PADDY; धान खरीदी की अव्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ समेत मप्र. से उडीसा तक किसानों में आक्रोश

रायपुर, धान खरीदी को लेकर छत्तीसगढ समेत मप्र. से उडीसा तक अव्यवस्था चरम पर है। छतीसगढ में किसान धान बेचने समितियों का चक्कर लगा रहे है। अभी तक मात्र 10 लाख किसान धान बेच पाए है। पडोसी राज्य मध्यप्रदेश में धान बेचने किसान मंडियों में ठिठुरन भरी सर्दी में रतजगा कर रहे है। पश्चिम उडीसा में धान खरीदी सीमा में कटौती से किसान नाराज चल रहे है और वे सडक पर उतर गए है। बता दें इस अव्यवस्था के चलते महासमुंद के एक किसान ने आत्महत्या की कोशिश की। जबकि सरगुजा में एक समिति प्रबंधका ने खुदकुशी कर ली।
धान बेचने में किसानों को भारी परेशानी हो रही है, खासकर छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में, जहाँ ऑनलाइन टोकन की कमी, सर्वर की दिक्कतें, और खरीदी केंद्रों पर कुप्रबंधन (जैसे हमालों की हड़ताल, बोरों की कमी) के कारण किसान घंटों लाइन में लगने के बाद भी धान नहीं बेच पा रहे हैं, प्रदेश में धान खरीदी को लेकर जारी अव्यवस्थाओं के खिलाफ बस्तर जिला किसान कांग्रेस ने सोमवार को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपते हुए एग्रो पोर्टल आधारित टोकन प्रणाली को तत्काल बंद करने की मांग की। ज्ञापन बस्तर कलेक्टर के माध्यम से सौंपा गया। संगठन का कहना है कि यह व्यवस्था किसानों के लिए जटिल, अव्यवस्थित और अत्यधिक परेशानियों से भरी साबित हो रही है।
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजूर क्षेत्र में धान खरीदी केंद्रों में व्याप्त अव्यवस्थाओं और कथित मनमानी के खिलाफ किसानों का आक्रोश बुधवार को सड़कों पर नजर आया। धान खरीदी केंद्र प्रभारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए किसानों ने गोंडवाना भवन से एसडीएम कार्यालय तक रैली निकाली और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर जल्द समाधान नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।
सरकार पूरा धान नहीं खरीदना चाह रही-बघेल
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि लगातार धान खरीदी की शिकायत आ रही। वन ग्राम के किसानों की धान खरीदी नहीं की जा रही है। धान खरीदी का रकबा घटाने की कोशिश की जा रही है। ऑनलाईन पोर्टल दो मिनट में बंद हो जा रहा है, ऑफलाईन में अपने लोगों की खरीदी के लिए सांठ-गांठ की जा रही हैं, किसानों को धान न खरीदना पड़े। हजारों किसानों को जबरदस्ती समर्पण करवा रहे। कई ऐसे हैं जिन्हें बिना दस्तखत के समर्पण करा रहे। सोसायटियों में जगह की कमी है। राईस मिलरों से एग्रीमेंट नहीं हो पाया है। मिलर धान नहीं उठा रहे, इस कारण भी खरीदी बाधित हो रही है। सरकार पूरा धान नहीं खरीदना चाह रही है।
किसान परेशान, सरकार जल्द करे समाधान- मोक्ष प्रधान
महासमुंद जिला पंचायत सदस्य एवं कांग्रेस के सक्रिय नेता मोक्ष कुमार प्रधान ने कहा है कि प्रदेश के किसान आज गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। धान खरीदी की लिमिट, समय-सीमा, टोकन व्यवस्था और केंद्रों पर अव्यवस्था के कारण किसान बेहद परेशान हैं, लेकिन सरकार इस ओर गंभीरता नहीं दिखा रही है। मोक्ष कुमार प्रधान ने सरकार से मांग की कि किसानों की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि सरकार किसानों को शीघ्र राहत नहीं देती है, तो वे स्वयं किसानों के लिए आगे आएंगे और उनकी समस्याओं को हर संभव स्तर पर हल कराने का प्रयास करेंगे।उन्होंने कहा कि किसान अन्नदाता है और उसके साथ किसी भी तरह की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जरूरत पड़ी तो किसानों के हक और सम्मान के लिए मुख्यमंत्री से अनुरोध करेंगे।
