GAME; ग्रैंड मास्टर दिव्या देशमुख नई महारानी

एक साल पहले दिव्या देशमुख को यातायात विभाग के नियमानुसार चार पहियां वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस मिला था।जिंदगी से लेकर किसी भी क्षेत्र के ड्राइविंग सीट पर बैठना और मंजिल तक पहुंचना बहुत ही सुखद होता है। पिछले तीन दिन शतरंज, वो भी महिला वर्ग, और ऊपर से भारत के लिए विशेष महत्वपूर्ण दिन था। फीडे विश्व महिला चैंपियन भारत की 19 साल की ऊर्जा से लबरेज दिव्या देशमुख का मुकाबला अपने उम्र से दुगने उम्र 38 साल की अनुभवी कोरेना हम्पी से था।
शतरंज के स्थापित चालबाजों का मानना था कि ग्रैंड मास्टर कोनेरू हम्पी के जीत की संभावना ज्यादा है।मेरा मन कही न कही दिव्या देशमुख के तरफदारी कर रहा था क्योंकि मुझे लग रहा था कि दिव्या में संभावना से लबरेज है,ऊर्जावान है और जोखिम मोल लेने में आगे ही रहेगी, हुआ भी ऐसा। विश्व शतरंज के चौंसठ खानों और बत्तीस मोहरों के खेल में दिव्या देशमुख, इस स्पर्धा की पहली भारतीय महारानी है।
आमतौर पर दुनियां में ईजाद हुए सारे खेलो को शुरू करने का श्रेय पुरुषों के हिस्से में जाता है। शतरंज ही एक ऐसा खेल है जिसे शुरू करने का श्रेय महिला को जाता है। रावण को युद्ध से विरत करने के लिए मंदोदरी ने चतुरंग खेल की शुरुवात की थी। युद्ध के मैदान के सेना को बिसात पर लाया। शारीरिक क्षमता की जगह मानसिक चातुर्य को प्राथमिकता दी। राजा , सेनापति, ऊंट, घोड़ा, हाथी और पैदल सेना तैयार हुई।
आधुनिक युग में शतरंज की चाले जीवन के हर क्षेत्र में शामिल हो गई है। आदिकाल में कृष्ण की चालों का असर था कि महाभारत में हर महारथी ढेर हो गया। फीडे महिला विश्व शतरंज स्पर्धा में जीत और हार दोनों ही स्थिति में विजेता और उपविजेता भारत के ही। दिव्या देशमुख और कोनेरू हम्पी ने दुनियां भर के खिलाड़ियों को मात देकर फाइनल में जगह बनाई थी दिव्या देशमुख की तुलना में कोनेरू हम्पी जो ग्रैंड मास्टर है का अनुभव मायने रखता था लेकीन खेल खत्म हुआ तो एक ग्रैंड मास्टर की प्रतिद्वंद्वी भी नई ग्रैंड मास्टर बन चुकी थी।
दिव्या देशमुख प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं ये दिव्या ने अनेक अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रमाणित किया है। वे जूनियर विश्व चैंपियन है। दिव्या देशमुख। 45वी महिला विश्व विजेता भारतीय टीम की भी सदस्य रही है। विश्व महिला शतरंज में स्थापित 20 महिलाओं मे पहले तीन स्थान पर चीन की होउ याई फान, जू वेंजून और लेई टिंग जेई ने कब्जा किया हुआ है। दिव्या ने आठवें रैंक की टिन झोंग को हराकर फाइनल में पहुंची थी। फाइनल में विश्व के पांचवें रैंक की कोनेरू हम्पी को हराकर कीर्तिमान रच दिया है ।
शतरंज खेल में भारतीय महिलाओं का चार स्थान पर होना महत्वपूर्ण है। कोनेरू हम्पी(5),हरिका द्रोणावल्ली(12) वैशाली रमेशबाबू(15) और दिव्या देशमुख (18)स्थान पर है। दिव्या क्लासिकल रैंक में 2463,रैपिड में2377और ब्लिट्ज में 2366अंक के साथ अपनी रैंकिंग बनाई है। देश को नाज होना चाहिए कि जिस उम्र में अधिकांश लड़कियां कॉलेज के सेकंड ईयर में पढ़ाई करते रहती है ऐसे उम्र में दिव्या देशमुख विश्व विजेता है।
स्तंभकार- संजय दुबे