CRIME;बजरंग दल से जुड़े युवकों पर 11 महिलाओं के साथ छेड़छाड़ का आरोप,एसएसपी को जांच के निर्देश

0 मामले में महिला आयोग सख्त
रायपुर, राजधानी रायपुर की 11 महिलाओं ने एक साथ, एक ही समूह के युवकों पर छेड़छाड़, गाली-गलौज और रेप की धमकी देने जैसे संगीन आरोप लगाए हैं। लेकिन, सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि पीड़ित महिलाओं का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत पर तुरंत FIR दर्ज नहीं की। महिला आयोग ने इसे अत्यंत गंभीर मानते हुए रायपुर एसएसपी को जांच के निर्देश दिए हैं।
मामला रायपुर के सरस्वती नगर थाना क्षेत्र के कुकुरबेडा इलाके का है। यहाँ की 11 महिलाओं ने बजरंग दल से जुड़े कुछ युवकों पर सीधे-सीधे छेड़छाड़, गाली-गलौज और रेप की धमकी देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। ये आरोप मामूली नहीं हैं, ये सीधे-सीधे महिलाओं की अस्मिता और सुरक्षा से जुड़े हैं। लेकिन, आरोपों से ज्यादा चौंकाने वाला है पुलिस का रवैया। पीड़ित महिलाओं का साफ कहना है कि सरस्वती नगर थाना पुलिस ने उनके साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया। शिकायत के बावजूद तत्काल FIR दर्ज नहीं की गई। महिलाओं के अनुसार, उन्हें 10 दिन बाद, और वो भी मामूली धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करके टरका दिया गया।
जब यह मामला छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग तक पहुंचा, तो स्थिति और भी स्पष्ट हो गई। आयोग की सुनवाई के दौरान, सभी 11 महिलाएं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुईं और अपनी आपबीती सुनाई। महिलाओं ने बताया कि घटना के दिन पुलिस ने उन्हें थाने से गाड़ी में बिठाया, लेकिन FIR दर्ज करने के बजाय उन्हें पुलिस लाइन ग्राउंड तक घुमाया गया! महिलाओं ने आयोग को बताया कि जिस दिन उन्हें धमकाया गया, उन्हीं बजरंग दल के सदस्यों की रिपोर्ट पुलिस ने उसी दिन दर्ज कर ली! मतलब, धमकाने वालों की रिपोर्ट तुरंत, और पीड़ित महिलाओं की रिपोर्ट 10 दिन बाद और वो भी मामूली धाराओं में। क्या यह न्याय में देरी नहीं है?
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने इस पूरे प्रकरण को अत्यंत गंभीर श्रेणी में रखा है। आयोग ने स्पष्ट संदेश दिया है कि ‘न्याय में देरी नहीं होनी चाहिए’। आयोग ने तुरंत रायपुर SSP से इस पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने पुलिस प्रशासन को सीधे-सीधे चेतावनी भी दी है। उनका कहना है कि यदि जांच में पुलिसकर्मियों की लापरवाही या पक्षपात साबित हुआ, तो विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। आयोग ने एक बयान जारी कर कहा है कि राज्य की बेटियों और महिलाओं की अस्मिता से समझौता नहीं किया जा सकता। आयोग ने साफ कहा है कि अगर ऐसे मामलों में निष्पक्षता नहीं बरती गई, तो आयोग सीधे राज्य सरकार को अनुशंसा भेजेगा।