ASSEMBLY; प्रबोधन कार्यक्रम में अमित शाह बोले- ‘मैं यहां का विधायक होता तो राम मंदिर निर्माण का अभिनंदन प्रस्ताव’ लाता
रायपुर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि यदि वह यदि छत्तीसगढ़ के विधायक होते तो राममंदिर के निर्माण पर अभिनंदन प्रस्ताव विधानसभा में अवश्य लाते। शाह ने कहा कि यहां रामकाल में भक्ति की अभूतपूर्व घटना हुई थी। शबरी माता ने रामजी को बेर खिलाए थे। उन्होंने कहा कि सरकार की संसदीय प्रणाली में निजी सदस्य बिल महत्वपूर्ण होते हैं। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद अनुच्छेद 370 चला गया, ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (सीएए) आ गया, ट्रिपल तलाक खत्म हो गया। ये तीनों विषय ऐसे हैं जिनमें पिछले 75 वर्षों में 50 निजी सदस्य बिल लाए गए। ये कोई सत्तापक्ष के नहीं ,बल्कि विपक्ष के सदस्यों के बिल थे, क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी की नीति की सिद्धि के लिए और संदेश को जनता तक पहुंचाने के लिए इस पर बहस की। उनको मालूम था कि बिल गिर जाएगा फिर भी अपना दायित्व निभाया।
शाह छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित नवनिर्वाचित विधायकों के दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम में ‘प्रभावी विधायक कैसे बने’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विधायक के तीन प्रकार के दायित्व होते हैं। एक अपने क्षेत्र के प्रति, दूसरा पार्टी की विचारधारा के प्रति और तीसरा विधानसभा के सदस्य होने के नाते राज्य के लिए सुखकारी कानून बनाने के लिए होता है। जिनसे प्रदेश में बजट के आधार पर सही विकास और प्रगति होती है।
जो विधानसभा में बोल नहीं पाते वे संपूर्ण विधायक नहीं
शाह ने कहा कि कुछ विधायकों का लोकसंपर्क और लोकसंग्रह भी बड़ा होता है , बहुत पापुलर होते हैं मगर विधानसभा में जब देखें तो शायद ही किसी बिल पर वह दो शब्द भाषण दे पाते हैं, शायद ही वह बजट पर चर्चा कर पाते हैं। मेरी दृष्टि से वह संपूर्ण विधायक नहीं माने जाएंगे। कुछ लोग जनता के संपर्क में रहते हैं , अपने क्षेत्र में काम करते हैं मगर अपने पार्टी की विचारधारा के प्रति काम नहीं करते हैं। वह भी संपूर्ण विधायक नहीं है। विधायक का यह भी दायित्व है कि पार्टी की रणनीति, पद्धति के लिए भी काम करना है। स्थानीय स्तर के प्रतिनिधियों के लिए काम थोड़ा सरल होता है। वह रोजमर्रा के काम के लिए वह नगर निगम या तहसील में या फिर जिला पंचायत में प्रतिनिधित्व करना होता है। वहीं सांसदों को पूरे देश के नीति निर्धारण, बजट, सुरक्षा, विदेश और कानून बनाने की बड़ी जिम्मेदारी रहती है। जब हम प्रभावी विधायक शब्द का प्रयोग करते हैं तो इन तीनों दायित्व के लिए हमें स्वयं को तैयार करना होता है।
वीडियो वीर बन रहे विधायक
शाह ने कहा कि आजकल फैशन हो गया है कि कुछ प्रतिनिधि वीडियो चालू करते हैं और अधिकारियों से बतियाते हैं। ऐसे वीडियो वीरों को मैंने चुनावों में हारते हुए देखा है, उन्हें प्रसिद्धि तो कुछ समय के लिए मिल गई मगर समाधान नहीं हो पाता है। कोई भी काम कराने के लिए अधिकारियों से कटुता से बात नहीं करें। उन्हें लिखित में समस्या को समझकर आवेदन करें तो समस्या का समाधान होगा।
शाह से बताया सदन में कैसे शुरू हुआ वंदे मातरम…
शाह ने बताया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता राम नाइक जी, जो कि केंद्रीय मंत्री व राज्यपाल भी रहे। लोकसभा के नियमों का उपयोग करके उन्होंने एक मसला उठाया कि हम जन गण मन… गाते हैं तो वंदे मातरम… भी गाना चाहिए। इसका लालकृष्ण आडवानी और एक अन्य सदस्य ने समर्थन किया। आखिरकार वंदे मातरम और जन गण मन दोनों गाया जाता है। जनता और सदन के बीच की कड़ी विधायक होता है। योजना बनाने में सत्ता- विपक्ष दोनों ही दलों के विधायकों को काम करना चाहिए। उन्होंने प्रश्नोत्तरी काल, ध्यानाकर्षण, शासकीय-अशासकीय बिल आदि पर चर्चा की।