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BEER; बीयर के शौकीनों के लिए खुशखबरी,मेट्रो शहरों की तर्ज पर अब छत्तीसगढ में गन्ने के रस की तरह ले सकेंगे ताज़ा बीयर का मज़ा

खुशखबरी

रायपुर, मेट्रो शहरों जैसे मुंबई, बेंगलुरु, पुणे की तरह  छत्तीसगढ़ में अब जल्द ही बीयर भी गन्ने के रस की तरह गिलास में सर्व होती नजर आएगी। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए “छत्तीसगढ़ सूक्ष्म यवासवनी नियम (माइक्रोब्रेवरी) 2025” लागू कर दिया है, जिसके तहत इच्छुक उद्यमी 25 लाख रुपये शुल्क देकर क्रॉफ्ट बीयर यूनिट (माइक्रोब्रेवरी) खोल सकते हैं। यह बीयर सीधे रेस्टोरेंट से ग्राहकों को परोसी जाएगी, लेकिन इसे बोतल, केन या पैकेट में बेचना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

क्या है क्रॉफ्ट बीयर?

क्रॉफ्ट बीयर एक प्रकार की विशेष रूप से निर्मित बीयर है, जो आमतौर पर छोटे संयंत्रों में सीमित मात्रा में बनती है। इसमें प्राकृतिक फ्लेवर और सामग्री का उपयोग होता है। जैसे- हर्ब्स, स्पाइसेज, या फलों के अर्क। यह बीयर न तो अधिक एल्कोहोलिक होती है (अधिकतम 8% VV), न ही इसमें सिंथेटिक या कृत्रिम स्वाद मिलाए जाते हैं। यह बीयर अक्सर ताजा तैयार कर गिलास में सर्व की जाती है, जिससे इसे “हेल्दी और स्वादिष्ट” विकल्प माना जाता है।

लाइसेंस और लागत

माइक्रोब्रेवरी शुरू करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को ₹25 लाख लाइसेंस फीस अदा करनी होगी।यह शुल्क लाइसेंस लेने से पहले ही जमा करना होगा। साथ ही संयंत्र और उससे संलग्न रेस्टोरेंट का कुल क्षेत्रफल कम से कम 6000 वर्गफीट (कार्पेट एरिया) होना जरूरी है।एक माइक्रोब्रेवरी को वर्ष में अधिकतम 3,65,000 बल्क लीटर बीयर बनाने की अनुमति होगी (औसतन 1000 लीटर प्रतिदिन)।

कैसे होगी बिक्री क्रॉफ्ट बीयर को सिर्फ उसी रेस्टोरेंट परिसर में परोसा जा सकेगा, जहाँ यह बनी है। इसे किसी भी रूप में पैकिंग कर बेचने की अनुमति नहीं होगी — न केन, न बोतल, न पाउच। ग्राहकों को इसे सीधे गिलास में सर्व किया जाएगा, जैसे कि सड़क किनारे गन्ने का रस पिया जाता है।

राजस्व और पर्यटन को मिलेगी बढ़त

आबकारी विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह कदम राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी करेगा और राज्य में पर्यटन व फूड एंड बेवरेज सेक्टर को भी प्रोत्साहन मिलेगा। पहले तक क्रॉफ्ट बीयर केवल मेट्रो शहरों जैसे मुंबई, बेंगलुरु, पुणे आदि में ही देखने को मिलती थी, लेकिन अब छत्तीसगढ़ के लोग भी इस ट्रेंड का अनुभव ले सकेंगे।

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