
कांग्रेस को भले ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा विभिन्न चुनावों में मिले प्रतिशत के आधार मिला हुआ है( राष्ट्रीय स्तर पर तीन राज्यों में डाले गए प्रतिशत के आधार पर) लेकिन अनेक राज्यों में निर्वाचित सांसद और विधायकों की संख्या को देखे तो केवल संगठन है सत्ता में सहभागिता अत्यंत ही अल्प! हाल ही में हुए दिल्ली विधान सभा चुनाव में कांग्रेस खाता नहीं खोल पाई। पिछले तीन चुनावी अवसरों से शून्यता बरकरार है।जाहिर है जहां सत्ता से दूरी बनी हुई है वहां संगठन को मजबूत किया जाता है।
राज्य स्तर की इकाई में दम भरने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक महासचिव को जिम्मेदारी दी जाती है। हाल ही में कांग्रेस के आलाकमान!ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पंजाब की जिम्मेदारी दी है। पंजाब में कांग्रेस से सत्ता हथिया कर आम आदमी पार्टी सत्ता में है। यहां का विधानसभा चुनाव तीन वर्ष दूर है।इस आधार पर पंजाब में संगठन को मजबूत करने के लिए पर्याप्त समय है।
पंजाब से लोकसभा में कांग्रेस को 13 में से 7 सीट मिली है। विधान सभा चुनाव में 117 से सिर्फ 16 सीट हिस्से में आई है। पिछली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा कर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। भाजपा से कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू को हाइकमान का संरक्षण मिला। वे प्रदेश अध्यक्ष भी बनाए गए। गुटीय राजनीति इतनी बढ़ी कि चरणजीत सिंह चन्नी खुद चुनाव हार गए। आम आदमी पार्टी रिकॉर्ड जीत के साथ सत्ता में आई। इसका सीधा मतलब है कि कांग्रेस को राज्य स्तर पर आप और अकाली दल के संगठन को ध्यान में रख कर दम लगाना पड़ेगा।
पंजाब में फिलहाल संगठन अमरेंदर (अमरिंदर नहीं )सिंह वारिग के हाथ में है। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पंजाब की जिम्मेदारी दी है। पंजाब में कांग्रेस को 1952 से 62 तक लगातार शासन करने का अवसर मिला है। इसके बाद कांग्रेस को मौका नियमित रूप से नहीं मिला है। 1972,1980,1992, 2002और 2017 में कांग्रेस सत्ता में रही है। अकाली दल, भाजपा के साथ गठबन्धन कर सत्ता में बनी रही लेकिन गठबंधन से हटने के बाद अकाली दल को नुकसान उठाना पड़ा।
बहरहाल, भूपेश बघेल को सबसे बड़ी चुनौती के रूप में कई भागों में बटी कांग्रेस को एक मंच पर लाने की होगी। नवजोत सिंह सिद्धू एक विघ्नकर्ता है जिनका कांग्रेस के भीतर बहुत विरोध है।इसके अलावा पंजाब में घटता जनाधार भूपेश बघेल के लिए दूसरी चुनौती होगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत 15.52 कम हुआ है। यह जनाधार सत्ता वापसी के बहुत बड़ा अंतर है।
भूपेश बघेल, छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष होने के कारण संगठन और मुख्यमंत्री होने के नाते सत्ता का अनुभव रखते है। इस कारण उत्तर प्रदेश जैसे खट्टे अंगूर पंजाब में नहीं मिलेंगे, ऐसी आशा की जानी चाहिए।
स्तंभकार-संजय दुबे