राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

कालम

रवि भोई

भारतमाला प्रोजेक्ट में भाजपा और कांग्रेस के नेता भी मालामाल

कहते हैं भारतमाला परियोजना के तहत अभनपुर से विशाखापट्नम तक बनने वाली सड़क के मुआवजे से भाजपा और कांग्रेस के नेता भी मालामाल हो गए। भारतमाला परियोजना के तहत अभनपुर से विशाखापट्नम तक बनने वाली सड़क छत्तीसगढ़,ओडिशा और आंध्रप्रदेश को जोड़ने वाली है। बताते हैं भाजपा के एक नेता को इस प्रोजेक्ट से करीब सौ करोड़ का मुआवजा मिला है। भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी आजकल छत्तीसगढ़ में सुर्ख़ियों में है। मुआवजा बांटने के गड़बड़ी के आरोप में सरकार ने एक अपर कलेक्टर, एक डिप्टी कलेक्टर समेत पांच लोगों को अब तक सस्पेंड कर दिया है और मामले की जाँच राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) से कराने का फैसला किया है। मामला राज्य विधानसभा में भी उठा। नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की, पर सरकार ने माना नहीं। मुआवजा वितरण का खेला कांग्रेस राज में हुआ, फिर भी कांग्रेस के नेता डॉ चरणदास महंत मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग क्यों कर रहे हैं, यह चर्चा का विषय है। बताते हैं इस प्रोजेक्ट में मोटा मुआवजा पाने वाले भाजपा और कांग्रेस के नेता डॉ महंत के निशाने में हैं। महंत एक तीर से कई निशाना भी साधना चाहते हैं। भारतमाला परियोजना में मुआवजा वितरण को लेकर साल 2021 में भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू ने प्रेस कांफ्रेंस ली थी और भाजपा के नेता और प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त से शिकायत की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने शिकायत को राष्ट्रीय राजमार्ग की विजिलेंस शाखा को भेज दी। भारतमाला परियोजना में पूरी राशि भारत सरकार खर्च कर रही है। कहते हैं राष्ट्रीय राजमार्ग की विजिलेंस शाखा की रिपोर्ट के आधार पर नितिन गड़करी ने विष्णुदेव साय की सरकार को अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। बताते हैं नितिन गड़करी संज्ञान नहीं लेते तो मामला आया-गया हो जाता। अब देखते हैं ईओडब्ल्यू क्या जाँच करती है और गड़बड़ी करने वालों को किस तरह दबोच पाती है, पर एक बात तो साफ़ हो गया कि इस कांड से छत्तीसगढ़ की नाक कट गई है और लोगों की लालच का इंतहा नहीं है।

मंत्री लखनलाल देवांगन रहेंगे या जाएंगे ?

कोरबा के भाजपा विधायक और राज्य के उद्योग व श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन इन दिनों मुसीबत में हैं। भाजपा की लाइन से बगावत कर कोरबा नगर निगम के सभापति बनने वाले नूतन सिंह ठाकुर को सार्वजनिक तौर से बधाई देकर उलझे श्री देवांगन को पहले भाजपा संगठन ने नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा, फिर जांच टीम बना दी। राज्य बनने के बाद यह पहला अवसर है कि भाजपा ने अपने किसी मंत्री को अनुशासन के मामले में नोटिस जारी किया है। श्री देवांगन सरकार के अंग होने के साथ पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं और कोरबा में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव जीतने वाले की पीठ थपथपा कर वे क्या संदेश देना चाहते थे, यह चर्चा का विषय है। बताते हैं कोरबा नगर निगम के सभापति के लिए पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से नाता रहा है। एबीवीपी से जुड़े होने के कारण उनका उप मुख्यमंत्री अरुण साव से अच्छे संबंध हैं। चर्चा है कि हितानंद ने अपने अच्छे संबंधों के चलते ऊपर से अपना नाम फ़ाइनल करा लिया, पर न तो उन्हें कोरबा के भाजपा नेता चाह रहे थे और न ही भाजपा के पार्षद। इसको न तो रायपुर में बैठे बड़े पदाधिकारी महसूस कर पाए और न ही पर्यवेक्षक पुरंदर मिश्रा अंदाज लगा पाए। हितानंद की हार और नूतन सिंह की जीत से कोरबा के भाजपा नेताओं का दांव सफल हो गया,पर पार्टी की किरकिरी हो गई। कोरबा के भाजपा नेताओं ने प्रदेश के नेताओं को ठेंगा बता दिया। अब प्रदेश के नेता नोटिस और जांच के बहाने सांप भाग जाने के बाद लाठी पीट रहे हैं। कहते हैं लखनलाल देवांगन से रायपुर के भाजपा नेता गुस्से में हैं। इस घटना के बाद चर्चा होने लगी है कि लखनलाल देवांगन का मंत्री पद बचेगा या जाएगा,पर कहते हैं लखनलाल देवांगन के भाग्य का फैसला तो दिल्ली से होना है। जरूर प्रदेश संगठन ने अनुशासनहीनता के लिए मंत्री को नोटिस जारी कर हिम्मत का काम तो किया है, साथ में एक नजीर बना दी है।

