छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में नोएडा में FIR; असली की आड़ में 1200 करोड़ की घपलेबाजी, दो IAS समेत 5 अफसरों के खिलाफ जुर्म दर्ज
रायपुर, नोएडा की कंपनी ने छत्तीसगढ़ में शराब के डुप्लीकेट होलोग्राम सप्लाई कर दिए। इन होलोग्राम को लगाकर करोड़ों रुपए की शराब अवैध रूप से बेच दी गई। इससे छत्तीसगढ़ सरकार को करीब 1200 करोड़ रुपए के राजस्व का घाटा हुआ। ये सब नोएडा की कंपनी ने छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के अधिकारियों की साठगांठ से किया। ED ने लंबी जांच पड़ताल के बाद इस मामले में 2 IAS अधिकारियों सहित 5 लोगों के खिलाफ नोएडा में केस दर्ज कराया है।
ED छत्तीसगढ़ के डिप्टी डायरेक्टर हेमंत ने आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, आबकारी आयुक्त IAS निरंजन दास, IAS अनिल टुटेजा, विदू गुप्ता, अनवर ढेबर के खिलाफ 30 जुलाई को जिला गौतमबुद्ध नगर के थाना कासना में IPC सेक्शन 420, 468, 471, 473, 484 और 120B में FIR कराई है।
शराब घोटाला जांच में ED को पता चला कि नोएडा स्थित आरोपी विधू गुप्ता की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को अवैध तरीके से खड़ा किया गया। इसे गलत तरीके से छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग को होलोग्राम की आपूर्ति के लिए टेंडर दिया गया। इस कंपनी के मालिकों, राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का काम किया। इसमें अरुणपति त्रिपाठी आईटीएस (विशेष सचिव उत्पाद शुल्क), निरंजन दास आईएएस (आबकारी आयुक्त), समेत एक और IAS निविदा से जुड़ी प्रक्रिया को मॉनिटर कर रहे थे। इन्होंने ही टेंडर कंपनी को दिया। बदले में, उन्होंने प्रति होलोग्राम 8 पैसे का कमीशन लिया।
नोएडा में डुप्लीकेट होलोग्राम बनाने वाले कारोबारी गुप्ता ने ED की जांच में बताया कि अरुण पति त्रिपाठी मुझे टेलीफोन पर कई सीरियल नंबर देते थे, ये होलोग्राम की संख्या वो होती थी जो पहले ही मुद्रित की जा चुकी है और उत्पाद शुल्क को आपूर्ति की जा चुकी है। इसके बाद फर्जी होलोग्राम बनते थे। इसे शराब की बोतलों पर लगा दिया जाता था। इससे राज्य के खजाने को 1200 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ और आरोपियों को अवैध लाभ हुआ।
घोटाले की जांच पर रोक, अब पुलिसिया एक्शन शुरू
दो सप्ताह पहले छत्तीसगढ़ में ईडी की ओर से दर्ज 2000 करोड़ रुपए की कथित आबकारी गड़बड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अनुसूचित अपराध के अभाव में कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर ही रोक लगा दी है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि इस मामले में अफसरों पर कोई दंडात्मक या कठोर कार्रवाई ना हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को भी अंतरिम संरक्षण दिया है। अब ED ने नोएडा में केस दर्ज करवाकर ये साफ कर दिया है कि दूसरे तरीके से आरोपियों को घेरने का प्रयास जारी रहेगा।