ओड़िशा में खरीदी की लिमिट से किसान नाराज
ओडिशा में स्थानीय मंडी बनाकर धान की खरीद शुरू तो की है लेकिन यह खरीद रोजाना न होकर हफ्ते में केवल दो दिन शुक्रवार और शनिवार को हो रही है। वहीं धान खरीदी की लिमिट तय कर दी गई है। असिंचित किसानों से प्रति एकड़ 12 क्विंटल और सिंचित किसानों से प्रति एकड़ 18 क्विंटल के हिसाब से धान खरीदा जा रहा है। जबकि वहां के किसानों ने दावा किया कि उपजाऊ जमीन और हाईब्रिड किस्मों के चलते वहां असिंचित जमीन पर 15 से 18 क्विंटल और सिंचित जमीन पर 32 से 34 क्विंटल तक धान की पैदावार हो रही है। मंडी में एमएसपी पर धान बेचने के बाद भी बड़ी मात्रा में धान किसानों के पास बच रहा है जिसे वे दलालों के माध्यम से छत्तीसगढ़ भेज रहे हैं। ओडिशा के खरीदी केंद्र आमानारा में मिले किसान रुपेंद्र कुमार साहू, बाबू लाल साहू ने बताया कि हाईब्रिड धान एनएचपी-5 और 2377 का प्रति एकड़ 35 क्विंटल उत्पादन हुआ। मंडी में केवल 18 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान बेच पाए। बाकी धान दलालों के जरिए बेच रहे हैं।
विरोध कर रहे किसानों ने धान 10 रुपये प्रति किलो में बेचा
उडीसा के सुबर्णपुर जिले के बिनिका इलाके में किसानों ने धान की खरीद में देरी के विरोध में शनिवार को 10 रुपये प्रति किलो की दर से धान बेचा और सड़क जाम कर दिया। जिले में मंडियां 9 दिसंबर को खुल गईं, लेकिन किसानों ने कहा कि टोकन जारी नहीं होने के कारण खरीद रुकी हुई है, जिससे वे अपनी फसल नहीं बेच पा रहे हैं। नतीजतन, कई किसान खरीफ फसल के लिए लिए गए कर्ज को चुकाने में असमर्थ हैं और आने वाले रबी सीजन के लिए बीज खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं।
मध्यप्रदेश के धान खरीदी केंद्रों पर किसानों की लाइन
मध्य प्रदेश के कई जिलों में धान खरीदी केंद्रों पर किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। टोकन प्रणाली, उपज के उचित मूल्य में कथित अनियमितताओं और खरीदी प्रक्रिया में धांधली को लेकर किसानों और व्यापारियों के बीच विवाद की खबरें सामने आई हैं, जिससे कई जगहों पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। उमरिया जिले में धान बेचने गए एक किसान के साथ वेयरहाउस संचालक द्वारा मारपीट किए जाने का वीडियो भी वायरल हुआ है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य
खरीदी केंद्रों पर भारी भीड़ है, जिससे लंबी कतारें लग रही हैं और किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है। मुरैना जैसी जगहों पर किसानों ने व्यापारियों पर धांधली का आरोप लगाया है, जब उन्हें लगा कि उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए किसानों का ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य है, और जिन किसानों ने पंजीयन नहीं कराया है, वे सरकारी केंद्रों पर धान नहीं बेच पा रहे हैं। पंजीयन के लिए भूमि के दस्तावेज़ों का आधार कार्ड से मिलान और सत्यापन अनिवार्य है, जिसमें विसंगति होने पर किसानों को तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।




