कानून व्यवस्था

HC; कृषिविवि. के पूर्व कुलपति प्रो पाटिल के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश को हाई कोर्ट ने किया ख़ारिज 

  बिलासपुर, इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो एस के पाटिल के खिलाफ निचली अदालत द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर जाँच के आदेश को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। प्रफेसर पाटिल के खिलाफ सन 2018 में कांग्रेस कार्यकर्ता विनोद तिवारी द्वारा निचली अदालत में केस दायर किया गया था जिसमें उन पर बैक डेट में चेक जारी कर आर्थिक अनियमितता एवं धोकघड़ी के आरोप लगाए गए थे। इस मामले में निचली अदालत ने बिना कोई सुनवाई किये प्रो पाटिल के खिलाफ FIR कर जाँच के आदेश जारी किया था। उच्च न्यायालय द्वारा इस पर स्थगन प्रदान कर प्रो पाटिल के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर रोक लगायी गयी थी।

इस मामले में 09/05/2024 को अंतिम निर्णय देते हुए बिलासपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्रीमती रजनी दुबे ने कहा कि इस मामले में, यह स्पष्ट है कि मामले की जांच पुलिस थाना-तेलीबांधा, राज्य आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा की गई थी और दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट है कि प्रोफेसर पाटिल द्वारा कोई अनियमितता या अवैधता नहीं की गई है, लेकिन विद्वान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने 8-मई 2018 के आदेश के माध्यम से संबंधित पुलिस थाने से कोई रिपोर्ट तलब किए बिना, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसे बरकरार नहीं रखा जा सकता है।

अतः, इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, आवेदकों के खिलाफ आरोपों की प्रकृति, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कई एजेंसियों ने पहले ही मामले की जांच की है और कथित अनियमितता में उनकी कोई संलिप्तता नहीं पाई है। अतः निर्धारित कानून के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए विद्वान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर द्वारा पारित 8-5-2018 के आदेश को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया । इस मामले को राजनीतिक रंग देते हुए कांग्रेस ने जोर-शोर से उछाला था और प्रोफेसर पाटिल की छबि खराब करने की कोशिश की थी।

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