RSS; अरविंद नेताम ने संघ प्रमुख से कहा-अपनी छतरी में आदिवासियों को भी जगह दें,भगवत बोले-आदिवासी बंधु हमारा ही समाज
नेताम

नागपुर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता वर्ग के सम्मेलन के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने संघ की तारीफ में कसीदे तो पढ़े ही, उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से अग्रह किया कि, वे अपनी (हिन्दुत्व) छतरी में आदिवासियों को भी जगह दें! नक्सलवाद और धर्मांतरण को दो बड़ी समस्या बताते हुए नेताम ने कहा कि बस्तर में नक्सली समस्या का काफी समाधान हो गया है। अब ऐसी कोई कार्ययोजना बननी चाहिए, ताकि यह फिर से जिंदा न हो।

इंदिरा गांधी और नरसिंह राव की कांग्रेस सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे अरविंद नेताम ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में चार और पांच जून को हुए कार्यकर्ता वर्ग सम्मेलन के समापन में हिस्सा लिया। नेताम ने कहा कि यह संघ का शताब्दी वर्ष है। एकता और समरसता के लिए संघ ने जो काम किया है, वह किसी और ने नहीं किया है।
बुधवार पांच जून को हुए इस कार्यक्रम में दिए गए करीब 20 मिनट के भाषण के दौरान श्री नेताम संघ और संघ प्रमुख मोहन भागवत की तारीफ करते नजर आए। लंबे समय तक बस्तर का प्रतिनिधित्व कर चुके नेताम ने संघ से कदम से कदम मिलाते हुए यहां तक कह दिया कि धर्मांतरण को रोकने में आरएसएस ही मदद कर सकता है। नेताम ने कहा, “संघ ही ऐसी संस्था है, जो इसमें मदद कर सकती है। संघ बहुत पहले से इस दिशा में काम कर रहा है।”
श्री नेताम ने संघ की डीलिस्टिंग (ईसाई बन चुके लोगों को एससी/एसटी लिस्ट से बाहर करना) की मांग का भी समर्थन किया और कहा कि यह धर्मांतरण को रोकने के लिए हथियार हो सकता है। दरअसल धर्मांतरण, डीलिस्टिंग और धर्म कोड बेहद पेचीदा मसला है। धर्मांतरण, जिसे संघ परिवार मतांतरण कहता है, और डीलिस्टिंग हिन्दुत्व और हिंदू राष्ट्र की राजनीति का वृहद हिस्सा है।
लंबे समय से चुनावी राजनीति में आप्रसांगिक हो चुके नेताम ने धर्म कोड का मुद्दा उठाते हुए यह भी कहा कि देश के विभिन्न आदिवासी समाज के लिए कोई एक धर्म कोड का फॉर्मूला बताना कठिन है। वह तो यहां तक कह गए कि इस मामले में आदिवासियों में कोई एकता नहीं है। नेताम ने कहा, “धर्म कोड से यह मत समझिए कि हम कोई बगावत करने वाले हैं। कोई नई सामाजिक विचारधारा आगे बढ़ाने वाले हैं। आपके बीच से बौद्ध धर्म निकला, आपके बीच से जैन धर्म निकला, आपके बीच से सिख धर्म निकला, उसी के आधार पर कहते हैं कि हमें मान्यता दे दीजिए और आपकी बड़ी छतरी के नीचे एक जगह दे दीजिए खड़े होने की!”। नेताम ने आदिवासियों के लिए धर्म कोड की मांग किसी संवैधानिक अधिकार के तहत नहीं की। उन्होंने कहा, “यह केवल सिंबॉलिक है।”

मोहन भागवत बोले-संघ संपूर्ण हिन्दू समाज में सबको एक मानता है
दिलचस्प यह है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मतांतरण (धर्मांतरण) की बात तो की, लेकिन उन्होंने नेताम के धर्म कोड या बौद्ध, जैन और सिख जैसी मान्यता देने की बात पर सीधे कुछ नहीं कहा। भागवत ने कहा, आदिवासी बंधु हमारा ही समाज है। हमारे समाज में अनेक देवी देवता हैं, आपने कोड की बात करते समय उन्होंने कहा कि इतने सारे देवी देवता हैं। यह सब होने के बाद भी समाज के नाते हम एक हैं। अगर एक समाज है, तो आपको यह कहने की जरूरत नहीं है कि हमारी मदद कीजिए। संघ संपूर्ण हिन्दू समाज में सबको एक मानता है। मैं कोड की बात नहीं कर रहा हू, वह एक अलग विषय है।
जबरदस्ती धर्मांतरण गलत
भागवत ने कहा, “मतांतरण क्यों होना चाहिए? हम अपनी परंपरा अनुसार यह मानते हैं कि रुचि अनुसार विचारों के तरीके अलग होते हैं…. अपने मन से कोई पूजा का तरीका बदलता है, तो हमारे यहां किसी ने ऑब्जेक्शन लिया नहीं है। परंतु लालच से करना जबर्दस्ती से करना और यह सोच कर करना कि तुम्हारे पूर्वज गलत थे, हम तुमको सही कर रहे हैं, एक प्रकार से गाली हो गई। कन्वर्सन इज ए वाइलेंस।”