महिला-आरक्षण बिल आज नए संसद में पेश हो सकता है; सोनिया ने कहा- ये बिल कांग्रेस का है,लोकसभा में 180 सीटें बढ़ाने की चर्चा

नईदिल्ली, एजेंसी, आज गणेश चतुर्थी के दिन नए संसद भवन में कामकाज शुरू होगा। पुरानी संसद में सोमवार 18 सितंबर को कार्यवाही का अंतिम दिन था। स्पेशल सेशन के बाद कल शाम 6:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग हुई।
न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करके बिल को मंजूरी मिलने की बात कही। हालांकि कुछ देर बाद उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया।
इधर, महिला आरक्षण बिल पर अब पार्टियों के बीच क्रेडिट लेने की होड़ मच गई है। सोनिया गांधी मंगलवार को संसद भवन पहुंची और मीडिया से बातचीत में कहा कि महिला आरक्षण बिल कांग्रेस का दिया हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चर्चा इस बात की भी है कि केंद्र सरकार लोकसभा में 180 सीटें बढ़ा सकती है।
तीन दशक से पेंडिंग है महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा ने महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है।
बिल का विरोध करने के पीछे सपा-राजद का तर्क
सपा और राजद महिला ओबीसी के लिए अलग कोटे की मांग कर रही थी। इस बिल को विरोध करने के पीछे सपा-राजद का तर्क था कि इससे संसद में केवल शहरी महिलाओं का ही प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। दोनों पार्टियों की मांग है कि लोकसभा और राज्यसभा में मौजूदा रिजर्वेशन बिल में से एक तिहाई सीट का कोटा पिछड़े वर्गों (OBC) और अनुसूचित जातियों (SC) की महिलाओं के लिए होना चाहिए।
बिल पास हुआ तो लोकसभा में 180 महिलाएं होंगी, अभी सिर्फ 78 हैं
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि महिला आरक्षण बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में यह 2010 में ही पास हो चुका है। इसमें महिलाओं को 33% आरक्षण देने का प्रावधान है। यह बिल पास हुआ तो अगले लोकसभा चुनाव के बाद सदन में हर तीसरी सदस्य महिला होगी। न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक यह आरक्षण लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में लागू होगा। बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए जाएगा। कानून बनने के बाद होने वाले चुनावों में यह बिल लागू हो जाएगा।
दो तरीकों से लागू हो सकता है आरक्षण
आरक्षण बढ़ाने का पहला विकल्प: लोकसभा व विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। 2010 में पेश किए गए बिल के अनुसार, संसद और राज्यों की विधानसभा की एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। संसद और राज्यों में इन सीटों को रोटेशन के आधार पर आरक्षित किया जाएगा। एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह व्यवस्था दो चुनाव के लिए होगी। हर आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटें बदली जाएंगी।
दूसरा विकल्प: संसद में एक तिहाई सीटें बढ़ा दी जाएं, क्योंकि लोकसभा की सिटिंग कैपेसिटी अब 888 हो गई है। संख्या बढ़ाने के लिए ये तरीके हो सकते हैं। जिन संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 18-20 लाख से अधिक है, वहां एक के बजाय दो सदस्य चुनें। इनमें एक सामान्य हो और दूसरी महिला सदस्य को चुना जाए। ऐसी करीब 180 सीटें हैं, जहां 18 लाख से अधिक मतदाता हैं। कम से कम 48 सीटें ऐसी हैं, जहां महिला वोटर पुरुषों से अधिक हैं।
ये दोनों कॉम्बिनेशन अपनाकर महिलाओं के लिए अतिरिक्त प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की जा सकती है। किसी एक संसदीय क्षेत्र से दो या अधिक उम्मीदवार चुनने की व्यवस्था पहले भी रह चुकी है। 1952 में 89 और 1957 के चुनाव में 90 सीटों पर दो-दो उम्मीदवार चुने गए थे। तब एक सीट सामान्य के लिए और दूसरी आरक्षित सीट हुआ करती थी। आबादी के आधार पर महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया तो सबसे ज्यादा सीटें यूपी, राजस्थान गुजरात, मप्र और हिमाचल बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में बढ़ेंगी।
बिना किसी शर्त पर कांग्रेस का बिल को समर्थन
राहुल गांधी ने कहा कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठें। हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे। संसद के स्पेशल सेशन के पहले दिन जब पीएम मोदी के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में बोल रहे थे तो वे कांग्रेस की पूर्व सरकारों के कामों को गिनाने लगे, इस दौरान सोनिया ने उन्हें टोका और महिला आरक्षण पर बोलने को कहा था।
विपक्ष भी महिला आरक्षण बिल के पक्ष में
तेलंगाना CM केसीआर की बेटी के. कविता ने 13 सितंबर को दिल्ली में 13 विपक्षी दलों के साथ बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण में वुमन रिजर्वेशन बिल पेश करने की मांग की थी। कविता ने कहा था कि उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) का विश्वास है कि महिलाओं के लिए रिजर्वेशन के साथ-साथ कोटा के भीतर कोटा पर भी काम किया जाना चाहिए। कविता लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की मांग कर रही हैं। इसी मांग को लेकर कविता ने 10 मार्च को दिल्ली में एक दिन की भूख हड़ताल की थी। जिसमें AAP, अकाली दल, PDP, TMC, JDU, NCP, CPI, RLD, NC और समाजवादी पार्टी समेत कई पार्टियां शामिल हुई थीं, लेकिन कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया था।