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आदर्श मानव को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने वाले – तुलसीदास

 संस्कृत को देव भाषा  माना जाता है स्वभाविक है कि देव की भाषा आम आदमी कैसे पढ़ सकता ?  इसी भावना को लेकर आम  आदमी के पठन गायन को लक्ष्य बना कर तुलसीदास दुबे ने वाल्मीकि के रामायण को राम चरित मानस में अनुवाद करने का बीड़ा उठाया। 2 वर्ष 7 माह 26 दिन के अथक प्रयास के बाद वाल्मीकि के आदर्श राम, मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उपलब्ध हो गए।

 तुलसीदास के प्रेम से उपजे विरह औऱ विरह से मिली प्रेरणा ने उनको राममय कर दिया। उनकी ये कहानी सभी  को याद होगी कि अपनी पत्नी रत्नावती के प्रति आशक्ति ने अजगर के सहारे घर मे  चढ़ने के भी दुस्साहस किया था। हर प्रेमी औऱ हर पति तुलसीदास नही हो सकता  ये भी बात है।

 बहरहाल 7 कांड- बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड ,लंका कांड  औऱ उत्तर कांड में विभाजित है। 12800 पंक्तियों में रचित रामचरित मानस में10902 पद है।47 श्लोक,208 छंद, 9388 चौपाई,औऱ 1172 दोहे है।

 हिंदी साहित्य  में रुचि रखने वालों सहित सम्पूर्ण देश वासियों के लिए रामचरित मानस एक पठनीय  महाग्रन्थ है। इसके विन्यास से इस बात का भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है आज से छः सात सौ साल पहले भी देश की भाषा कितनी वैज्ञानिक थी। दुख की बात ये रही कि राम चरित मानस गाँव गाँव मे नवधा रामायण के रूप में गूंजता रहा लेकिन इस साहित्य के बढ़ावे के लिए जैसे ईसाइयों ने बाइबिल, मुसलमानों ने कुरान को सर आंखों पर बैठाया, विस्तार किया यहां तक कि उनके धार्मिक ग्रन्थों के आड़ में धर्मावतरण हुए।हम अपनी संस्कृति के महाग्रन्थ को राष्ट्रीय महाग्रन्थ का दर्जा न दे सके।

स्तंभकार -संजय दुबे

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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