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FOREST;वन विभाग की करतूत, फर्जी हस्ताक्षर कर 18 लाख रुपये निकालने की तैयारी थी….

गडबडी

बिलासपुर, बिलासपुर सर्किल के मरवाही वनमंडल में भ्रष्टाचार की एक नई परत उजागर हुई है. इस बार खुद उपवनमंडलाधिकारी (SDO) ने 18 लाख रुपये से अधिक के फर्जी भुगतान की साज़िश का पर्दाफाश करते हुए विभागीय अधिकारियों को शिकायत सौंपी है. SDO मोहर सिंह मरकाम ने बिलासपुर वनसंरक्षक वृत्त और वनमंडलाधिकारी को इस मामले में शिकायत पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है.

उपवनमंडलाधिकारी मोहर सिंह ने शिकायत पत्र में बताया कि कार्यालय में पदस्थ संलग्न अधिकारी (SDO) मरवाही वनमंडल, परिक्षेत्र अधिकारी मरवाही (रेंजर) और संबंधित शाखा के दो बाबू -02 पर आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई गई है कि मरवाही रेंज के अंतर्गत विभिन्न क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के तहत 20% जल संवर्धन संरचनाओं के रखरखाव कार्य में ₹18,27,214 (अठारह लाख सत्ताईस हजार दो सौ चौदह रुपये) के फर्जी कार्यों के बिल और फर्जी कार्यों के फ़ोटो लगाकर भुगतान के लिए वाउचर तैयार किए गए थे. 18 लाख रुपये से अधिक राशि के इन फर्जी वाउचरों में बाकायदा पेण्ड्रा उपवनमंडलाधिकारी की डुप्लीकेट सील बनाकर इतनी बड़ी शासकीय राशि की निकासी का प्रयास किया गया. इसका भंडाफोड़ तब हुआ जब तत्कालीन DFO की सूझबूझ से वाउचरों को सत्यापन के लिए पेण्ड्रा SDO कार्यालय भेजा गया. जहां SDO ने वाउचरों को देखते ही स्पष्ट कर दिया कि इनमें न तो उनके हस्ताक्षर हैं और न ही कार्यालय की सील असली है, जिसके बाद यह भुगतान होते-होते रुक गया.

जानकारी के लिए बता दें कि नियमानुसार किसी भी विभाग के सब-डिवीजन का कोई भी भुगतान अटैच अधिकारी के द्वारा सत्यापित नहीं किया जा सकता, जो कि नियम के विरुद्ध है. इस पूरे प्रकरण में अटैच SDO की भूमिका संदेह के दायरे में है ही, इसके अलावा मरवाही वनपरिक्षेत्र अधिकारी की कार्यशैली पर भी सवाल उठना लाजमी है कि उन्होंने अपने रेंज में जिन कार्यों को किया ही नहीं, उनके फर्जी फोटो और वाउचर भुगतान के लिए कैसे प्रस्तुत कर दिए. इसका मतलब यह है कि मरवाही रेंजर पूर्व में भी इस प्रकार के फर्जी कार्यों के बिल और वाउचर बनाकर भुगतान के लिए प्रस्तुत करते रहे होंगे. उन्हें तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए या मरवाही वनमंडल से हटाकर उनके कार्यकाल की सूक्ष्म जांच कराई जानी चाहिए, ताकि उनके और भी काले कारनामे उजागर हो सकें. वन विभाग के जांच अधिकारियों को इस गंभीर शिकायत पर जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके.

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