राजनीति

‘जय श्री राम’ से ‘राम राम’ तक…..

लोकसभा चुनाव  2024 के नतीजे आ गये है। देश को प्रधानमंत्रियों की कतार देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में जनादेश के चलते  प्रश्न चिन्हों की  कतार भी लग गई है।  फैजाबाद (इस मुगालते में न  रहे कि किसी फैज ने इसे आबाद किया था) फैज अहमद फैज एक पाकिस्तानी शायर है जिनका जन्म 1911 में हुआ था, उनका फैजाबाद से कोई ताल्लुक नहीं है। फैजाबाद लोकसभा सीट ( चुनाव आयोग में अभी अयोध्या लोकसभा सीट नाम परिवर्तित नहीं हुआ है) से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी  पराजित हो गए। भाजपा सहित सनातनियो, हिंदू धर्मावलंबियों सहित भाजपा और भाजपा समर्थको को सांप सूंघ गया। सूंघना भी चाहिए। बावरी मस्जिद ढहने पर जितना सुख लोगो को मिला था भगवान राम के मंदिर बनने के बाद फैजाबाद सीट पर हार ने लोगो की तबियत खराब भी कर दी और मस्त भी कर दी।  

 “जय श्री राम” के उद्घोष करने वालो6 को समझ में नहीं आ रहा है कि  सरयू नदी के किनारे जन मानस के राम के भव्य मंदिर बनाने और राम लला के प्राण प्रतिष्ठा करने के अलावा सारी सुविधाएं परोसने के बाद भी फैजाबाद के मतदाता भाजपा को “राम राम” क्यों कह दिये?  फैजाबाद  लोकसभा सीट से भाजपा की  हार ने उत्तरप्रदेश में समाजवादियों सहित कांग्रेस और  भाजपा विरोधी दल और व्यक्तियों के दिल में ठंडक दी है । वे रामचरित मानस अंतर्गत सुंदरकांड का ये दोहा भाजपा के लिए गा रहे है।

 “निर्मल मन जन सो मोहि भावा

मोहि  कपट, छल, छिद्र न भावा”

 रामचरित मानस में भगवान राम की तरफ से तुलसीदास कहते है कि “मुझे वो व्यक्ति पसंद होते है जिनका मन निर्मल होता है और वे छल कपट से परे होते है।”

फैजाबाद लोकसभा सीट से भाजपा को” जय श्री राम” से ,”राम राम” तक ले जाने में  विपक्षियों को असीम सुख  मिला है। मिलना भी चाहिए कि देश में आस्था का बना केंद्र जिसके भरोसे चुनाव में राम लहर चलने का जबरदस्त विश्वास था वह सरयू नदी में कैसे डूब गया? “जय श्री राम” के बदले  “हे राम” निकल रहा है करोड़ो लोगो के मुखार बिंद से।

 नरेंद्र मोदी ( तीसरी बार प्रधान मंत्री पद की शपथ लेने वाले), उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ सहित जय प्रकाश नड्डा और उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के लिए निश्चित रूप से मंथन का विषय होना चाहिए कि  अयोध्या का कायाकल्प करने के बाद भी अयोध्या जिस लोकसभा सीट अंतर्गत आता है, वहां भाजपा का विकल्प समाजवादी +कांग्रेस गठबंधन कैसे बन गया? ये चिंतन उत्तर प्रदेश के उन लोकसभा सीट के लिए भी होना चाहिए ( पार्टी चिंतक लेखक से हजार गुना होशियार है) जहां के मतदाताओं ने भाजपा को “जय श्री राम” कहने का गौरव देने के बजाय “राम राम “कह दिया है। 

 कार्ल मार्क्स ने माना था कि “धर्म एक ऐसा नशा है जिसका असर मनो- मस्तिष्क पर  स्थाई रूप से होता है।” लेकिन ये बात आज के दौर में पूर्णतः लागू नहीं होती है। धर्म से बड़ा  नशा जाति का है, संप्रदाय का है, प्रलोभन का है, बिना मेहनत करे मिलने वाली सुविधाओं की घोषणाओं का है। फैजाबाद सहित  केवल उत्तर प्रदेश  में मिला जनादेश अति आत्म विश्वास और आत्म मुग्धता के खिलाफत के अलावा अपनी ढपली अपना राग गाने के प्रतिरोध का भी है।

 अयोध्या लोकसभा मानने वाले पहले अपना ज्ञान सुधार ले कि अयोध्या नाम की देश में कोई लोकसभा सीट ही नही है अतः ये कहना कि अयोध्या लोकसभा सीट से  कोई जीत गया या  कोई हार गया सरासर गलत है। ये सही है कि  भाजपा अगर उत्तर प्रदेश में प्रश्न चिन्ह के दायरे में आई है। एग्जिट पोल में जितनी सीट मिलने का दावा दिखा उसके आधे में कैसे खड़े हो गए?

 थोड़े से पीछे चल कर अटल बिहारी वाजपेई सरकार के कार्यकाल में हुए चुनाव को याद करते है। बावरी मस्जिद विध्वंस के ज्यादा दिन नही हुए थे और निकले नतीजे से भाजपा “राम राम” हो गई थी, तब भी इसी तरह  के नतीजों ने भाजपा संगठन को  चौका दिया था। भाजपा ने तब भी मंथन किया था और आगे फिर उत्तर प्रदेश की जनता ने सर आंखों पर बैठाया था।

 जो होता है अच्छा होता है, ये मानकर जनादेश को स्वीकारना लोकतंत्र में सुधार का मार्ग प्रशस्त करता है। पांच साल का समय कम नहीं होता है। भाजपा के शीर्ष को आत्ममुग्धता और अति आत्म विश्वास के सातवे मंजिल से जनता ने तीसरे मंजिल पर खड़ा कर ये भी कहा है कि एक मौका और देते है दूसरा मौके के लिए।

 कहा जाता है कि भगवान दुख के साथ सांत्वना के लिए कुछ सुख भी देते है। भले ही राम मंदिर  जिस लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है वहां से भाजपा पराजित हो गई लेकिन धारावाहिक रामायण के राम अरुण गोविल कई बार वनवास में जाते जाते अंततः “जय श्री राम” हो गए। भाजपा अब राम, सीता और रावण को  संसद में पहुंचाने वाली भी पार्टी कहला सकती है।

 इन सब बातों से परे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव निश्चित रूप से  बधाई के पात्र है जिन्होंने  विधानसभा चुनाव में सत्ता न पाने के बावजूद लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मेहनत की, सफलता प्राप्त की, कांग्रेस को भी सफलता दिलाने में सूत्राधार रहे। उनकी साइकिल को अगर समय रहते न रोका गया तो लखनऊ पहुंचने से उनको अगले विधान सभा चुनाव में नही रोका जा सकेगा।

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