MAHANADI; उद्गम से संगम तक निकलेगी महानदी चेतना यात्रा, रेत के दोहन से महानदी खतरे में

0 “महानदी का संकट और जल विवाद” पर राजधानी रायपुर में हुआ गोलमेज सम्मेलन
रायपुर, “महानदी का संकट और जल विवाद” पर राजधानी रायपुर में हुए गोलमेज सम्मेलन में महानदी पर गहराते संकट को देखते हुए उद्गम से संगम तक महानदी चेतना यात्रा का आयोजन इस वर्ष के अंतिम सप्ताह में प्रारंभ किया जाएगा। महानदी के दोनों राज्यों के नदीघाटी को एक संपूर्णता के साथ एक इकाई मान कर महानदी बेसिन कार्ययोजना बनाने हेतु संवाद और विमर्श कर जनमत बनाया जाएगा।
नदी घाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंदोपाध्याय ने बताया कि 28अगस्त को नदी घाटी मोर्चा, महानदी बचाओ आंदोलन ,राष्ट्रीय जल बिरादरी के संयुक्त आयोजन से “लोकायन ” भवन , रायपुर में “महानदी का संकट और जल विवाद” पर गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के महानदी का विभिन्न उपनदियां कि नदीघाटी के प्रतिनिधियों के अलावा ओडिशा का महानदी घाटी का प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया, जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी के नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ ।
साझा विमर्श में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ और उडीसा दोनों राज्यों के महानदी के किनारे गांवों की समितियों के प्रतिनिधियों से महानदी संसद बनाया जाएगा जो प्रमुख रूप से नदी संरक्षण , संवर्धन, पूर्नजनन की कार्य करेंगे जिसे जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं उन्मूलन करने में सहायक होंगे। महानदी जलविवाद ट्रिब्यूनल का कार्यकाल तीन बार बढ़ चुका है लेकिन अभी तक उनके मैंडेट का 10 प्रतिशत पूरा नहीं हुआ है। अब विगत दिनों दो राज्य के सरकार ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के साथ आपस में वार्तालाप कर समाधान करने का निर्णय लिया , लेकिन यह कार्य नदी समुदाय के भागीदारी के बिना संभव नहीं है , अत: संगोष्ठी में सुझाव दिया गया कि ट्रिब्यूनल एवं संबंधित राज्यों को सहयोग करने हेतु दोनों राज्यों को जानने वाले नदी विशेषज्ञ, पर्यावरणविद , जलवायु वैज्ञानिक के उपस्थिति से सलाहकार समिति बनाया जाए जिससे लंबे अरसे से जारी जलविवाद एवं नदी संकट का स्थाई समाधान निकला जा सकें ।
महानदी का संस्कृति, साहित्य, नदी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने एवं समृद्ध करने महानदी समारोह का आयोजन किया जाएगा ।महानदी जलविवाद एवं वर्तमान महानदी के जलप्रवाह को अविरल रखने हेतु दोनों राज्यों के शासन से मांग किया गया कि महानदी के flood प्लेन को पहचान, सीमांकन एवं सुरक्षित रखा जाए तथा उसकी मिनिमम एनवायरनमेंटल फ्लो को बरकरार रखते हुए नदी जल संग्रहण क्षेत्र में नदी विरोधी गतिविधियों जैसे जंगल कटाई, अति जल दोहन, अवैज्ञानिक खनिज उत्खनन तत्काल रोका जाए
पूरे देश में आज एक बड़ी समस्या है नदी से रेती का अति दोहन जिससे देश के अधिकांश नदी स्वास्थ आज खतरे में हो गई तथा नदी के अस्तित्व पर संकट बढ़ गई, पिछले दिनों माननीय उच्चतम न्यायालय भी इस पर अपनी चिंता जाहिर की और पुनर्भरण का समीक्षा किए बिना राज्यों को नदी से रेती दोहन का अनुमति न देने का निर्देश दिया।
महानदी हमारे देश के छठी बड़ी नदी है जो ओडिशा छत्तीसगढ़ के जीवनदायिनी तथा संस्कृति, साहित्य, समृद्धि का बाहक भी है । दोनों राज्यों के नदी प्रेमी प्रतिनिधियों ने महानदी का संकट एवं जल विवाद पर विस्तृत चर्चा कर संयुक्त समिति बनाने की निर्णय लिया ताकि आपस में समन्ययन के साथ नदी किनारे समुदाय की सक्रिय भागीदारी से महानदी के नदीतंत्र को सुदृढ़ किया जा सके ।
सम्मेलन में निर्णय हुआ कि इस तरह संयुक्त बैठक दोनों राज्यों में निरंतर की जाएगी ताकि महानदी को अविरल निर्मल बनाया जा सकें । कार्यक्रम में प्रमुखरूप से ग्रामीणों के अलावा गौतम बंद्योपाध्याय राष्ट्रीय संयोजक ( नदी घाटी मोर्चा ), संजय सिंह, राष्ट्रीय संजोयक (जल बिरादरी), सुदर्शन दास, संयोजक (महानदी बचाओ आंदोलन ), वीरेंद्र पांडे, पूर्व विधायक, अजिताभ मिश्रा ( पर्यावरण बचाओ प्रदूषण हटाओ संगठन), उमा प्रकाश ओझा , आदि उपस्थित रहे l