प्राइवेट अस्पतालों पर आयकर विभाग की नजर

कहा जाता रहा है कि कोरोना काल में रायपुर के प्राइवेट अस्पताल वाले मालामाल हो गए। कई अस्पतालों का कर्जा साफ़ हो गया, तो कई अस्पताल वाले नई बिल्डिंग तान लिए, पर अब प्राइवेट अस्पताल वालों पर आयकर विभाग की निगाह गई है। कहते हैं 10 मार्च को आयकर विभाग ने राजनांदगांव और रायपुर के एक-एक अस्पताल का सर्वे किया और भारी मात्रा में कर चोरी पकड़ी गई। बताते हैं रायपुर के अस्पताल में 45 करोड़ की हेराफेरी पाई गई। अब आयकर विभाग भारी टैक्स ठोंकने के फिराक में है। रायपुर का अस्पताल नामी-गिरामी है और पाश कालोनी में होने के कारण यहां रईस मरीजों की तादाद ज्यादा बताई जाती है। कई बड़ी कंपनियां भी अस्पताल के ग्राहक हैं। बताते हैं कि आयकर के सर्वे की जद में आए रायपुर के अस्पताल के संचालक ने कोरोना काल में इतना माल समेटा कि रायपुर के कचना इलाके में सितारा होटल तानने में लगा है। अब देखते हैं आयकर विभाग का अगला कदम किस अस्पताल पर पड़ता है या फिर यह पहला या आखिरी होता है।

पूर्व मुख्य सचिव ने बेची जमीन

कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक पूर्व मुख्य सचिव ने एक बड़े समूह को अपनी जमीन बेची है। बताते हैं कि सौदा करीब 130 करोड़ में हुआ है। चर्चा है कि समूह द्वारा पूर्व मुख्य सचिव की जमीन पर माल बनाया जाएगा। वैसे पूर्व मुख्य सचिव के पास रायपुर शहर में काफी जमीन और मकान हैं। पूर्व मुख्य सचिव ने जीई रोड स्थित जमीन का बड़ा टुकड़ा बेचा है। पूर्व मुख्य सचिव द्वारा जमीन बेचने की बड़ी चर्चा है। खबर उड़ रही है कि पूर्व मुख्य सचिव अपनी जमीनें बेच कर विदेश में बसने की तैयारी कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ का अगला मुख्य सचिव दिल्ली से तय होगा

माना जा रहा है कि मार्च के अंत तक राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त का फैसला हो जाएगा। लगभग तय समझा जा रहा कि मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन का चयन हो जाएगा। इस कारण अप्रैल के पहले हफ्ते में राज्य को नया मुख्य सचिव मिल जाएगा। बताते हैं कि नए मुख्य सचिव के लिए अमित अग्रवाल, सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। सुब्रत साहू कांग्रेस राज में मुख्यमंत्री के एसीएस रह चुके हैं। खबर है कि सुब्रत साहू के लिए ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ भाजपा नेता वकालत कर रहे हैं। लेकिन एक बात साफ़ है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और ओडिशा की तरह छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव का फैसला दिल्ली से होगा।

भूपेश बघेल पर ईडी का साया

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आखिरकार ईडी की जद में आ गए। पिछले दिनों ईडी ने उनके निवास पर धावा बोला। ईडी के निशाने पर भूपेश बघेल के बेटे और उनके समर्थक भी आ गए। कहते हैं भूपेश बघेल पर ईडी का साया मंडराता रहेगा। शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद ही लग रहा था कि भूपेश बघेल ईडी के निशाने पर आ सकते हैं। ऐसी खबर है कि ईडी भूपेश बघेल को गिरफ्तार करने जैसे कदम अभी नहीं उठाएगी। इसके लिए वह वक्त का इंतजार करेगी।

अब पुलिस अफसर निशाने पर

चर्चा है कि शराब घोटाले और महादेव सट्टा मामले में भूपेश बघेल को निशाने पर लेने के बाद अब ईडी महादेव सट्टा प्रकरण में कांग्रेस राज में सुर्ख़ियों में रहे पुलिस अफसरों को निशाने पर ले सकती है। खबर है कि पुलिस अफसरों को सरकार के कुछ ताकतवर लोग बचाने की मुहिम में लगे हैं, पर भूपेश बघेल की सरकार में हांसिये पर गए अफसर और नेता कांग्रेस राज के रणनीतिकारों के पीछे पड़ गए हैं और ईडी के मददगार भी बन गए हैं। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 30 मार्च की छत्तीसगढ़ यात्रा के बाद कुछ धमाका होगा।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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