राजनीति

 जहां जहां पांव पड़े दुर्ग के तहं तहं बंटाधार….

छत्तीसगढ़ राज्य की 11 लोकसभा सीट के 10 सीट पर भाजपा और एक सीट पर कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी है। जीत से परे एक बात हार के संबंध में एक मायने रखती है कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय प्रत्याशियों के स्थान पर बाहरी प्रत्याशियों के चयन के चलते  हार हुई !

दुर्ग  तो मानो “कैंडिडेट फैक्ट्री” बन गई थी, दुर्ग के चार स्थानीय निवासियों भूपेश बघेल, ताम्र ध्वज साहू, देवेंद्र यादव, और सरोज पांडे को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने दुर्ग की जगह अन्य लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया था। भूपेश बघेल को राजनांदगांव, ताम्र ध्वज साहू को महासमुंद,और देवेंद्र यादव को बिलासपुर सीट से प्रत्याशी बनाया गया था। भाजपा ने कोरबा से दुर्ग की ही सरोज पांडे को प्रत्याशी बनाया था। ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस के पास स्थानीय प्रत्याशियों का अभाव है। राजनांदगांव, महासमुंद और बिलासपुर के स्थानीय प्रत्याशियों की उपेक्षा कांग्रेस को भारी पड़ गई। दुर्ग निवासी भूपेश बघेल राजनांदगांव के लोकसभा क्षेत्र के निवासी संतोष पाण्डेय से 44 हजार वोट से हार गए। पूर्व में भूपेश बघेल दुर्ग छोड़ रायपुर लोकसभा चुनाव से लडे थे और रमेश बैस से हार गए थे।

महासमुंद में दुर्ग निवासी ताम्र ताम्र ध्वज साहू 2014 में दुर्ग से सांसद थे, उनको महासमुंद शिफ्ट कर दिया गया। ताम्रध्वज साहू महासमुंद जिले की स्थानीय निवासी रूप कुमारी चौधरी से 1.45 लाख वोट से हार गए। बिलासपुर के स्थानीय निवासी तोखन  साहू ने दुर्ग निवासी देवेंद्र यादव को 1.62 लाख वोट से हरा दिया।

 स्थानीय निवासी के बजाय बाहरी प्रत्याशी के मोह से भाजपा भी नही बच पाई। परिणाम भी वही मिला जो कांग्रेस को राजनांदगांव, महासमुंद,और बिलासपुर में  मिला याने पराजय,। भाजपा ने दुर्ग निवासी सरोज पांडे को कोरबा की स्थानीय प्रत्याशी ज्योत्सना  महंत (कांग्रेस) के खिलाफ खड़ा किया। कोरबा के मतदाताओं ने सरोज पांडे को समर्थन नहीं दिया और दुर्ग की सरोज पांडे  की जगह ज्योत्सना महंत को 43 हजार वोट से जीता दिया। दुर्ग से चुनाव लडने वाले कांग्रेस के स्थानीय प्रत्याशी राजेंद्र साहू भी चुनाव हार गए।

पैराशूट प्रत्याशी वह भी चार चार एक ही हेलीपेड दुर्ग से उड़कर चार जगह उतरे जरूर लेकिन स्थानीय प्रत्याशियों ने उन्हे वापस उसी हेलिकॉप्टर से दुर्ग भेज दिया। दुर्ग  के चार दुर्ग ढहाने वालों सहित कांग्रेस और भाजपा को मंथन की जरूरत है।

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