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WAR; गाजा में 300 पत्रकारों और उनके 700 परिजनों की कत्लेआम, नेतन्याहू की मीडिया से जंग क्यों?

गाजा/तेल अवीव, अक्टूबर 2023 में हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा में जो अभियान चलाया, उसमें 70 हजार से ज्यादा लोग मारे गये हैं। लेकिन उससे भी ज्यादा हैरान करने वाला आंकड़ां पत्रकारों की हत्या को लेकर है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से इजरायली हमलों में 300 पत्रकार और उनके 700 से ज्यादा परिजन मारे गये हैं। यानि कहा जा सकता है कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सिर्फ हमास के खिलाफ नहीं, पत्रकारों के खिलाफ भी जंग छेड़ रखी थी। फिलिस्तीनी जर्नलिस्ट सिंडिकेट ने दावा किया है कि अक्टूबर 2023 में गाजा युद्ध की शुरुआत के बाद से इजरायल ने फिलिस्तीनी पत्रकारों के कम से कम 706 परिवार के सदस्यों को मार डाला है।

सिंडिकेट की फ्रीडम कमेटी ने शनिवार देर रात इस रिपोर्ट को जारी किया है। इसमें कहा गया है कि इजरायली सेना जानबूझकर पत्रकारों के परिवारों को निशाना बना रही है। ताकि फिलीस्तीन को लेकर रिपोर्टिंग ना हो सके। इसका मकसद पत्रकारों की रिपोर्टिंग रोकना, उन्हें चुप करना, डराना और सच्चाई को बाहर आने से रोकना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये हमले युद्ध के कारण होने वाली मौतों के बजाय एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं।

इजरायल ने जान बूझकर पत्रकारों को निशाना बनाया?
यूनियन ने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ इजरायली हिंसा “और ज्यादा खतरनाक और क्रूर रूप ले चुकी है, जिसमें पत्रकारों के परिवारों और रिश्तेदारों को निशाना बनाया जा रहा है। यह पत्रकारिता के काम को एक ऐसा अस्तित्व का बोझ बनाने की साफ कोशिश है, जिसकी कीमत बेटे, पत्नियां, पिता और माताएं चुकाते हैं।” कमेटी के प्रमुख मुहम्मद अल-लह्हाम ने कहा कि 2023 से 2025 के बीच सामने आए मामलों से यह साफ होता है, कि इजरायल का मकसद गाजा में सच्चाई की आवाज को कुचलना है। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसी जंग है जिसमें कैमरे और बच्चे के बीच, कलम और घर के बीच कोई फर्क नहीं किया जा रहा।” रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकारों के बेटे-बेटियां, पत्नियां, माता-पिता और बुज़ुर्ग रिश्तेदारों को मारा गया है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2023 में 436, 2024 में 203 और 2025 में अब तक कम से कम 67 पत्रकारों के परिजनों की मौत हुई है। यह सिलसिला उसके बाद भी जारी रहा, जब कई पत्रकारों के परिवार पहले ही अपने घरों से विस्थापित होकर टेंटों और अस्थायी शिविरों में शरण ले चुके थे। सिंडिकेट ने खान यूनिस के पास के एक मामले का उदाहरण दिया, जहां पत्रकार हिबा अल-अबादला, उनकी मां और अल-अस्ताल परिवार के करीब 15 सदस्यों के शव लगभग दो साल बाद मलबे से निकाले गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे कई मामलों में पूरे-के-पूरे परिवार खत्म कर दिए गये,, जबकि पत्रकार जीवित बच गए, ताकि वे अपने ही परिवार की तबाही के गवाह बनें।

पत्रकारों के खिलाफ इजरायल ने क्यों शुरू की जंग?
जांच रिपोर्ट के नतीजों में कहा गया है कि इजरायली हमलों ने बार-बार पत्रकारों के घरों, विस्थापन स्थलों और उन इलाकों को निशाना बनाया है जहां मीडियाकर्मी और उनके रिश्तेदार रहते हैं। कुछ मामलों में पूरे के पूरे परिवार खत्म हो गए हैं। इसमें कहा गया है कि पत्रकारों को व्यक्तिगत निशाना बनाने के लिए उनके परिवार को खत्म किया गया है। इन मौतों की संख्या के अलावा, सिंडिकेट ने गंभीर मानसिक नुकसान की भी चेतावनी दी है। जिन पत्रकारों ने अपने बच्चों, पति या पत्नी, या माता-पिता को खोने के बाद भी जान बचाई है, वे अब ट्रॉमा में हैं, भारी अपराधबोध का सामना कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि उनके काम की वजह से उनके परिवारवाले मारे गये हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 300 पत्रकारों की हत्या की गई है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की एक रिपोर्ट में भी कहा गया कि 2025 में इजरायल ने किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा पत्रकारों की जान ली है।

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