COVID; कितना खतरनाक है कोरोना का नया सब-वेरिएंट? एम्स के डॉक्टर ने कहा-सतर्क रहने की जरूरत…
नई दिल्ली, एजेंसी, कोरोना महामारी की दहशत लोग अभी भूल नहीं पाए हैं। इस बीच कोरोना वायरस के नए सब वैरिएंट जेएन.1 ने लोगों की चिंता एक बार फिर बढ़ा दी है। इस बीच एम्स के कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा है कि यह ओमीक्रॉन का ही एक सब-वेरिएंट है।
वायरस की निगरानी जरूरी- एम्स प्रोफेसर
कोरोना के खिलाफ लोगों में लंबे समय के लिए इम्युनिटी बरकरार है। इसलिए यहां इस नए सब-वेरिएंट से पहले जैसी महामारी आने की आशंका नहीं है। लिहाजा, घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है और वायरस की निगरानी जरूरी है।
नए सब-वेरिएंट के बढ़ सकते हैं मामले
उन्होंने कहा कि विभिन्न अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि प्राकृतिक रूप से कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों में लंबे समय के लिए इम्युनिटी है। परेशानी तब होगी जब वायरस स्वरूप बदलकर पूरी तरह नया हो जाएगा। तब टीके का पूरी तरह बेअसर हो जाएगा। कोरोना आरएनए वायरस होने के कारण इसके स्वरूप में हल्का बदलाव होते रहता है। इसलिए इसके मामले वर्षों तक घटते-बढ़ते रहेंगे। नए सब-वेरिएंट के मामले कुछ बढ़ सकते हैं, लेकिन ज्यादा जानलेवा होने की आशंका नहीं है।
13 प्रतिशत छोटे बच्चों के बीमार होने का कारण होता है निमोनिया
चीन में फैली बच्चों में निमोनिया और सांस की बीमारी के मद्देनजर एम्स में डाक्टरों ने इस मामले पर चर्चा की। इस दौरान डॉ. संजय राय ने कहा कि कुछ बच्चे मायकोप्लाज्मा निमोनिया से बीमार हुए, कुछ बच्चे कोरोना और सांस के अन्य संक्रमण से बीमार हुए, लेकिन किसी नए पैथोजन के संक्रमण की बात सामने नहीं आई है।
एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. राकेश लोढ़ा ने कहा कि दो वर्ष से कम उम्र के 13 प्रतिशत बच्चों में बीमारी का कारण निमोनिया होता है। निमोनिया होने पर सूखी खांसी या बलगम के साथ खांसी हो सकती है। बुखार और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। छाती व पेट में दर्द व थकान की समस्या हो सकती है। चीन की तरह यहां संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है।