
0 नक्सलियों के सफाए के लिए चलेगा सामूहिक आत्मसमर्पण अभियान,छत्तीसगढ़ में मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्ति का लक्ष्य
रायपुर, छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। मार्च 2026 तक को नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। माओवादियों के खात्मे के लिए केंद्र सरकार टारगेट के 365 दिन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बस्तर के आईजी पी सुंदरराज के अनुसार, नक्सलियों संगठनों के पास सिर्फ 12 से 14 नक्सली कमांडर बचे हैं। बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। जिस कारण से नक्सली संगठन कमजोर पड़ रहे हैं।
सामूहिक आत्मसमर्पण अभियान
छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल उन्मूलन के लिए सामूहिक आत्मसमर्पण अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। सरकार की नई पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। इस नीति का उद्देश्य अधिक से अधिक नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में वापस लाना है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की कैबिनेट नक्सल प्रभावित इलाकों में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण-पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 को मंजूरी दे दी है। मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य
राज्य सरकार ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। इस दिशा में सरकार को अब सिर्फ एक साल का समय बचा है। विष्णुदेव साय सरकार के 14 महीने के कार्यकाल में अब तक 300 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं और 1,000 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। अब सरकार सामूहिक आत्मसमर्पण नीति के जरिए इस प्रक्रिया को और तेज करने की रणनीति बना रही है।
साल भर में 300 से ज़्यादा माओवादी मारे गए
मीडिया से बात करते हुए आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि “जनवरी 2024 से अब तक 300 से ज़्यादा माओवादी मारे जा चुके हैं, ऐसे में बस्तर संभाग में बमुश्किल 400 हथियारबंद कैडर बचे हैं। उन्होंने कहा कि माओवादियों की सेंट्रल कमेटी भी काफी कमजोर हो गई है और उसके पास सिर्फ 12-14 एक्टिव कमांडर बचे हैं। ये संख्याएं सुरक्षा एजेंसियों को भरोसा दिलाती हैं कि वे मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प को पूरा करने में सक्षम होंगी।”
केवल 1200 नक्सलवादी बचे
आईजी ने कहा कि बस्तर संभाग में अब केवल 1,200 माओवादी बचे हैं। उनके लिए हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण करने या सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ का दरवाज़ा खुला है। 2021 से अब तक 385 नक्सलियों के मारे जाने के बाद, बस्तर में लगभग 400 नियमित सशस्त्र कैडर बचे हैं। बाकी 700-800 मिलिशिया पुरुष हैं जो सपोर्ट सिस्टम के रूप में काम करते हैं, वे चेतना नाट्य मंच और दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संघ जैसे सांस्कृतिक विंग के सदस्य हैं। सेंट्रल कमेटी भी सिकुड़ रही है। हमारी मुख्य चिंता- वर्दीधारी लोग हैं, जो ज़्यादातर PLGA संरचनाओं और बटालियन 1 के वरिष्ठ स्तर के कैडर हैं।
प्रभुत्व का क्षेत्र कम
पी सुंदरराज ने कहा- अगर अगले साल नक्सलवाद वास्तव में खत्म हो जाता है, तो कोई भी गारंटी नहीं दे सकता है कि 31 मार्च, 2026 के बाद कोई हिंसा नहीं होगी, लेकिन नक्सलियों को खत्म करने के पूरे अभियान का फोकस एक बिंदु एजेंडे पर आधारित नहीं है। उनके प्रभुत्व का क्षेत्र कम हो गया है, उनकी ताकत पहले जैसी नहीं रही, सुरक्षा शिविर लोगों की चाहत के मुताबिक विकास ला रहे हैं, इसलिए हमें वांछित लक्ष्य तक पहुंचने की उम्मीद है।”