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INDIGO; इंडिगो का सिस्टम बदहाल, यात्रियों पर टूटा मुसीबत का पहाड़…हवाई अड्डों पर भयंकर अफरातफरी के लिए सिर्फ सॉरी?

नईदिल्ली, इंडिगो (Indigo) एयरलाइन की सेवाएं इन दिनों बदहाल हैं, जिससे चारों तरफ हाहाकार मचा है; अब तक 1800 उड़ानें रद्द या लेट हो गई हैं, जिससे लाखों यात्री फंसे हुए हैं और एयरपोर्ट पर भारी हंगामा है, जिसकी वजह तकनीकी दिक्कतें, सर्दियों का खराब मौसम, हवाई अड्डों पर बढ़ती भीड़ और नए क्रू रोस्टरिंग नियम बताए जा रहे हैं, जिसके कारण एयरलाइन ने ऑपरेशनल स्थिरता के लिए उड़ानों में कटौती की है और स्थिति सामान्य होने में कुछ और दिन लग सकते हैं.

रायपुर में दिल्ली, मुंबई, गोवा समेत 20 उड़ानें रद्द, 7 हजार से ज्यादा यात्री परेशान

छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर के एयरपोर्ट पर इंडिगो की उड़ानें रद्द होने का सिलसिला आज भी जारी है. आज दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, इंदौर जाने वाली करीब 6 फ्लाइट कैंसिल है। इसके चलते यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। शुक्रवार को भी क्रू स्टाफ और पायलटों की कमी से इंडिगो की दिल्ली की 5, मुंबई की 3, गोवा, इंदौर, कोलकाता समेत अप-डाउन 20 उड़ानों को रद्द कर दिया था. इसके चलते यात्री सुबह 6 से रात तक परेशान हुए और उन्होंने हंगामा किया. फ्लाइट्स रद्द होने से 7 हजार से ज्यादा यात्रियों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी. दिल्ली और मुंबई जाने वाले दर्जनों यात्री ऐसे थे, जिन्हें विदेश की फ्लाइट पकड़नी थी. उड़ानों के रद्द होने से एयरपोर्ट पर सुबह से तनाव की स्थिति बनी रही. लोगों की इंडिगो के स्टाफ से बहस होती रही. कई बार तो काउंटर पर धक्का-मुक्की तक की नौबत आई.

 आने वाले 2 दिनों तक और रद्द होंगी उड़ानें
इंडिगो ने चेतावनी दी है कि शेड्यूल सामान्य होने में कम से कम 2–3 दिन और लगेंगे. 8 दिसंबर से एयरलाइन ने उड़ानों का शेड्यूल कम कर दिया है ताकि अव्यवस्था को रोका जा सके. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने कर्मचारियों को संदेश दिया कि समय पर उड़ानें चालू करना आसान नहीं होगा. हम पूरी ताकत से स्थिति सुधारने में लगे हैं.

 जिस नियम को लागू करने से देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो का सारा सिस्टम बैठ गया और देशभर के हवाईअड्डों में अफरातफरी मच गई, शुक्रवार को उस नियम को टालने का ऐलान कर दिया गया। इसके बाद माना जा रहा है कि तीन दिन में हालात कुछ सुधर सकते हैं। चार दिन से जारी इस परेशानी में 10 लाख यात्री प्रभावित हुए है। शुक्रवार को ही इंडिगो की एक हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द हुई, जो अब तक का रेकॉर्ड है। देशभर से यात्रियों की परेशानी की ऐसी तस्वीरें आई कि हंगामा मच गया। एयरलाइंस के रेगुलेटर डीजीसीए  (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं इंडिगो ने यात्रियों को हुई इस परेशानी के लिए ‘सॉरी’ (SORRY) बोला और रिफंड की बात कही है।

इंडिगो में ही क्यों आया ऐसा संकट, अन्य एयरलाइंस में क्यों नहीं हुआ?

एक्सपर्ट का कहना है कि इसके पीछे वजह सिर्फ मंशा की है। इंडिगो को लगा होगा कि वह FDTL के नए नियम लागू होने पर भी अपने मौजूदा पायलटों और क्रू की संख्या से काम चला लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नए नियमों के हिसाब से उन्हें और ज्यादा पायलटों की जरूरत थी, जो कि उन्होंने समय रहते भर्ती नहीं किए। इंडिगो के बेड़े में 400 से अधिक विमान है। यह देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस है। इस नाते इसे और अधिक ध्यान रखना चाहिए था, जो उसने नहीं किया।

क्या DGCA को पता नहीं था कि इंडिगो पर ऐसा संकट आ सकता है?

फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स के प्रेजिडेंट सी. रंधावा का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी डीजीसीए को नहीं होगी। एफडीटीएल नियम लागू होने से पहले इसके लिए कई महीनों की एक्सरसाइज की गई। सभी एयरलाइंस को इसकी पहले से जानकारी थी। डीजीसीए को चाहिए था कि नियम लागू करने से पहले वह सभी एयरलाइंस की मीटिंग लेता, जिसमें उनकी उड़ानों के शेड्यूल के हिसाब से उनसे पायलट और अन्य क्रू मेंबर की संख्या ली जाती। इससे पहले ही पता लग जाता कि नए नियम लागू होने के बाद कितने पायलटों की कमी हो सकती है। फिर उस हिसाब से एयरलाइंस को भर्ती के लिए कहा जा सकता था, पर शायद ऐसा नहीं किया गया।

क्या यात्रियों को फ्लाइट कैंसल/डिले की अडवांस जानकारी नहीं देनी चाहिए थी?

यहां फिर इंडिगो की गलती सामने आई है। रंधावा के मुताबिक, जब इंडिगो को नवंबर के अंत में यह आभास होना शुरू हो गया था कि उसका सिस्टम गड़बड़ाने लगा है तो उसे कंट्रोल रूम की क्षमता बढ़ानी चाहिए थी, ताकि ऐसी हालत बनने के बाद यात्रियों को रियल टाइम जानकारी दी जाती। इससे यात्री घर बैठे ही यह जान पाते कि उनकी फ्लाइट कितनी डिले है या कैंसल हो गई है। लेकिन इसमें इंडिगो पूरी तरह से फेल साबित हुई। यात्रियों का जमावड़ा देश के सभी एयरपोर्ट्स पर लगने ब्लगा और यात्रियों को एयरपोर्ट जाकर पता लगा कि उनकी फ्लाइट घंटों लेट है या फिर कैंसल हो गई है।

हवाईअड्डों पर हजारों सवालों के जवाब के लिए क्या इंडिगो का स्टाफ काफी था?

एक्सपर्ट रंधावा का कहना है कि ऐसी सिचुएशन में एयरलाइंस के लिए पहले से ही प्रॉपर SOP है, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया। कम स्टाफ को हजारों यात्रियों के गुस्से का सामना करना पड़ा। कई बार ऐसा भी होता है कि ग्राउंड स्टाफ को पता होता है कि फ्लाइट कितनी डिले है, लेकिन उन्हें कहा जाता है कि वह सही जानकारी न दें, नहीं तो यात्रियों को खाना-पानी के साथ स्टे भी देना पड़ेगा। इस वजह से थोड़ी-थोड़ी देर का डिले दिखाते और बताते रहते हैं। मेरे एक जानकार को गुरुवार रात में महिपालपुर के मीडियम क्लास होटल में एक दिन के लिए 90 हजार रुपये का रूम लेना पड़ा।

भविष्य में इन चुनौतियों का क्या जवाब है?

अभी भारत की तमाम एयरलाइंस के बेड़े में 800 के करीब विमान है, जो 10 वर्षों में बढ़कर 2000 के आसपास हो सकते हैं। ऐसे में जब DGCA मौजूदा स्थिति ही नहीं संभाल पा रहा, तो फिर आगे कैसे काम चलेगा? डीजीसीए को चाहिए कि वह अगले 10-20 वर्षों के लिए प्लानिंग करे, जिसमें एयरलाइंस के पास विमानों की संख्या के हिसाब से उनमें पायलट और अन्य स्टाफ हों।

क्या इंडिगो का सॉरी बोलना और रिफंड काफी है? अन्य एयरलाइंस ने किराये क्यों बढ़ाए?

रंधावा के मुताबिक, लाखों लोगों को परेशान करने के बाद इंडिगो केवल सॉरी कहकर नहीं बच सकती है। यात्रियों को रिफंड के साथ हर्जाना भी देना चाहिए। नागर विमानन मंत्री से हुई मुलाकात में भी उनसे यही कहा गया कि इंडिगो पर पेनल्टी लगाए जाने के साथ ही यात्रियों को भी मुआवजा देना चाहिए। जहां तक बाकी एयरलाइंस के किराये बढ़ाने की बात है, तो यह मामला डिमांड ऐंड सप्लाई से जुड़ा है, जो सॉफ्टवेयर के माध्यम से होता है। इसमें सरकार का सीधा दखल नहीं है, लेकिन ऐसी इमरजेंसी में सरकार को भी चाहिए कि वह बढ़ते किरायों पर अंकुश लगाए।

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