राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

मंत्री बनने की दौड़ में मूणत-अजय के साथ लता और पुरंदर भी

माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय विधानसभा के मानसून सत्र के पहले अपने मंत्रिमंडल का विस्तार और कुछ हेरफेर कर सकते हैं। साय मंत्रिमंडल में अभी मंत्रियों के दो पद रिक्त हैं। एक-दो मंत्रियों को ड्राप करने और कुछ के विभाग बदलने की भी चर्चा है। कहा जा रहा है कि मंत्रिमडल के विस्तार में अनुभवी और वरिष्ठ लोगों को प्राथमिकता मिल सकती है। कहा जा रहा है कि विधानसभा में मैनेजमेंट की दृष्टि से पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को प्राथमिकता मिल सकती है। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने और मंत्री पद से इस्तीफे के बाद फ्लोर मैनेजमेंट के नजरिए से अजय चंद्राकर का नाम आगे चल रहा है। लोकसभा चुनाव में क्लस्टर इंचार्ज के तौर पर बेहतर परफॉर्मेंस ने अजय चंद्राकर का ग्राफ बढ़ा दिया है। राजेश मूणत भी लोकसभा चुनाव में क्लस्टर इंचार्ज थे और उनके प्रभार वाले लोकसभा में भाजपा की जीत हुई है। इसके कारण मूणत का नाम भी मंत्री बनने वालों में शामिल है। इसके अलावा मूणत बिजनेस कम्युनिटी का प्रतिनिधित्व करते हैं। खबर है कि भाजपा बिजनेस कम्युनिटी को नजरअंदाज नहीं करना चाहती है। बस्तर से अभी केदार कश्यप ही मंत्री हैं, इस कारण लता उसेंडी का नाम चर्चा में है। लता उसेंडी पूर्व में मंत्री रह चुकी हैं। ओडिशा में भाजपा की जबर्दस्त जीत के बाद रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा का नाम भी तेजी से सामने आया है। कहा जा रहा है पुरंदर मिश्रा ने ओडिशा में चुनाव के वक्त काफी काम किया, उसका उन्हें ईनाम मिल सकता है। तर्क दिया जा रहा है कि पुरंदर मिश्रा को मंत्री बनाए जाने से तीन बात सध जाएगी। पुरंदर मूलतः महासमुंद जिले के निवासी हैं,उनको मंत्री बनाए जाने से रायपुर के साथ महासमुंद का कोटा भी पूरा हो जाएगा साथ ही एक ओड़िया भाषी को छत्तीसगढ़ में मंत्री बनाने का संदेश ओडिशा में जाएगा।

अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता बनेंगे डीजी

कहते हैं पिछले हफ्ते डीजी के तीन रिक्त पदों के लिए डीपीसी हुई। इसमें 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम और पवन देव के साथ 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता के नामों पर विचार हुआ। कहा जा रहा है कि एक पुराना मामला लंबित होने के कारण पवन देव का नाम अभी बंद लिफाफे में है। पदोन्नति समिति ने अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता के नाम को हरी झंडी दे दी। माना जा रहा है कि दोनों आईपीएस अधिकारी अब डीजी के पद पर प्रमोट हो जाएंगे और अगले हफ्ते आदेश जारी हो जाएगा। वैसे 30 साल की सेवा पूरी करने के कारण अरुण देव गौतम को 2022 में ही डीजी बन जाना चाहिए था, उनकी पदोन्नति दो साल विलंब से होने जा रही है। पुलिस में डीजी पद पर प्रमोशन का मामला काफी दिनों से अटका पड़ा था। चर्चा है कि अब असली लड़ाई डीजीपी की नियुक्ति में होनी है। वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल अगस्त में समाप्त होने जा रहा है।

लखमा ने बैज के खिलाफ खींची तलवार

कहते हैं कांग्रेस नेता और विधायक कवासी लखमा ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कवासी लखमा बस्तर से लोकसभा चुनाव लड़े और हार गए। पार्टी ने दीपक बैज का टिकट काटकर कवासी को उम्मीदवार बनाया था। कहा जा रहा है कि तब से दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। शुक्रवार को वीरप्पा मोईली की अध्यक्षता में लोकसभा चुनाव में पराजय के कारणों के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में कवासी ने गुटबाजी का आरोप लगा परोक्ष रूप से दीपक बैज पर निशाना लगाया। दीपक को विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दीपक बैज के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव भी हारी और लोकसभा भी। दीपक खुद भी विधानसभा चुनाव हार गए। कुछ नेता कह रहे हैं कि दीपक की जगह नई नियुक्ति की जानी चाहिए,पर कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें काम करने के लिए समय ही नहीं मिला, ऐसे में उन्हें आगे मौका दिया जाना चाहिए। कुछ लोग यह भी तर्क दे रहे हैं कि कांग्रेस ने धनेन्द्र साहू को अध्यक्ष बनाया था, तब भी राज्य में पार्टी की विधानसभा और लोकसभा में हार हुई थी, उसके बाद भी उन्हें अध्यक्ष के पद पर बनाए रखा गया था। बात कुछ भी हो, लग रहा है कि कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर खींचतान तो चल रही है। अब नतीजे का इंतजार है।

जीपी के लिए केंद्र से हरी झंडी का इंतजार

कहते हैं 1994 बैच के आईपीएस अफसर जीपी सिंह की सेवा बहाली को लेकर राज्य सरकार को भारत सरकार से हरी झंडी का इंतजार है। कैट ने जीपी सिंह के पक्ष में फैसला दिया है। भूपेश बघेल की सरकार ने जीपी सिंह को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी , जिसे भारत सरकार ने मान लिया था। अब कैट ने उन्हें बहाल करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने कैट के फैसले के आधार पर भारत सरकार से मार्गदर्शन मांगा है। जीपी सिंह बहाल होते हैं तो डीजी स्तर के पद पर पदस्थ होंगे।

सवन्नी का सिक्सर

राज्य सरकार ने महेंद्रसिंह सवन्नी को मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक पद पर छह माह की संविदा नियुक्ति दे दी है। 30 जून को रिटायर हो रहे सवन्नी को एक जुलाई से संविदा नियुक्ति मिल गई। सवन्नी मूलतः मंडी बोर्ड के अफसर हैं। यहाँ से सेवा शुरू कर वे प्रबंध संचालक के पद तक पहुंचे और अब उन्हें प्रबंध संचालक के पद पर संविदा नियुक्ति मिली है। यह उपलब्धि हासिल करने वाले मंडी बोर्ड के पहले अधिकारी हैं। एकाध अवसर को छोड़कर हमेशा मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों की नियुक्ति होती रही है।

6-7 जिलों के कलेक्टर बदलेंगे

कहा जा रहा है कि विधानसभा के मानसून सत्र के पहले राज्य के 6-7 जिलों के कलेक्टर इधर से उधर होंगे। कुछ कलेक्टरों को एक जिले से दूसरे जिले में भेजा जाएगा, तो कुछ को मंत्रालय में पदस्थ किया जाएगा। इस फेरबदल में मंत्रालय में पदस्थ कुछ अफसरों के विभागों में फेरबदल की संभावना व्यक्त की जा रही है। माना जा रहा है कि कलेक्टरों के साथ आधे दर्जन से ज्यादा जिलों के एसपी भी इधर से उधर हो सकते हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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