुनाव प्रचार में भी लगे हैं, जिससे पार्टी के बड़े नेताओं की नजरें इनायत हो, लेकिन लोगों का मानना है कि दक्षिण सीट पर उम्मीदवार का फैसला बृजमोहन के रुख पर निर्भर करेगा। बृजमोहन अग्रवाल 1990 से इस सीट से विधायक हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीते भी हैं। क्या अपनी परंपरागत सीट को किसी को भी सौंप देंगे या फिर अपने परिवार या अपने खास के सुपुर्द करेंगे। इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है।

चुनाव बाद पीएचक्यू में उलटफेर

लोकसभा चुनाव के बाद पुलिस में क्या उलटफेर होता है, उस पर सभी की निगाहें हैं। भूपेश सरकार में प्राइम पोस्टिंग वाले अफसर अभी भी बिना काम के हैं, तो कुछ पुलिस अफसर लंबे समय से एक ही विभाग देख रहे हैं। डीजीपी अशोक जुनेजा को बदले जाने की ख़बरें सुर्खियों में आ जाती हैं। वैसे अशोक जुनेजा का कार्यकाल अगस्त तक ही है। पुलिस विभाग में डीजी पद के लिए डीपीसी भी लंबे समय से पेंडिग है। इस बीच 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह की बहाली और चुनाव नतीजों के बाद पोस्टिंग की चर्चा होने लगी है। कहते हैं जी पी सिंह की बहाली के लिए कागज दौड़ने लगा है। जी पी सिंह को भूपेश बघेल सरकार में बर्खास्त कर दिया गया था। कैट से उन्हें न्याय मिल गया है। जी पी सिंह बहाल होते हैं, तो डीजी स्तर का पद मिलेगा, क्योंकि जीपी सिंह से अशोक जुनेजा के बाद अरुण देव गौतम और पवन देव ही वरिष्ठ हैं। 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता और एस आर पी कल्लूरी भी हैं।

सिरसा का दांवपेंच

2023 के विधानसभा चुनाव के वक्त छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रभारी महासचिव रही कुमारी सैलजा सिरसा से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। सैलजा को डेंट करने के लिए भाजपा ने भगवाधारी पुराने कांग्रेसियों को वहां भेजा। जोश-जोश में नए भगवाधरियों ने सैलजा के खिलाफ आवाज बुलंद की, पर सैलजा की मानहानि नोटिस से मामला पलटी खा गया। इस बीच पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया ने भगवाधारी पुराने कांग्रेसियों पर तंज कसकर छत्तीसगढ़ की राजनीति को गरमा दिया। भाजपा के लोगों ने डहरिया पर ही वार शुरू कर दिया। सिरसा से शुरू राजनीति के दांवपेंच का बवंडर छत्तीसगढ़ में क्या उथल-पुथल मचाता है, अब देखना है।

दो महिला आईएएस के भरोसे वन विभाग

सरकार ने पिछले दिनों ही 1994 बैच की आईएएस ऋचा शर्मा को वन विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया है। 2008 बैच की आईएएस शिखा राजपूत तिवारी वन विभाग की सचिव हैं। सरकार ने शिखा राजपूत तिवारी को सरगुजा संभाग के कमिश्नर के पद से हटाकर वन विभाग के सचिव के पद पर पदस्थ किया था। अब सरकार दोनों महिला आईएएस को वन विभाग में बनाए रखती है या फिर कुछ बदलाव, इस पर लोगों की नजर है। भाजपा की सरकार ने 2001 की आईएएस शहला निगार को कृषि सचिव बनाने के साथ 2016 बैच की चंदन त्रिपाठी को संचालक कृषि की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन कुछ महीने बाद चंदन त्रिपाठी को हटाकर सारांश मित्तर को संचालक कृषि बना दिया गया।

चर्चा में डाक्टर

आजकल रायपुर के एक डाक्टर बड़े चर्चे में हैं। चर्चा उनके प्रोफेशनल उपलब्धियों को लेकर नहीं है, बल्कि नए उद्यम को लेकर है। कहते हैं डाक्टर साहब रायपुर में एक पांच सितारा होटल बना रहे हैं। ये उस इलाके में होटल बना रहे हैं, जिस तरफ शहर बढ़ रहा है। डाक्टर साहब का शहर में एक बड़ा अस्पताल भी है। वैसे तो कोरोनाकाल भले लोगों के लिए आफ़तकाल था, लेकिन छोटे-बड़े कई अस्पतालों को उबार गया। होटल-धर्मशाला को अस्पताल में तब्दील कर कई नामी-गिरामी डाक्टरों ने चांदी काटी। अब डाक्टर अस्पताल के मुनाफे से दूसरे धंधे में हाथ आजमाएंगे ही। इसमें बुराई भी नहीं, पर कुछ अफसरों की भागीदारी की खबर ने डाक्टर साहब के नए उद्यम को सुर्ख़ियों में ला दिया है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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